पंकज शुक्ला।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमान संभाले हुए कमलनाथ को आज 71 दिन पूरे हो गए हैं। बावजूद इसके वह संगठन को सत्ता के नजदीक नहीं पहुंचा पाए हैं। कांग्रेस को लेकर उनकी संजीदगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस अवधि में वह जिला मुख्यालयों का दौरा भी नहीं कर पाए हैं।
यहां बता दें कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 26 अप्रैल को कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। अरूण यादव से छीनकर दी गई इस जिम्मेदारी को उन्होंने 1 मई को धूम-धाम के साथ संभाल भी लिया। प्रदेश में सरकार के खिलाफ जनाक्रोश को देखते हुए कमलनाथ की ताजपोशी से भाजपा भी सकते में आ गई थी।
लेकिन 70 दिनों के कार्यकाल के दौरान न तो वह कार्यकर्ताओं में जोश भर पाए और न ही संगठन से जुड़े लोगों को इस बात का भरोसा ही दिला पाए, कि कांगे्रस द्वारा बनाई गई रणनीति के चलते आगामी चुनावों में भाजपा की हार तय है।
चुनाव के लिए संभावित समय भले ही 70 दिन से अधिक नहीं है। लेकिन बीते 70 दिनों के कार्यकाल के दौरान 10 जिलों का भी दौरा कमलनाथ नहीं कर पाए हैं।
अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भोपाल के अलावा उज्जैन, मंदसौर और छिंदवाड़ा के अलावा कहीं दूसरी जगह नहीं जा पाए।
हालांकि उनका कार्यक्रम खरगोन और खजुराहों में आयोजित सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बना भी लेकिन वह पहुंच नहीं पाए।
आम और खास ने बढ़ाई उलझन
दरअसल खास लोगों से ही घिरे रहने के कारण प्रदेश की वस्तुस्थिति से कमलनाथ अवगत नहीं हो पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जनता के बीच कांग्रेस की पहचान बने ब्लाक व जिलाअध्यक्ष पहुंच नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस द्वारा गठित समितियों की आए दिन होने वाली बैठकें भी कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का कारण नहीं बन पा रही हैं।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस संगठन पूरी उर्जा के साथ काम कर रहा है। समितियों की बैठकों के बाद आवश्यक स्थानों पर उनके दौरे भी होंगे।
ई खुलासा से
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