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फिल्म समीक्षा:टालनीय फिल्म है घुसपैठिया

पेज-थ्री            Aug 11, 2024


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।

'घुसपैठिया' फिल्म में कोई बड़ा कलाकार नहीं है,  निर्देशक भी नामी नहीं है, लेकिन कहानी का विषय नया और लोकेशन लखनऊ है। शानदार कैमरा वर्क  है और कसी हुई स्क्रिप्ट है। गीत संगीत औसत है।  15 अगस्त को आधा दर्जन फिल्में रिलीज हो रही हैं, उसके पहले 9 अगस्त को घुसपैठिया रिलीज हो गई। यह फिल्म ऐसे घुसपैठिया के बारे में है जो आपके-हमारे, घर और ऑफिस में घुस आया है और उसका नाम है मोबाइल, टेलीफोन और  इंटरनेट।

कॉल हैकिंग वैश्विक घटनाक्रम का हिस्सा है, जिसके जरिए जासूसी होती है। अपराधी पकड़े जाते हैं। नए अपराधों को अंजाम दिया जाता है और भी बहुत सारे घटनाक्रम को यह घुसपैठिया अंजाम देता है। यह जहां-तहां घुसपैठ कर लेता है। हमारे घरों में घुसकर रिकॉर्डिंग कर रहा है। यह बहुत खतरनाक है और यही इस फिल्म का हिस्सा है।

उत्तर प्रदेश के डीजीपी इन्स्पेक्टर रवि  को कुछ टेलीफोन नंबर देते हैं और कहते हैं कि इन टेलीफोन को सर्विलांस पर रखा जाए।   इनकी बातें सुनी जाए। और मुझे, केवल मुझे रिपोर्ट की जाये। उसमें कुछ नंबर नेताओं केहैं, कुछ  उद्योगपतियों के है, और कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के भी होते हैं, जिन पर निगाह रखी जानी होती है। रवि बेहद ईमानदार छवि का अफसर है। सर्विलांस दौरान रवि को ऐसी सूचनाएं मिलती हैं, जिससे उसका जीवन बदल जाता है।  कुछ  सूचनाएं  उसे अंदर तक हिला देती हैं।  

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का महिला पुलिसकर्मी के साथ प्रेम संबंध है, विधायकों की खरीद-फरोख्त में करोड़ों की सौदेबाजी हो रही है। काले धन की अफरा-तफरी का मामला भी है। इसी बीच उसे एक आवाज सुनाई देती है जो परिचित लगती है और जब ध्यान देता है तब पता चलता है कि यह आवाज तो उसकी पत्नी की है जो किसी और से छुप-छुपकर प्रेम पूर्वक बातें कर रही है। वह बिफर जाता है और कहानी एक अलग मोड़ ले लेती है।

यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है, जिसमें रोमांस भी है,  लेकिन इस फिल्म में बहुत बड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है। कहानी को उत्तर प्रदेश तक सीमित रखा गया है। इसे एक प्रेम कहानी के इर्द-गिर्द बना दिया  है। अंत कल्पना  से परे है। स्वाभाविक भी नहीं लगता।  बुरे काम का बुरा नतीजा निकलता है। कलाकारों में उर्वशी रौतेला, विनीत कुमार सिंह, अक्षय ओबेरॉय प्रमुख हैं। मणि रत्नम के सहयोगी रहे सुसी गणेशन की यह फिल्म पांच साल से निर्माणाधीन थी, कोरोना का असर इसके निर्माण पर भी पड़ा।

औसत फिल्म है। इसे देखना टाल सकते हैं।  टालनीय !

 


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