डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
जेएनयू यानी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की फ़िल्मी पैरोडी है यह । जवाहरलाल की जगह जहांगीर कर दिया गया है। बस। भारतभर में दी जाने वाली गालियां इसमें हैं, हर पात्र के मुंह से गालियां झरती हैं चाहे वह छात्र हो या छात्रा, प्रोफ़ेसर हो या नेता।
फिल्म के अनुसार जेएनयू में वे सारे काम होते हैं जो अच्छे नहीं माने जाते। कैम्पस में बीड़ी-सिगरेट पीना, शराबखोरी, झगड़ा, मारपीट, सेक्स, बलात्कार, किस डे मनाते हुए मंच पर चुम्माचाटी, जाति और प्रान्त के नाम पर संघर्ष, गुंडागर्दी और राजनीति की नीचता।
टुकड़े टुकड़े गैंग और महिषासुर शहादत दिवस का जश्न है और अफजल हम शर्मिंदा है तथा लेके रहेंगे आजादी के नारे भी हैं।
यह फिल्म असली जेएनयू पर नहीं है जहाँ अनेक थिंकर्स, राज नेता, वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारक पढ़े हैं। जहां से पढ़े डिप्लोमेट एस जयशंकर और निर्मला सीतारमण केंद्र में मंत्री हैं। जहाँ से पढ़े अली जैदान लीबिया में प्रधानमंत्री रहे और बाबूराम भट्टराई नेपाल के। नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और अमिताभ कांत से लेकर सीताराम येचुरी और योगेंद्र यादव भी यहीं पढ़े हैं।
यह फिल्म पैरोडी फिल्म है इसलिए इसमें नरेंद्र दामोदरदास मोदी का नाम वीर नरेंद्र दास है, कन्हैयाकुमार इसमें कृष्ण कुमार हैं, बरखा दत्त का नाम वर्षा दत्त है और रवीशकुमार कपीश कुमार हैं। एनडीटीवी इसमें एनडीवीबी है। एबीवीपी के सौरभ शर्मा का किरदार भी इसमें है और शेहला राशिद सायरा बनाकर प्रस्तुत की गई हैं।
फिल्म का कथानक 2013 से 2019 तक का है। बताया गया है कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद तक पहुँचने से रोकने के लिए देश और विदेश में कैसे कैसे षड्यंत्र किये गए। फिर भी नया भारत उभरकर सामने आया। यह एक प्रचार फिल्म है। कॉमेडी का सहारा लिया गया है।
फिल्म के पात्र बहुत सारे हैं जिनमें उर्वशी रौतेला, रश्मि देसाई, सिद्धार्थ बोडके, कुंज आनंद, पीयूष मिश्रा, रवि किशन, विजय राज, अतुल पांडे, शिव ज्योति राजपूत, जेनिफर पिक्कीनाटो आदि हैं। लव जिहाद भी डाल दिया गया है।
न्यूज़ चैनल की मसालेदार खबरें इससे ज्यादा मनोरंजन करती हैं। प्रचार फिल्म की तरह है। इसे देखने के बजाय न्यूज़ चैनल देखना समय और जेब के लिए बेहतर है।
अझेलनीय फिल्म है।
Comments