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शौचालय में भ्रष्टाचार:कहीं बने कागजों पर जहां बने वहां काम के नहीं

राज्य            Jun 18, 2018


उमरिया से सुरेंद्र त्रिपाठी।
भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय के निर्माण कराए जा रहे हैं, ताकि देश को स्वच्छ बनाया जा सके। लेकिन सरकार के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा इस योजना को पलीता लगाया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के उमरिया जिले से सामने आया है।

जहां पर 2 अक्टूबर तक जिले को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त)करने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन यहां के अधिकारी कर्मचारी ओडीएफ के चक्कर में कागजों में ही शौचालय निर्माण के आंकड़े दिखा बता रहे हैं।

जो शौचालय शासन की ओर से बनवाए जा रहे हैं, वह भी घटिया निर्माण के कारण तेज हवा के झोंके और ठोकर लगने से गिर रहे गिर हैं। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है किस तरह है इस अभियान के तहत प्राप्त राशि का बंदरबांट किया जा रहा है।

यह आरोप ग्रामीण क्षेत्रों से आये ग्रामीणों ने कलेक्टर की जनसुनवाई में लगाए हैं। मानपुर जनपद के ग्राम नौगांवा से आए अमित पटेल ने बताया कि मैं जनसुनवाई में तीन बार शौचालय निर्माण की राशि का भुगतान के लिये आवेदन दे चुका हूं। लेकिन अभी तक शौचालय निर्माण की राशि का भुगतान नहीं हुआ। मैंने जिस मजदूर से शौचालय निर्माण करवाया था अब उसे मजदूरी का भुगतान कहां से करूं?अमित पटेल ने आगे बताया कि पूरे पंचायत के लोगों को आज तक शौचालय निर्माण के नाम पर एक रुपया भी नहीं मिला।

लोगों ने जो शौचालय बनवाए थे उनकी स्थिति तो ठीक है और लोग उनका उपयोग भी कर रहे हैं। पर इन शौचालय की राशि का भुगतान नहीं हुआ है। लेकिन जो शौचालय पंचायत द्वारा बनवाए गए हैं उनकी स्थिति बहुत ही खराब है क्योंकि यह गुणवत्ताहीन बनवाए गए हैं। वहीं महरोई गांव से आए 65 वर्षीय बुजुर्ग लखन लाल चौधरी ने बताया कि पंचायत द्वारा जो शौचालय बनवाए गए हैं वह घटिया निर्माण के चलते गिरने लगे हैं।

शौचालय निर्माण में विरली ईट जुड़वा कर लगाई गई हैं। जाली वाला बना है जिससे हम लोग इसका उपयोग ना कर खुले में शौच के लिए जाते हैं। इसी गांव से पंचायतों में मेसन का काम करने वाले मिठाईलाल चौधरी ने बताया कि हमारी पंचायत में तो शौचालय निर्माण के नाम पर बहुत भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

जो शौचालय पंचायत द्वारा बनवाये गये है वह मात्र 3 फीट के गड्ढे में बने हैं जरा सा धक्का लग जाने पर गिर जाएंगे।

इसकी शिकायत अगर सरपंच सचिव से करो तो कहते हैं जहां शिकायत करना है कर आओ हमारा कुछ नहीं होगा। यह हाल तो कलेक्टर की जनसुनवाई में आये ग्रामीणों ने बताये।

जब हमने ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनी हकीकत की पड़ताल की तो स्थिति बद से बदतर निकली आकाश कोट जनपद के बाजाकुंड गांव में पानी की समस्या के चलते लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते।

यहां की आशा कार्यकर्ता इंदिरा बाई ने बताया कि गांव में कुछ शौचालय बने हैं लेकिन गांव में पानी की बहुत समस्या है लोग 5 किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं। इस कारण लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते क्योंकि बाहर शौच जाने के लिए एक लोटा में काम चल जाता है और शौचालय के लिए एक बाल्टी पानी चाहिए पड़ता है।


नयागांव में जाकर जमीनी हकीकत की पड़ताल की तो यहां के लोगों में जागरूकता की कमी देखी गई। यहां के लोग शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे हैं। गांव के ही जगतराम सिंह ने बताया कि यहां कुछ लोगों के शौचालय बने हुए हैं लेकिन वह लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते। लोगों को समझाने के बाद भी लोग खुले में शौच करने के लिए जाते हैं। शौचालय में कंडे लकड़ी व अन्य सामग्री रखे हुए हैं।

यही स्थिति नगरीय क्षेत्रों में भी देखने को मिली। जिला मुख्यालय के लालपुर बस्ती के हालात भी ग्रामीण क्षेत्रों जैसे ही है। महिलाएं, बच्चे , पुरुष सभी शौच के लिए बाहर जाते हुए देखे जा सकते हैं वहीं मुख्य नगरपालिका के अधिकारी रामेश्वरी पटेल का कहना है कि यहां पर तीन चार वार्ड को छोड़कर सभी वार्ड ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त )घोषित किए जा चुके हैं।

अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब ज्यादातर वार्ड ओडीएफ घोषित किए जा चुके हैं
यहां के लोग खुले में शौच के लिये क्यों जाते हैं?

इस पूरी पड़ताल में यह तथ्य निकल कर सामने आए हैं कि ओडीएफ के चक्कर में इन अधिकारी कर्मचारियों द्वारा सिर्फ कागजी कार्यवाही की जा रही है और जहां शौचालय बनवाए गये हैं वह भी गुणवत्ताहीन बनाए गये हैं जिसके कारण लोग शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे हैं और वही ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण भी शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे हैं।

इस पूरी पड़ताल से एक बात तो साफ़ है कि जब सरकार इतने बड़े स्तर पर स्वच्छ भारत अभियान चला रही है। तो इस अभियान का असर देखने को अब तक क्यों नहीं मिल रहा है? स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों रुपए शासन खर्च कर रही है तो यह राशि जा कहां रही है। लोगों को शौचालय निर्माण की राशि का भुगतान क्यों नहीं हो पा रहा है?


शौचालय की जमीनी हकीकत देख कर साफ़ नजर आता है कि शौचालय के मामले में सहकारिता का सिद्धांत जिले में जोरों पर काम कर रहा है,जिसके हिस्से में जितना आ रहा है बजट डकारने में लगे हैं।

ये अधिकारी, कर्मचारी प्रदेश से लेकर केंद्र तक कागजी आंकड़े और फर्जी जानकारी भेज कर अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं, इतना ही नहीं जब कोई जांच टीम आती है तो चुपचाप उसको कुछ अच्छे और निजी शौचालय दिखा कर कोरम पूरा कर लेते हैं।

ऐसे में आवश्यकता है कि केंद्र सरकार एक टीम भेज कर जांच करवाए और सभी दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही हो, तब देश के प्रधान मंत्री का सपना साकार होगा।

 


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