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मध्यान्ह भोजन के लिए बच्चे भरते हैं पानी,धोते हैं बरतन

राज्य            Sep 25, 2017


उमरिया से सुरेन्द्र त्रिपाठी
मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में मध्यान्ह भोजन के लिए बच्चों को पानी लाना पड़ता है और बर्तन भी धोना पड़ता है। स्वसहायता समूह कुछ भी करने से कतराते हैं। मानपुर जनपद के चिल्हारी कन्या माध्यमिक शाला और करकेली जनपद के सेमड़ाडी प्राथमिक शाला में है ये हाल। शिक्षक शिकायत करके परेशान। जिला कलेक्टर ने दिया कार्यवाही का आश्वासन।

उमरिया जिले के मानपुर जनपद के कन्या माध्यमिक शाला चिल्हारी और करकेली जनपद के प्राथमिक शाला सेमड़ाडी में जब मध्यान्ह भोजन का हाल देखने गए तो वहां की स्थिति देख कर लगा की बच्चियां पढ़ने की जगह मजदूरी करने स्कूल आती हैं। कन्या माध्यमिक शाला चिल्हारी में कक्षा 8 की छात्रा लक्ष्मी कुशवाहा और खुश्बू सोनी ने बताया कि हमको पतली दाल और पानी भरी सब्जी वह भी आलू की और एक चम्मच चावल खाकर गुजारा करना पड़ता है।

बर्तन भी खुद ही धोना पड़ता है और पीने के अलावा खाना बनाने के लिए पानी भी दूर से भर कर लाना पड़ता है। वहीं जब करकेली जनपद के प्राथमिक शाला सेमड़ाडी में छोटी–छोटी बच्चियां मध्यान्ह भोजन के बाद स्कूल परिसर में लगे हैण्ड पम्प में जाकर पानी पीती हैं और अपना बर्तन भी खुद धोती हैं। 

इस मामले में जब कन्या माध्यमिक शाला चिल्हारी की प्रधानाध्यापिका से बात करनी चाही गई तो वो स्कूल से नदारद मिली। वहां मिले तो मात्र अतिथि शिक्षक। अतिथि शिक्षक छोटमन प्रजापति से बच्चियों के द्वारा बर्तन धोने और पानी भरने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि 1 माह से नल ख़राब है, सूचना भी दी गई कोई नहीं बनवाते हैं। उन्होंने बताया कि स्वसहायता समूह वाले मना करते हैं, कहते हैं कि हम दूर से पानी नहीं लायेंगे, बच्चों द्वारा बर्तन धोने के मामले में बताया गया कि समूह वालों को कई बार लिखित दिया गया आदेशित किया गया लेकिन वे सुनते नहीं हैं। संकुल से लेकर बीआईसी तक शिकायत की जा चुकी है।

इस बारे में जब जिले के कलेक्टर माल सिंह भायडिया का कहना है कि निरीक्षण करवा कर कार्यवाही की जायेगी।

गौरतलब है कि जिले में स्वसहायता समूह नेताओं और रसूखदारों के संरक्षण में चलते हैं जिसके कारण कोई कार्यवाही नहीं होती और मनमाने ढंग से मध्यान्ह भोजन की औपचारिकता निभा कर बच्चों के हक़ पर खुले आम डाका डालते हैं। वहीं शिक्षा विभाग एवं जिला पंचायत में पदस्थ मध्यान्ह भोजन प्रभारी मूक दर्शक बन कर तमाशा देखते रहते हैं और अपनी जेब भरने में मशगूल रहते हैं।
                                     

 


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