डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
इस साल में लगी अब तक की सबसे वाहियात फिल्म है - विक्की विद्या का वो वाला वीडियो। लेकिन हिंदी फिल्मों के दर्शकों को निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसी साल इस से भी वाहियात फिल्में देखने को मिलने वाली है।
यह ऐसी वैसी फिल्म नहीं है, जैसा इसके नाम से लगता है। वो वाला वीडियो फिल्म में थोड़े ही दिखाया गया है, भाई ये एक शुद्ध पारिवारिक फिल्म बनाने की कोशिश थी। बन नहीं पाई तो जैसी भी बनी, बन गई।
इस फिल्म को 4 लेखकों ने लिखा है, 2 ने इसमें संगीत दिया है, 4 लोगों ने गाने लिखे हैं और इसके निर्माताओं की संख्या 9 है। इतने खानसामे हों तो खाना कैसा बन सकता है?
राजकुमार राव की स्त्री और स्त्री 2 तो चल गई तो क्या हुआ? उनकी एक दर्जन फ्लॉप फिल्में भी तो बीच में थी। अब स्त्री 3 के आने तक शायद वे फ्लॉप फिल्मों में ही काम करते रहेंगे।
वे परदे पर चंदेरी में रहते हैं तो पिच्चर चल है, ऋषिकेश में रहते हैं तो पिट जाते हैं। फिल्म की कहानी 1997 की है, तब उत्तराखंड बना ही नहीं था।
इसके निर्देशक हैं राज कुमार शांडिल्य। ये जनाब कॉमेडी शोज़ स्क्रिप्ट लिखते रहते हैं। कपिल शर्मा के शो के लिए भी उन्होंने काफी सारे दो अर्थ वाले डायलॉग लिखे थे। जाकिर खान का टीवी शो लिखते हुए उनकी छुट्टी 4 हफ्ते में ही कर दी गई।
अगर आपने इस फिल्म का ट्रेलर देखा हो तो वही पूरी की पूरी कहानी है। उसमें। सारे मसाले ज्यादा है और पकाने का समय भी ज्यादा लग गया।
फिल्म का हर कैरेक्टर अपने आप में नमूना है। मेहंदी लगाने का काम करने वाला विक्की शादी ब्याह में दुल्हन की हथेली पर मेंहदी से पति की जगह अपना नाम लिख देता है। वह खुद को मेंहदी कला का एम एफ हुसैन कहता है।
विक्की डॉक्टर विद्या की मोहब्बत में गुम है। शादी होने पर विक्की सुहागरात को प्रस्ताव रखता है कि हम इस रात का एक अंतरंग का वीडियो शूट करेंगे ताकि भविष्य में उसका उपयोग शिलाजीत की तरह जोश लाने के लिए किया जा सके।
वीडियो शूट होता है, उसकी सीडी पर लिखा जाता है - मुकेश के दर्द भरे नगमे!
घर में चोरी हो जाती है और चोर टीवी-वीडियो प्लेयर के साथ ही 'मुकेश के दर्द भरे नग्मे' वाली सीडी भी ले जाते हैं। अब होती है दर्शकों को पकाने की कहानी शुरू।
विक्की अपनी बहन चंदा यानी मल्लिका शेरावत के साथ रहता है। जिसे बार बार घर से भागने का शौक है ! दस बारह बार भाग और लौट चुकी हैं। बवासीर की स्थायी परेशानी में फंसा इंस्पेक्टर विजय राज चंदा के पीछे है। चंदा अपने भाई की मदद करने की कोशिश करती है, लेकिन कर नहीं पाती।
अर्चना पूरन सिंह, मुकेश तिवारी, राकेश बेदी, टीकू तलसानिया की कॉमेडी रुलाती है। एनिमल फिल्म वाली तृप्ति डिमरी, मल्लिका सेहरावत, विजय राज और राजकुमार राव की कांव कांव से आधे दर्शक तो हॉल छोड़कर चले जाते हैं। जो बचे रहते हैं वे त्राहि त्राहि करके बैठे रहते हैं। कुछ सोचते हैं कि टिकट लिया है तो देख हो लेते हैं। कुछ लोग एयर कंडीशंड हॉल में सोने के लिए बच जाते हैं और हॉल में बैठे कई तोता-मैना को फिल्म से वास्ता होता ही नहीं। मेरी मज़बूरी अब किसे सुनाऊँ?
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