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फिल्म समीक्षा:कहानी नहीं, एक्शन पर सवार है फाइटर

पेज-थ्री            Jan 27, 2024


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।

गणतंत्र दिवस पर लगी फिल्म फाइटर के कुछ डायलॉग हैं :

पीओके का मतलब है -पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर; तुमने ऑक्यूपाइड किया है, मालिक हम हैं !

उन्हें  दिखाना पड़ेगा कि बाप कौन है?

अगर  हम बदतमीजी पर उतर आये तो तुम्हारा हर मोहल्ला IOP बन जाएगा -इंडिया ऑक्यूपाइड पाकिस्तान !

ईंट का जवाब पत्थर से देने नहीं, धोखे का जवाब बदले से देने आये हैं।

फाइटर वो नहीं, जो अटैक करता है, फाइटर वो है जो ठोक देता है !

जंग में सिर्फ हार या जीत होती है, कोई मैन ऑफ द मैच नहीं होता।

जो अकेला खेल रहा होता है, वो टीम के खिलाफ खेल रहा होता है।

फाइटर फिल्म में  शुरू में ही बता दिया गया है कि यह  भारतीय वायु सेना के सहयोग से बनी फिल्म है। वायुसेना में रह चुके रमन छिब ने कहानी और पटकथा लिखी है और वे इसके एक निर्माता भी हैं।

सिद्धार्थ आनंद की पठान ठीक एक साल पहले 25 जनवरी 2023 को रिलीज हुई थी, जिसने अच्छा कारोबार किया था, यह भी करेगी। वे इसके निर्माता भी हैं।

इसमें ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण की दमदार एक्टिंग और वायुसेना के विमानों के हैरतअंगेज़ करतब हैं। शायद इसीलिए इसकी तुलना तुलना टॉम क्रूज की फिल्मों ‘टॉप गन’ और ‘टॉप गन मैवेरिक’ से की जा रही है। गणतंत्र दिवस पर लगी है तो इसमें देशप्रेम का भाव तो होगा ही। देशप्रेम कोई मसाला नहीं है, यह न होता तो हम अभी गुलाम ही होते।

फाइटर फिल्म में देशप्रेम और एक्शन ही नहीं, रोमांस भी है और उसकी झलक दीपिका के एक डायलॉग में देखी जा सकती है - ... तो मेरी ख़ुशी के लिए तुमने मुझे रुलाने का फैसला लिया है!

फाइटर भारतीय वायुसेना की शो रील जैसी है। वायु सेना के लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर के हवाई करतब के दृश्य रोमांचक हैं। ( इस गणतंत्र दिवस परेड में राफेल विमान भी शामिल हो रहे हैं ) फिल्म में साफ़ तौर पर पुलवामा हमले को पाकिस्तान प्रायोजित घटना बताया है। फिल्म में वीएफएक्स अच्छे हैं और उनके कारण परदे पर वायुसेना के करतबों में जान आ गई लगती है। वीएफएक्स का उपयोग वायु सेना अपने पायलटों को ट्रेनिंग देने में भी करती है।

फिल्म में एक कहानी में कई कहानियां हैं।  दीपिका अपने पिता (आशुतोष राणा) की ठुकराई हुई संतान है।  अनिल कपूर अपनी बहन को खोने वाले फ़र्ज़ को समर्पित जिम्मेदार अफसर हैं। फिल्म का खलनायक बिग बॉस की तरह है, परदे के पीछे ही रहता है, असल जीवन में भी खलनायक पीछे ही रहते हैं। फिल्म में गाने जबरन डाले  गए हैं, अच्छा हुआ कि एक गाना इश्क जैसा कुछ फिल्म से हटा लिया गया, वरना लगता कि वायु सेना में पुरुष और महिला अफ़सरों में रोमांस ही चला करता है।

 

 

 

 

 



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