ओम प्रकाश।
भारतीय महिला टीम ने 45 वर्षों में सिर्फ 38 टेस्ट मैच खेले हैं। इस हिसाब से इंडियन वुमेन टीम का एक साल में एक टेस्ट मैच खेलने का औसत नहीं है।
महिला टीम ने साल 1976 में 31 अक्टूबर से लेकर 2 नवंबर के बीच पहला टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बैंगलुरु में खेला था। वर्ष 2022 बीतने को है।
भारतीय महिला टीम ने इस साल अभी तक एक भी टेस्ट मैच नहीं खेला है। साल 2021 में महिला टीम ने दो टेस्ट मैच जरूर खेले थे।
लेकिन तब भारतीय महिला टीम ने 7 साल के बाद पहली बार कोई टेस्ट मैच खेला था।
1976 में टेस्ट मैच खेलने की शुरुआत करने वाली भारतीय टीम ने उस साल 6 मुकाबले खेले थे।
ये भारतीय महिला द्वारा एक वर्ष में खेले गए अब तक के सबसे ज्यादा टेस्ट मैच हैं।
अगले वर्ष 1977 में भारतीय टीम ने सिर्फ 2 टेस्ट मैच खेले। इसके बाद 6 साल तक भारतीय महिला टीम ने कोई टेस्ट मैच नहीं खेला।
साल 1984 में टीम इंडिया ने 4 टेस्ट मैचों में शिरकत की। इसी तरह 1985 में 3 और 1986 में भी तीन टेस्ट मैच खेले।
1986 के बाद भारतीय महिला टीम ने फिर 1991 में टेस्ट मैच खेले।
इस वर्ष टीम इंडिया ने तीन मुकाबले खेले थे। इसके बाद तीन साल का अंतराल रहा। 1995 में वुमेन टीम ने 4 टेस्ट मैच खेले। तीन साल फिर गैप रहा।
1999 में भारतीय महिला टीम ने सिर्फ एक टेस्ट मैच खेला। वर्ष 2000 और 2001 खाली रहा। 2002 में महिला टीम ने तीन टेस्ट मैचों में नुमाइंदगी की।
अगले साल 2003 में एक टेस्ट खेला, 2004 सिफर रहा। साल 2005 में टीम वुमेन टीम ने एक और 2006 में तीन टेस्ट खेले।
वर्ष 2006 के बाद लंबा गैप रहा। करीब 8 साल बाद भारतीय महिला टीम ने 2014 में 2 टेस्ट मैच खेले। इसके बाद अगले 6 वर्ष तक कोई टेस्ट मैच नहीं।
फिर 2021 में महिला टीम ने 2 मुकाबले खेले थे।
भारतीय महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों के बराबर मैच फीस मिलेगी यह ढोल पीटना ठीक है।
जरा गौर कीजिए अगर आपकी टीम 7-7 साल तक एक भी टेस्ट मैच नहीं खेलेगी, या एक साल में सिर्फ 1-2 टेस्ट ही खेलेगी।
इसका फायदा टेस्ट टीम में शामिल खिलाड़ियों को ज्यादा नहीं मिलेगा। किसी-किसी महिला खिलाड़ी का तो चार-पांच साल में करियर समाप्त हो जाता है।
हां, यह सच है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा बढ़ाई गई मैच फीस का लाभ वनडे और टी-20 मैच खेलने वाली खिलाड़ियों को ज्यादा मिलेगा।
क्योंकि महिला टीम टेस्ट की अपेक्षा सीमित प्रारूप के मैच ज्यादा खेलती है, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को चाहिए कि वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की टेस्ट मैचों में अधिक भागीदारी सुनिश्चित करे।
इसके अलावा बीसीसीआई महिला खिलाड़ियों की पुरुष क्रिकेटरों की तरह A+ कैटेगरी भी बनाए।
बीसीसीआई प्रमुख के तौर पर रोजर बिन्नी का आगाज अच्छा है।
पुरुष क्रिकेटरों के बराबर महिला खिलाड़ियों को मैच फीस देने का ऐलान करना सराहनीय काम है।
इसके बावजूद भारतीय महिला क्रिकेटरों सें संबंधित कई मुद्दे और हैं।
कुल मिलाकर बड़ी मैच फीस से महिला खिलाड़ियों के हौसलों को उड़ान मिलेगी, अब भारतीय खिलाड़ी और दम लगाकर खेलेंगी।
लेखक क्रिकेट के जानकार हैं।
Comments