नितिन कुमार।
रवि शास्त्री , 80 के दशक के भारतीय क्रिकेट के ग्लैमर ब्वॉय
धीमी गति से बल्लेबाजी करने के लिए कुख्यात , लेकिन रणजी मैच में छह गेंदों पर छह छक्के लगाने का रिकॉर्ड भी अपने साथ लिए हुए। इसके बाद भले ही रवि शास्त्री ने टुकड़ों में अच्छा प्रदर्शन किया हो ,लेकिन उनके खेल की निरंतरता गायब हो गई। उनका नाम क्रिकेट के लिए कम और गॉसिप पत्रिकाओं में अमृता सिंह से लेकर गैब्रिएला सबाटिनी के साथ अधिक छाया रहता था।
रवि शास्त्री ने एक युवा स्पिनर के तौर पर भारतीय टीम में दस्तक दी थी। लेकिन समय के साथ उन्होंने लगभग हर बल्लेबाजी क्रम पर बल्लेबाजी की। बेनसन एंड हैजेज वर्ल्ड सीरीज चैंपियनशिप ट्रॉफी का आयोजन ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में यूरोपियन बसावट के 150 वर्ष पूर्ण होने पर किया गया था।
1983 के विश्व विजेता बनने के बाद 1984 में पहले एशिया कप का विजेता भी भारत था। "मैन इन ब्लू" की शुरुआत इसी वर्ल्ड चैंपियनशिप से हुई थी। दूधिया रोशनी ,रंगीन कपड़े और सफेद गेंद की त्रिवेणी का आगमन भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इसी समय हुआ।
टूर्नामेंट की फेवरेट फिर से वेस्टइंडीज थी और भारत यह साबित करना चाहता था की 1983 की उसकी जीत महज एक तुक्का नहीं थी। भारत के लिए यह टूर्नामेंट ठीक वैसे ही रहा जैसे राजीव गांधी के लिए 1984 का लोकसभा चुनाव रहा था।
यानी "ऑल इज वेल "।भारतीय टीम पूरे टूर्नामेंट में अपराजित रही। जैसे कांग्रेस 1984 के चुनाव में रही थी।
टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाने वाला (श्रीकांत ) और विकेट लेने वाला (रॉजर बिन्नी) भी भारतीय खिलाड़ी था और इस टूर्नामेंट का नायक यानी चैंपियंस ऑफ चैंपियन था युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह युवा खिलाड़ी रवि शास्त्री।
इस बार वेस्टइंडीज के सपने को तोड़ा था दूसरी एशियाई टीम पाकिस्तान ने। भारत और पाकिस्तान के बीच दो मुकाबले हुए एक लीग मैच और दूसरा फाइनल। दोनों में भारत ने पाकिस्तान को आसानी से हरा दिया। बड़े टूर्नामेंटों में भारत से पाकिस्तान के हारने की शुरुआत यहीं से हुई थी।
विजेता भारत के कप्तान सुनील गावस्कर ने इसके बाद कप्तानी छोड़ दी और पाकिस्तान में भी इसके बाद जावेद मियांदाद की कप्तानी इमरान खान के पास पहुंच गई। इसी भारतीय टीम में एक प्रतिभाशाली युवा स्पिनर था। जिसका अंतरराष्ट्रीय करियर लंबा नहीं चला।उसका नाम था लक्ष्मण शिवरामा कृष्णन।
इसी टीम में एक लंबा, पतला- दुबला बल्लेबाज था ,जिस की लोकप्रियता उस समय राजीव गांधी से भी ज्यादा थी। जिसे साथी अजहर के नाम से पुकारते थे
इसी टीम में एक पतला दुबला गेंदबाज भी था जो हल्की दाढ़ी रखता था। जिसके नाम के साथ जावेद मियांदाद का नाम जुड़ने वाला था। उसका नाम था चेतन शर्मा। इसी टीम में दिल्ली का एक और बॉलर था जो भविष्य में मैच फिक्सिंग की रिवर्स स्विंग फेंकने वाला था। नाम था मनोज प्रभाकर।
सचिन की भले ही उन्हें गिफ्ट में मिली फेरारी की सभी तरह की ड्यूटी माफ कराने के लिए आलोचना की जाती हो। लेकिन जब विजेता बनने के बाद कप्तान सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिलने पहुंचे, तब जैसे ही राजीव गांधी ने कहा रवि तुमने सुना होगा की तुम्हारी ऑडी पर सभी तरह की ड्यूटी माफ की जाती है। रवि शास्त्री ने तुरंत इस डर से कि कहीं राजीव गांधी का मन नहीं बदल जाए हाथ आगे बढ़ाकर कहा" थैंक यू वेरी मच सर "
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