डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
फूहड़ता और बेतुकेपन की मार्केटिंग में माहिर एकता कपूर की फिल्म एलएसडी 2 (लव, सेक्स और धोखा 2) में तीन कहानियां हैं। तीनों का एक दूसरे से कोई ताल्लुक नहीं। इसकी कहानियों को यूपीएससी का टॉपर भी शायद ही समझ सके। शायद फिल्म यह बताना चाहती है कि सोशल मीडिया, इंटरनेट और मेटवर्स की दुनिया में लाइक, कमेंट और डाउनलोड के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।
पहली कहानी एक बेतुके नाम वाले जैसे रियालटी शो 'ट्रूथ (सच) या नाच' की एक ट्रांसजेंडर प्रतिभागी है। शो बिग बॉस जैसा है, लेकिन निर्णायक सारेगामा टाइप अनु मलिक, तुषार कपूर जैसे हैं। लड़के से लड़की बनी प्रतिभागी अपनी मां से दो साल से नहीं मिली, लेकिन लाइव शो की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए आयोजक उसकी मां को हेलीकॉप्टर से बुलाते हैं।
शो में वह अपनी माँ के सामने लाइव शो में लिप लॉक करती हैं, मां को चांटा मारती है, और एकता कपूर के बताये धतकर्म करती है। फिर शो वाले भगा देते हैं और उसका आगे पीछे के अंगों को प्लास्टिक सर्जरी कराने का ख्वाब टूट जाता है।
दूसरी कहानी भी एक ट्रांसजेंडर की है जिसे एनजीओ वालों की मदद से मेट्रो स्टेशन में सफाईकर्मी का काम मिलता है, लेकिन उसका पार्ट टाइम धंधा उसे मुश्किल में डाल देता है। तीसरी कहानी मेटावर्स की दुनिया में गेमिंग शो चलानेवाले एक लड़के की है, जो 18 का हुआ ही है।
किसी ने उसका पेज हैक कर लिया और अश्लील सामग्री परोस दी। इससे उसकी लोकप्रियता बढ़ गई और वह स्टार हो गया। बाद में एक पुलिस केस बनता है और पूछताछ होती है कि क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? कोई बॉयफ्रेंड? तुम गे हो?
यह 'ए' सर्टिफिकेट वाली फिल्म है, सिनेमाहॉल और मल्टीप्लेक्स खाली पड़े हैं, दर्शकों के झेलने की भी कोई सीमा होती है।
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