संजीव जैन।
मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब है, प्रदेश कर्ज में डूबा हुआ है और विकास कार्यों के साथ ही वेतन भत्तों के लिए सरकार के पास पैसे का अभाव है।
अर्थात आम जनता को सरकार से मिलने वाली हर सुविधा के लिए सिर्फ इंतजार ही करना होगा, लेकिन इसके विपरीत मध्यप्रदेश में राजनीतिक दल बेहद संपन्न है।
बानगी देखिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए विपक्षी दल भाजपा के नेता एक विधायक की कीमत 100 करोड़ लगा रहे हैं साथ में मंत्री पद का ऑफर है। गजब की लोकतांत्रिक व्यवस्था है।
विश्व की सर्वाधिक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था यानि भारत में हर एक चुनाव पर चुनाव आयोग की पैनी निगाह रहती है। कोई उम्मीदवार एक वोट की भी खरीद फरोख्त ना कर सके यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। लेकिन इसका दूसरा कड़वा सच यह है कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों की खुल कर बोली लगाई जा रही है।
इसके बावजूद सर्वत्र सन्नाटा! आखिर कोई तो आधार होगा कि पहले मुख्य मंत्री कमलनाथ ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया और इसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने।
उन्होंने खुला आरोप लगाया है कि भाजपा के दो पूर्व मंत्री क्रमशः नरोत्तम मिश्रा और विश्वास सारंग ने विधायकों को खरीदने की कोशिश की और उन्हें 100 करोड़ रुपए देने के ऑफर के साथ मंत्री बनाए जाने का प्रलोभन दिया है।
हालांकि भाजपा इन आरोपों को नकार रही है लेकिन सत्ताधारी दल के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के आरोप को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। सियासतदारो के संगीन आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं जबकि जनता मूक दर्शक होकर अपनी सरकार और विपक्ष को तमाशबीन की तरह देख रही है।
आश्चर्य इस बात का है कि इतने खुले आरोपों के बावजूद प्रदेश-देश की कोई जिम्मेदार संवैधानिक संस्था स्व प्रेरित होकर इन आरोपों की प्रमाणिकता ना जांच रही है और ना ही कोई कदम उठा रही है।
तब क्या यह माना जाए कि हमारे देश में सिर्फ चुनाव के दौरान जनता से वोट खरीदना अपराध की श्रेणी में है। लेकिन चुनी हुई सरकार के विधायक को खरीदने के लिए रुपए और मंत्री पद का लालच देना जायज़ है?
वैसे इन संगीन आरोपों के बीच विपक्ष को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
यदि दिग्विजय सिंह ने कहा है कि वह समय आने पर इसके प्रमाण उपलब्ध कराएंगे तब उस स्थिति में भाजपा के आरोपित विधायकों के पास क्या सबूत है कि श्री सिंह के आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं? आखिर जनता के सामने सच सामने आना ही चाहिए।
लेखक प्रदेश की हलचल समाचार पत्र के संपादक हैं।
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