बिना बात सीरियस होना हो, तो यह फिल्म देखने जा सकते हैं। डियर जिंदगी फिल्म बताती है कि हम सब पागल है। हमारे पास अपने लोगों के लिए वक्त नहीं है। हम परफेक्ट रिलेशनशिप की अपेक्षा करते है, जो संभव नहीं है। कोई भी एक रिश्ता परफेक्ट हो ही नहीं सकता। फिल्म यह भी बताती है कि हर टूटी हुई चीज को जोड़ा जा सकता है। इस फिल्म के कुछ संदेश भी है, जैसे चुपचाप घुटघुट कर तकलीफ सहने से अच्छा है, अपने मन के जज्बातों को उजागर कर देना। एक और संदेश यह है कि अपने अतीत को अपने से ब्लैकमेल मत करने दो, वरना वह आपका भविष्य तबाह कर देगा। जीनियस वह नहीं होता, जिसके पास हर सवाल का जवाब होता है, जीनियस वह होता है, जिसके पास हर जवाब तक जाने का धीरज हो। हम बड़ी चीज पाने के लिए नाहक मुश्किल रास्ता खोज लेते है, जबकि आसान रास्तों से चलकर भी बड़ी कामयाबी पाई जा सकती है। जिंदगी के स्कूल में हम सब टीचर ही हैं। पागल वह आदमी होता है, जो रोज-रोज एक ही काम करता है और उम्मीद करता है कि उसके नतीजे अलग-अलग निकलेंगे।
डियर जिंदगी की तीन खूबियां हैं। आलिया भट्ट ने इसमें गजब का अभिनय किया हैं। वे पूरी फिल्म में स्वाभाविक लगी हैं। शाहरुख खान तो बेहतरीन अभिनेता हैं ही और निर्देशक गौरी शिंदे ने गजब का निर्देशन किया है। इंटरवल के पहले फिल्म बकवास लगती है और इंटरवल के बाद बेहद सीरियस। कुछ दृश्यों को रोचक बनाने की कोशिश की गई है, जिसमें वे रोचक के बजाय फूहड़ लगने लगे है। फिल्म का एक संवाद है कि ऐसा कानून क्यों नहीं बनता कि शादी के बाद आप अपने इनलॉज के साथ नहीं रह सकते। दुनिया में केवल दो प्रतिशत लोग ही सुंदर है।
आलिया भट्ट न्यू यॉर्क में शिक्षित सिनेमॉटोग्राफर हैं। थोकबंद प्रेम-प्रसंग चलाती हैं और अपने प्रेमियों को रिजेक्ट करती जाती हैं। उसके पास डिस्को, आउटिंग, पिकनिक हर चीज के लिए वक्त है, लेकिन अपने मां-बाप से बात करने के लिए वक्त नहीं है। वह उस वर्ग की पैदाइश है, जहां सनक ही सर्वोपरि होती है। वह एक ऐसा जीवन जी रही है, जिसका सपना करोड़ों लोग देखते है, लेकिन उसे यह सब पसंद नहीं। अपनी सनक के चलते वह नई-नई समस्याएं पैदा कर लेती हैं, जिससे उसे दिमाग के डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। दिमाग का डॉक्टर शाहरुख खान है, जाहिर है वह उसे ठीक कर ही देता है। शाहरुख खान की पत्नी फिल्म की निर्माता भी है, इसलिए शाहरुख के रोल का महिमामंडन अनिवार्य था ही। गौरी शिंदे ने पूरी कहानी को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है।
शहरी उच्च वर्ग के लोग बिना बात ही समस्याएं पैदा कर लेते हैं और फिर उन समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करते हैं। डियर जिंदगी भी ऐसे ही लोगों की कहानी है, जिनमें जिंदगी के प्रति साधारण समझ नहीं है। वे लोग अकारण अपने जीवन को उलझाते रहते है और फिर सुलझाने के लिए मनोचिकित्सक का सहारा लेते हैं। मनोचिकित्सक जो कहता है, वह बातें तो वे मानते हैं, लेकिन अपने माता-पिता और आस-पास के लोगों की समझदारी की बातों को नजरअंदाज कर देते है। नतीजा निकलता है डियर जिंदगी जैसी फिल्म। शहरी उच्चवर्ग के लोग इस फिल्म को निश्चित ही पसंद करेंगे, लेकिन अन्य लोगों को इसमें शायद ही दिलचस्पी नजर आए।
फिल्म के संवाद कुछ इस अंदाज में अभिव्यक्त किए गए हो, मानो जे. कृष्णमूर्ति या ओशो के प्रवचन है। कुणाल कपूर, अली जफर, अंगद बेदी और आदित्य राय कपूर केवल रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए हैं। इरा दूबे और यशस्विनी दायमा ने भी सहायक भूमिका निभाई हैं। आठ गाने भी है, जो कौसर मुनीर ने लिखे हैं और औसत दर्जे के है। फिल्म का साउंड ट्रैक अमित त्रिवेदी का है। कई लोग कहते है कि अमित त्रिवेदी जीनियस हैं। अरिजीत सिंह, सुनिधि चौहान, आलिया भट्ट, विशाल ददलानी, जसलीन रॉयल और अमित त्रिवेदी ने ही यह गाने गाए भी है।
यह फिल्म एनआरआई वर्ग के लिए यूएसए में तीन दिन पहले रिलीज हो चुकी है और वहां इसे खूब पसंद किया गया। इंग्लिश-विंग्लिश फिल्म के बाद गौरी शिंदे की यह फिल्म भी अपने तरह की बेहतर फिल्म कही जा सकती है। फिल्म के एक दृश्य में आलिया भट्ट ई-बे से सामान मंगवाती हैं और एक पैकेट खोलकर उसमें से किताब निकालती हैं। इसके बाद किताब हाथ में लेकर वे उसे सूंघती हैं। गजब का सीन घड़ा है गौरी शिंदे ने।
 
                   
                   
            
 
	               
	               
	               
	               
	              
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