नम आंखों और शहद के कतरे से टूटा इरोम का अनशन बोलीं मुख्यमंत्री बनना है

वामा            Aug 09, 2016


मल्हार मीडिया ब्यूरो। पूरी दुनिया के सामने, कैमरों की फ़्लैशलाइट के बीच थोड़े से शहद के क़तरे के साथ सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला की 16 वर्ष लंबी चली भूख हड़ताल एक पल में ख़त्म हो गई। लेकिन इरोम के लिए भूख हड़ताल तोड़ने से पहले के वो चंद लम्हे बहुत मुश्किल और भावुक करने वाले थे। उनके हाथों में शहद का चम्मच था लेकिन उसे होठों तक ले जाने में इरोम की नम आँखें थी। लंबी साँस और काँपते हाथों से उन्होंने शहद चखा और अनशन तोड़ा। इरोम मणिपुर में आफ़्सपा यानी सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम के ख़िलाफ़ अनशन कर रही थीं जो राज्य में अभी भी जारी है। इरोम ने शाम 4 बजकर 20 मिनट पर शहद चखकर अनशन तोड़ा. उसके बाद वो काफ़ी भावुक हो गईं और रोने लगीं। काफ़ी देर तक रोने के बाद इरोम ने कहा कि वो इस पल को कभी भूल नहीं पाएंगी। भूख हड़ताल तोड़ने के बाद भी वो अपने प्रण पर क़ायम हैं। इरोम ने कहा कि वे अभी अपनी मां से नहीं मिलेंगी क्योंकि उनका मक़सद अभी पूरा नहीं हुआ है। अपनी भावनाओं को समेटते हुए इरोम ने कहा कि मणिपुर की राजनीति बहुत गंदी है, जो समाज का ही हिस्सा है, लेकिन वो उसमें उतरना चाहती हैं। राजनीति में आकर हालात बदलने की इच्छा जताते हुए इरोम ने कहा, ''हमें लगभग 20 निर्दलीय उम्मीदवारों की तलाश है।'' इरोम ने कहा, मैं मणिपुर की मुख्यमंत्री बनना चाहती हूँ। मैं राजनीति नहीं समझती, ज़्यादा पढ़ी लिखी भी नहीं हूँ, लेकिन आफ़्सपा को हटाने के लिए कुछ करना चाहती हूँ। इससे पहले, दिन में इरोम शर्मिला को सुबह इंफ़ाल में अदालत में लाया गया जहाँ मज़बूती से उन्होंने अपनी बात रखी और कहा मेरे ज़मीर को जैसे क़ैद कर लिया गया है, अब मैं आज़ादी चाहती हूँ। एकदम तन्हा ज़िंदगी बिताने वाली इरोम शर्मिला को देखने मानो कोर्ट खचाखच भरा हुआ था। उनके मीडिया के सामने आते ही हंगामा मच गया और इरोम को वहाँ से हटा लिया गया। नारेबाज़ी, धक्कामुक्की के बीच इरोम शर्मिला के बड़े भाई और अब तक उनके हर क़दम में साथ देने वाले भाई इरोम सिंघजीत सिंह भी बहन के इस अहम दिन पर सुबह सवेरे कोर्ट पहुँचे। उनके लिए भी ये भावुक पल था। उन्होंने कहा, मुझे याद है 11 नवंबर 2000 का दिन मैं शर्मिला को कोर्ट में मिलने गया था। उसने मुझसे कहा था कि मैंने भूख हड़ताल पर जाने का फ़ैसला बहुत सोच समझकर लिया है। तुम मुझे वापस लेने के लिए आए हो तो आज की मुलाक़ात हमारी आख़िरी मुलाक़ात होनी चाहिए।


इस खबर को शेयर करें


Comments