आशीष एन के पाठक।
भाजपा जीती व कांग्रेस हारी। कांग्रेस ही क्या, पूरा विपक्ष ही निपट ही गया। निपट शब्द इसलिए क्योंकि कोई भी 55 सीट विपक्ष का नेता बनने लायक तक न ला पाया। हम जैसे सामान्य लोग के लिए यह दुःखद है, जो यह उम्मीद करते है कि जब सरकार अति करे तो विपक्ष तो अपने साथ है ही।
भाजपा न, बल्कि मोदी जी क्यों जीते? जितके पीछे के कोई कारण न होते। जितने वाले कि सभी गलतियां उस रेशम में दबा दी जाती है जो उनसे हुई होती। कांग्रेस इस बात को ही प्रचार न कर पाई की राजीवजी ने पंचायती राज लाकर सत्ता का विकेंद्रीकरण किया, जबकि जब जब भाजपा आती है, यह लोकतंत्र के इतने विरोधी हैं कि सबसे पहले कॉलेज के चुनाव पर रोक लगाते हैं। कॉलेज के चुनाव ही न होंगे तो नया नेतृत्व किधर से आएगा?
यह लोग इस बात का प्रचार ही न कर पाए कि देशभर में अटल सरकार ने जो एनपीएस लागू किया, हम आए तो पूर्व में उसको निरस्त न किया, पर इसबार कर देंगे।एनपीएस मतलब नई पेंशन योजना। इसमे केंद्र के सरकारी कर्मचारी को एकबार में एकमुश्त रुपये दे दिए जाते। बस हर माह कुछ न।
यह लोग इस बात का प्रचार ही न कर पाए कि जिस पुलवामा में सीआरएफ के 44 जवान शहीद हुए, हर जगह होते, उनको सेना की तरह कोई सुविधा न मिलती है। हम आए तो देंगे।
यह लोग आधी रात को कसाब को बचाने कोर्ट तो गए, पर उस बात के लिए माफी मांग लेते, ईवीएम को सही मॉन लेते, कह देते, देशभर में जो नियुक्तियों पर रोक है, उसको तुरंत हटाएंगे, नई भर्ती करेंगे, तो सिन कुछ और होता।
यह कह देते, हमारे राज्यो में 33 वर्ष से घटाकर जो 28 वर्ष सरकारी नोकरी में नियुक्ति करने का नियम बनाकर भाजपा गई है, उसको बदल डालेंगे, तो नजारे कुछ और होते।
आम इंसान सबसे अधिक परेशान डॉक्टरों की कमी से है। यह कह देते, हम 2 लाख रुपये सीधे वेतन करेंगे, 60 से बढ़कर 65 की उम्र करना कोई हल न है। कहते तो की बम्पर भरी करेंगे, कुर्सी किसी अन्य तरफ होती।
यह कहते तो, भाजपा व मोदी सरकार पाकिस्तान को अब तक दुश्मन राष्ट्र घोषित न किया है, हम करेंगे। बोलते तो सही, फिर देखते, क्या से क्या होता।
कहते तो एक बार, हमारे पूर्वजों पर स्वीसबैंक में रुपये रखने के आरोप है, मोदी जी सिद्ध कीजिए। चुनोती कोर्ट में देते। लेकिन आप तो चोर बोलकर कोर्ट में माफी मांग आए।
एक बार कहते तो, कंगना ने फ़िल्म में अधूरा सत्य दिखाया, सिंधिया परिवार के पूर्वज ही गद्दार थे, पर हम माफी मांगते है। कहते तो दादी की हत्या के बाद जो सामूहिक नरसंहार हुआ, उसके लिए माफी मांगते है। कहते तो कानपुर से लेकर भागलपुर तक हुए दंगो के लिए माफी मांगते है। कहते तो एक बार, सिर्फ एक बार कह देते, देश के विभाजन में हमारे परिवार का कुर्सी प्रेम जिम्मेदार है।
यकीन मानें, जब यह सब कह देते, तो एनडीए के पास आपके खिलाफ कोई मुद्दा ही न रहता। रावण से लेकर दुर्योधन हो या कंस, जिसने अति की है, प्रकृति ने उसका विनाश किया है।
प्रकृति के सन्देश को समझो, तबाही हो चुकी, सृजन के लिए कड़वे नीम की जरूरत है। न हो पाए तो 2035 तक यह राष्ट्र एनडीए के हाथ में ही सुरक्षित रहेगा।
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