मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद दिग्विजय सिंह दिग्विजय सिंह ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुने गए गोपाल भार्गव की तारीफ करते हुये कहा कि भार्गव में हमारे संस्कार हैं। वे पहले युवक कांग्रेस में रह चुके हैं। हम कोशिश करके भी हरा नहीं पाए। उनके यहां पूरे समय भंडारा चलता है। यह आसान काम नहीं है। मैं जयवर्द्धन से कहूंगा कि उनसे सीखें।
उन्होंने सदन से भाजपा के बहिर्गमन और हंगाम पर कहा कि बहुमत हासिल नहीं हुआ तो हुड़दंग मचा रहे हैं। अब यही काम है हल्ला बोलो, हुड़दंग मचाओ। रायता फैलाओ। अब हम समेटेंगे।
श्री सिंह ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए कहा कि विधायक बैजनाथ कुशवाह को मंत्री पद और सौ करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया था। नारायण त्रिपाठी ने कुशवाह को दस किमी दूर बुलाया, जहां नरोत्तम मिश्रा और विश्वास सारंग ने सरकार गिराने की शर्त रखकर यह ऑफर दिया। मेरे पास इसकी रिकार्डिंग है।
उन्होंने कहा कि ऐसे ही कुछ और विधायकों को तोड़ने की कोशिश की गई थी, लेकिन हमारे विधायक अडिग रहे। सिंह ने कहा कि बीजेपी अब खरीद-फरोख्त से बाज आएं। विधायक एनपी प्रजापति को विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने से नाराज भाजपा विधायकों के सदन से बहिष्कार को देखते हुए सिंह को एक बार फिर मोर्चा संभालना पड़ा।
उन्होंने कहा कि जो जनसंघ चना खाकर राजनीति करने वाले नेताओं की पार्टी थी, वह भाजपा अब ठेकेदारों की पार्टी बन गई है। सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार में अवैध रेत खनन मॉडल नहीं चलेगा। छिंदवाड़ा विकास मॉडल चलेगा।
सिंह ने कहा कि प्रदेश के जर्रे-जर्रे में भ्रष्टाचार हुआ है। सब निकाला जाएगा। अध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर भाजपा हंगामा कर रही है। जबकि चुनाव में पूरी प्रक्रिया और नियमों का पालन किया गया है। उन्हें पर्याप्त अवसर दिया। वे प्रस्ताव पढ़ने का कह रहे थे। आप नियम देख लीजिए। हम चुनाव के लिए तैयार थे, परंपरा नहीं तोड़ना चाहते थे। उन्होंने कहा कि भाजपा में नेता गुटों में बंट गए हैं। जैसे चुनाव के समय शिवराज अकेले पड़ गए थे, वैसे ही नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में भी अकेले पड़ गए। मुझे पता चला है कि गोपाल भार्गव, कैलाश विजयवर्गीय के प्रत्याशी थे।
सिंह ने कहा कि भाजपा विधायकों ने अल्पमत की सरकार कहकर राज्यपाल को चुनौती दे दी है कि कैसे अल्पमत की सरकार को शपथ दिला दी। अब इन लोगों को राज्यपाल से माफी मांगनी चाहिए।
सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस आरक्षण के विरोध में नहीं है। कांग्रेस हमेशा से सवर्ण वर्ग के गरीबों को सुविधा देने के पक्ष में रही। केंद्र सरकार की घोषणा पर बोले कि ये तो जुमला है। सुप्रीम कोर्ट का नियम 50 फीसदी आरक्षण देने का है। इससे ज्यादा देना है तो संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। हम आरक्षण देने के पक्ष में हैं। इस वर्ग को भी अधिकार मिलना चाहिए।
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