मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह को दिल्ली हाई कोर्ट से आज गुरुवार 29 अगस्त को झटका लगा. हाई कोर्ट ने पहलवानों के आरोपों के मामले में दायर सिंह की याचिका पर फिलहाल सुनवाई से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि उन्होंने अपने खिलाफ आरोप तय करने के आदेश और कार्यवाही को चुनौती देने के लिए एक ही याचिका क्यों दायर की है?
बृजभूषण सिंह ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले में दर्ज FIR और आरोपों को रद्द करने की मांग की थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान अदालत ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को चुनौती देने, प्राथिमिकी, आरोप पत्र और अन्य सभी कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध करने के लिए एक ही याचिका दायर करने पर उनसे सवाल किया.
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने गुरुवार को कहा, ‘‘हर चीज पर कोई एक आदेश लागू नहीं हो सकता. यदि आप आरोपों पर आदेश को रद्द करना चाहते थे तो आप आ सकते थे. वह मुकदमा शुरू होने के बाद हर बात को चुनौती दे रहे हैं. यह कुछ और नहीं बल्कि एक टेढ़ा रास्ता है.''
बृजभूषण सिंह के वकील ने क्या कहा?
दिल्ली हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में दर्ज प्राथमिकी और आरोप रद्द करने का अनुरोध वाली दलीलों पर नोट दाखिल करने का समय दिया है. कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 26 सितंबर तय की है.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव मोहन ने कहा कि कथित पीड़ितों द्वारा बताए गए उदाहरणों में कोई निरंतरता और कारणों में कोई समानता नहीं है. उन्होंने तर्क दिया कि सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोप किसी अन्य मकसद से ‘‘प्रेरित’’ हैं और चूंकि वह उस समय डब्ल्यूएफआई के प्रमुख थे, इसलिए सभी शिकायतों का साझा उद्देश्य उन्हें डब्ल्यूएफआई प्रमुख के पद से हटाना था.
Comments