दीपक गोस्वामी।
वे विधायक हैं न? लेकिन कैसे बने? बाप ने अपना टिकट कुर्बान किया और बेटे को दिलाया. प्रदेश में पार्टी जीते या हारे, बेटे की जीत में खुद को झोंक दिया.
जो कमाया, बाप ने कमाया. आकाश ने क्या किया? खुद के बूते क्या हासिल किया?
उनके बाप कैलाश विजयवर्गीय न होते तो आकाश पार्षदी का चुनाव भी नहीं जीते होते. चुनाव तो दूर की बात, पार्षद का टिकट तक नहीं मिलता.
जिसकी राजनीतिक कमाई अब तक बड़ा अंडा यानी बिग जीरो हो, वो जब हाथ में बल्ला लेकर किसी सरकारी अधिकारी को पीटते हुए कहता है कि वह जनता के लिए काम कर रहा है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होता.
आश्चर्य इसलिए नहीं होता क्योंकि बाप के रुतबे पर शहर भर में उड़ने वाला लौंडा जब बाप द्वारा विधायक बनवा दिया जाए तो रहेगा तो वो लौंडा ही. विधायक बनने से उसकी लौंडागिरी दूर थोड़ी न हो जाएगी.
अगर वे विधायक के पद तक राजनीतिक सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ कर पहुंचे होते, तो जनता के लिए कैसे आवाज उठाई जाती है! विधायक का काम करने का तरीका क्या होता है! विधायक के अधिकार या एक सरकारी कर्मचारी का अधिकार क्षेत्र क्या होता है? इस सबकी जानकारी उन्हें होती.
लेकिन वे पैराशूट से विधानसभा में लैंड कर दिए गये, उनका राजनीतिक अनुभव सिर्फ इतना था कि बाप की विरासत को उनके विधानसभा क्षेत्र में संभाला करते थे.
संभाला क्या करते थे, हम सब जानते हैं कि विधायक और सांसदों के लौंडे करते क्या हैं? वे व्यवस्था को अपने बाप की जागीर समझते हैं.
इसी संदर्भ में पिछले ही हफ्ते मध्य प्रदेश में भाजपा सांसद प्रहलाद पटेल और भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल के बेटों की गुंडागर्दी सबने देखी ही है. जहां सांसद का लड़का गिरफ्तार हुआ है और विधायक का लड़का फरार है.
वैसी ही गुंडागर्दी अधिकांश सांसद और विधायकों के लड़कों में रहती है. अब अगर ये बिगड़ैल लड़के विधायक या सांसद बन जाएं तो आप सोचें कि रातों-रात इनकी आदतें बदल जाएंगी तो आप नासमझ हैं.
आकाश विजयवर्गीय भी वही बिगड़ैल लड़का है जो रातों-रात बाप के द्वारा विधानसभा का सदस्य यानी विधायक बनवा दिया गया. वह सिर्फ लड़कपन जानता है जो अब तक बाप की धौंस दिखाकर करता रहा था और उसके बाप के डर से किसी की हिम्मत उसके खिलाफ खड़ा होने की नहीं होती थी.
लेकिन अब वो विधायक बन गया है और अब भी उसे लगता है कि ऐसे ही विधायकी संभाल लेगा.
पर आकाश भूल गये कि जब बाप की सरपरस्ती में गुंडागर्दी की होगी तब वे विधायक नहीं थे, इसलिए उन पर मीडिया की उतनी नजर नहीं थी. अब विधायक हैं. अब लड़कपन नहीं चलेगा.
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