मल्हार मीडिया ब्यूरो।
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता को लेकर बुधवार को फैसला सुना दिया है.
यह फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के पक्ष में गया है. इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आह्वाड ने कहा कि यह तो होना ही था.
गौरतलब हे कि बुधवार सुबह से दोनों ही गुटों के समर्थकों को फैसला का इंतजार था. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद गुट ने उम्मीद जाहिर की थी कि फैसला उनके हित जाएगा जबकि उद्धव ठाकरे गुट ने भी अपने हित में फैसला आने की उम्मीद जताई थी. हालांकि फैसले में उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा है.
उधर, स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बताया कि ठाकरे गुट की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि नियमों को ताक पर रखा गया था. दूसरी तरफ उद्धव गुट की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है.
शिवसेना-यूबीटी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने तंज करते हुए कहा कि ''इस देश में जो होता है जो मंजूरे अमित शाह और नरेंद्र मोदी होता है.'' प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि स्पीकर ने नियमों का उल्लंघन करते हुए फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार शाम शिवसेना (शिंदे गुट) के 16 विधायकों की अयोग्यता पर ले लिया सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को 10 जनवरी तक इस याचिका पर फैसला लेने की मोहलत दी थी।
18 महीने पहले उद्धव ठाकरे से बगावत करने वाले शिंदे 40 विधायकों के साथ पार्टी से अलग हो गए थे। शिवसेना (यूबीटी) का दावा था कि जब शिंदे ने पार्टी तोड़ी, तब उनके साथ दो तिहाई विधायक नहीं थे। अगर विधानसभा अध्यक्ष का फैसला शिंदे गुट के पक्ष में रहा, तो इसके लिए ठाकरे गुट सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेगा। अब महाराष्ट्र की सियासत विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के हाथ में है।
एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के अयोग्य होने पर महाराष्ट्र की महायुति सरकार में हलचल मचना तय है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के अपने 105 विधायक और एनसीपी के बागी अजित पवार के 40 विधायकों की मदद से सरकार बचा लेगी। अगर सरकार गिर जाती है और कोई सरकार बनाने का दावा नहीं करेगा तो केंद्र महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है।
लीगल एक्सपर्ट से जानिए, क्या कर सकते हैं स्पीकर राहुल नार्वेकर
पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी अनंत कालसे ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि ठाकरे गुट और शिंदे गुट की ओर से 34 पिटिशन विधानसभा अध्यक्ष के पास दायर की गई हैं। ये पिटिशन कुल 6 बार में अलग-अलग दायर की गई है। ठाकरे गुट ने चार और शिंदे गुट ने दो बार में अपनी याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं पर स्पीकर अलग-अलग फैसला दे सकते हैं। ऐसा भी संभव है कि स्पीकर दोनों गुटों के बागियों को अयोग्य करार दें।
चूंकि स्पीकर अलग-अलग मानदंडों पर फैसला लेंगे तो किसी की सदस्यता खत्म ही नहीं हो। दूसरी ओर, अधिवक्ता उज्जवल निकम के अनुसार, यह पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्पीकर को योग्यता और अयोग्यता पर फैसला देने को कहा गया है। स्पीकर राहुल नार्वेकर अलग-अलग याचिकाओं के लिए अलग राय रख सकते हैं। ऐसी स्थिति में वह किसी याचिका को स्वीकर और किसी को खारिज भी कर सकते हैं।
6 अलग-अलग फैसले से चौंका सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष
लीगल एक्सपर्ट मानते हैं कि अयोग्यता के फैसले लेते वक्त स्पीकर को संविधान की अनुसूची 10 के तहत फैक्ट और कानूनी पहलुओं को भी शामिल करना होगा। राहुल नार्वेकर छह गुटों की याचिकाओं की स्टडी करेंगे। उन्हें पार्टी व्हिप के समय का ध्यान रखना होगा। यह देखना होगा कि अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान व्हिप की क्या स्थिति थी। व्हिप का उल्लंघन किसने किया। इस 6 याचिकाओं पर अलग-अलग फैसला ले सकते हैं।
विधानसभा अध्यक्ष अगर शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराते हैं तो ठाकरे गुट के 14 विधायक पर सदस्यता खोने का खतरा मंडराने लगेगा। शिंदे गुट ने भी विधानसभा अध्यक्ष के पास 14 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए याचिका लगाई थी।
राहुल नार्वेकर ठाकरे के फैसले को कोर्ट में चुनौती देने के लिए दोनों पक्षों को 30 दिनों की मोहलत मिलेगी। ऐसी स्थिति में शिंदे सरकार की सांस कोर्ट के फैसला आने तक टिकी रहेगी।
कानूनी जानकारों के अनुसार, शिंदे गुट की अयोग्यता के बावजूद महाराष्ट्र में महायुति सरकार पर कोई खतरा नहीं है। अभी महाराष्ट्र में बहुमत का आकंड़ा 145 है। शिंदे गुट के 16 विधायकों के अयोग्य होते ही पार्टी से अलग होने वाले अन्य 24 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटक जाएगी। कुल 16 सीटें रिक्त होने पर बहुमत का हिसाब-किताब 265 सीटों के आधार पर होगा।
इस हिसाब से बहुमत का आंकड़ा भी 134 हो जाएगा। बीजेपी के समर्थन में अजित पवार गुट के 40 विधायक हैं, जिससे सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। इस स्थिति में डिप्टी सीएम अजित पवार सरकार में पावरफुल हो जाएंगे। 2024 में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी के लिए चुनावों तक महाराष्ट्र की सत्ता स्थिर रखना चुनौती है। ऐसी स्थिति में सीएम की कुर्सी अजित पवार के पास जा सकती है। बीजेपी की एक नेता ने बताया कि उनका लक्ष्य लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटों को जीतना है, अभी सीएम की पद बड़ा मुद्दा नहीं है।
अयोग्य हुए तो पहले इस्तीफा देंगे, फिर सरकार बना सकते हैं शिंदे
विधायकों के अयोग्य होते ही एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। सरकार में शिवसेना (शिंदे गुट) के 10 मंत्री हैं। नियम के मुताबिक, इन मंत्रियों को भी इस्तीफा देना होगा। सरकार में बीजेपी के 10 और एनसीपी के 9 मंत्री हैं। अयोग्य होते ही शिंदे के इस्तीफे से सरकार स्वत: गिर जाएगी।
इसके साथ ही नई सरकार को शपथ लेना होगा। ऐसे में शिंदे और उनके गुट के मंत्री दोबारा शपथ ले सकते हैं। वैद्यानिक नियमों के मुताबिक, अगले 6 महीने तक वह बिना सदन की सदस्यता के भी मंत्री रह सकते हैं। अगले 6 महीनों में दोबारा विधानसभा चुनाव हो जाएगा।
भाजपा के पास एक विकल्प और है। इसके तहत खुद देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे। शिंदे गुट के खाली पड़े पदों को भाजपा और एनसीपी के बीच बांटा जाएगा।
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