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भाजपा की महिला विधायक का मंत्री पर प्रताड़ना का आरोप, अपनी ही सरकार के खिलाफ सदन में बैठीं धरने पर

राजनीति, वामा            Jun 26, 2018


मल्हार मीडिया भोपाल।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास की संभवत: यह पहली घटना है जब कोई विधायक सदन में ही वो भी आसंदी के करीब जाकर अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गईं। वह भी एक कैबिनेट मंत्री पर परिवार का प्रताड़ित करने और पुलिस पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुये, वह भी एक महिला विधायक। इसे आप कुछ भी कह सकते हैं राजनीतिक स्टंट या कुछ और। लेकिन आज लोकतंत्र के संसदीय मंच का जिस तरह उपयोग किया गया वह सोचने पर मजबूर करता है। क्या वाकई सदन जनता के लिए चल रहा है? सोचने पर दरअसल इसलिये मजबूर करता है क्योंकि नीलम मिश्रा ने आज यह कहते हुये अपनी बात रखी कि अध्यक्ष महोदय मैंने आजतक अपनी बात नहीं रखी लेकिन आज पहली बार अपनी बात सदन में रख रही हूं। फिर कभी नहीं रखूंगी। फिलहाल पढ़ें पूरा घटनाक्रम

मध्यप्रदेश विधानसभा के पावस सत्र की दूसरे दिन कार्रवाई में आज उस समय ट्विस्ट आ गया जब भाजपा की महिला विधायक नीलम मिश्रा सदन में अपनी ही सरकार के खिलाफ आसन्दी के पास जाकर धरने पर बैठ गईं।

फिर कुछ देर के नाटकीय घटनाक्रम में संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के आश्वासन के बाद धरना खत्म भी कर दिया।

नीलम मिश्रा ने आरोप लगाया कि खनिज का मुद्दा उठाने के कारण उन्हें और उनके परिवार को मंत्री के दबाव में परेशान किया जा रहा है।

इससे पहले उन्होंने कल पत्रकारवार्ता में यह आरोप लगाये कि दलित को न्याय दिलाने पहुंचे जिला पंचायत अध्यक्ष पर टीआई पर हमले का आरोप लगाते हुये एफआईआर दर्ज की है।

उन्होंने आरोप ये भी आरोप लगाये कि पुलिस एक मंत्री राजेंद्र शुक्ला के दबाव में पुलिस काम कर रही है।

दरअसल नीलम मिश्रा ने प्रश्नकाल के दौरान अपने पति अभय मिश्रा के खिलाफ लगाए गए आरोपों को झूठा बताते हुये अपने परिवार की सुरक्षा की मांग की थी।

गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने आश्वासन भी दिया कि कोई भी गलत कार्रवाई नहीं होगी और विधायक के परिवार को सुरक्षा की मांग की।

लेकिन कुछ समय बाद अचानक से बीच कार्रवाई में नीलम मिश्रा हंगामे के बीच खड़ी हुईं और बोलीं कि आश्वासन के बाद भी उनके पति को गिरफ्तार कर लिया गया उनकी सुनवाई नहीं हो रही इसलिए वे अपनी मांग न माने जाने तक धरने पर बैठेंगी।

इतना कहकर नीलम मिश्रा आसंदी के दायें तरफ नीचे धरने पर बैठ गईं। इस दौरान वो फूट-फूट कर रोने लगीं। यह देखकर विपक्ष नारेबाजी करने लगा और विपक्ष की विधायक जाकर नीलम मिश्रा के साथ बैठ गईं।

इस दौरान सत्तापक्ष की महिला विधायकों व अन्य विधायकों की तरफ से भी नारेबाजी आरोप—प्रत्यारोप चलते रहे और इसी बीच कई विधेयक व अनुपूरक बजट भी पास कर दिया गया।

पहले संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बात की लेकिन वे अपनी जगह से नहीं उठीं। इसके बाद गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने उन्हें अपनी सीट तक बुलाकर लाये और उनसे बात की। लेकिन नीलम वापस धरने पर जाकर बैठ गईं।

इसके बाद मंत्री नरोत्तम मिश्रा भूपेंद्र सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि पुलिस की ओर से गलत कार्रवाई नहीं होगी। मंत्री के आश्वासन पर नीलम मिश्रा ने धरना ख़त्म कर दिया।
हालांकि बाद में गृहमंत्री के आश्वासन पर उन्होंने धरना ख़त्म कर दिया।

गौरतलब है कि नीलम रीवा जिले के सेमरिया से विधायक हैं। उन्होंने मंत्री राजेंद्र शुक्ल पर आरोप लगाया कि उनके दबाव में मेरे परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है।

राजनीति के जानकारों की मानें तो विधानसभा के इतिहास में सम्भवतः इस प्रकार की यह पहली घटना है जब कोई सत्तापक्ष का विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ सदन में धरने पर बैठा हो।

 


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