सतीश एलीया।
जिनको लग रहा है कल विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ वो जरा वरिष्ठ पत्रकार सतीश एलिया के इस कमेंट को पढ़ लें और जाले साफ कर लें कि किस झोंके में दो विधायक कांग्रेस के पाले में पहुंच गए। अपने आप मे ये पहला मामला है। पर कुछ पार्टी समर्थक पत्रकारों की खुशी समझ नहीं आ रही। जो इसे इस तरह प्रचारित कर रहे हैं। संसदीय रिपोर्टिंग की थोड़ी बहुत जानकारी रखने वाला भी ये समझ जाएगा कि क्या हुआ क्या नहीं।
ये फ्लोर टेस्ट था? भाजपा सर्वसम्मति से विधेयक पास कराने की बात कह रही थी, यह सरकार के लिए विधेयक पास कराने की श्रेष्ठ स्थिति है, लेकिन एक बसपा विधायक ने मत विभाजन की मांग की, चूंकि विधेयक पर सर्व सम्मति थी, लिहाज उसके विपक्ष में भाजपा विधायक वोट क्यों करते?
पक्ष में इसलिए 122 वोट पड़े, विपक्ष में शून्य वोट.... इसमें फ्लोर टेस्ट कहां था? फ्लोर टेस्ट में व्हिप जारी होता है, ऐसे हालात होते तो क्या सरकार के पक्ष में 122 वोट पड़ते..... लगातार 26 साल विधानसभा की रिपोर्टिंग में ऐसा पहली बार ही सुना और देखा अपन ने तो.. गजबई है.... यह सही है कि भाजपा विस अध्यक्ष चुनाव और उपाध्यक्ष चुनाव में भारी फेल हुई रणनीति के मामले में क्योंकि सदन में भाजपा का एक नेता नहीं है कई हैं गोपाल भार्गव आधिकारिक, शिवराज पूर्व सीएम के नाते से और नरोत्तम मिश्रा पूर्व संसदीय कार्य मंत्री के नाते से और फिर अगली रणनीति भाजपा आपस में खेंचतान करके बना रही है सदन में भी और बाहर भी....यह कांग्रेस ने भाजपा को चोंटिया ली है.. ये फ्लोर टेस्ट तो कतई नहीं था....
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