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प्रकाश हिन्दुस्तानी [/caption]
2 अगस्त यानी फ्रेंडशिप डे से डॉ प्रकाश हिंदुस्तानी ने अपने फेसबुक वॉल पर एक सीरीज शुरू की। उनके आॅनलाईन फ्रेंड्स में से हर रविवार एक दोस्त से उसकी खूबियों के साथ रूबरू करा रहे हैं। मल्हार मीडिया के पाठक भी अब डॉ.हिंदुस्तानी खजाने से हर शनिवार मिलेंगे एक से एक नगीनों से। क्या पता ये आपके लिये प्रेरणा का कारण बन जायें। इस बार मिलिये हमेशा जीत का जज़्बा रखनेवाली महिमा शर्मा से
उनके हौसले को सलाम। बुलंद इरादे, जिंदादिल इंसान, हमेशा जीत का जज़्बा रखनेवाली हैं महिमा। शानदार टीम लीडर, सफलतम मैनेजर !
वे ब्रेस्ट कैंसर पर 'विजय' पानेवाली आंत्रप्रेन्योर है, फिल्ममेकर है, पत्नी है, माँ है, एडपर्सन हैं, एथलीट हैं, 200 छोटी-बड़ी फ़िल्में बना चुकी हैं, दुनिया के कई देश घूम चुकी हैं; कुछ टीम के साथ, कुछ अकेले। छह साल के बेटे की माँ हैं, महीने में 15-20 दिन यात्राएं करती हैं। काम के वक़्त काम और मस्ती के वक़्त मस्ती। जोश से भरी गोली, उत्साह से लबरेज!
वे शार्ट फिल्म 'खटारा' प्रोड्यूस कर रही थीं कि ब्रेस्ट कैंसर होने की सूचना रिपोर्ट मिली। इलाज शुरू हुआ, पर्सिस खम्बाटा की तरह होना पड़ा. लेकिन बंदी कीमोथैरेपी के दो दिन बाद ही काम में जुट गईं और योग, ध्यान, प्राणायाम को अपनाकर जीत हासिल करने में लग गईं. उनके बारे में वेबदुनिया में जयदीप कर्णिक ने एक टिप्पणी लिखी, जिसे पढ़कर उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया। महिमा का मानना है कि इलाज के साथ ही योग, प्राणायाम, ध्यान बहुत मदद करते हैं।
योग और प्राणायाम की असली ब्रांड एम्बेसेडर कोई है तो वे ही हैं। सोनकच्छ में पैदा हुईं और देवास-इंदौर में पढ़ी हैं। सोनकच्छ की मिटटी की जांच होनी चाहिए कि वहां ऐसे लोग जन्म क्यों लेते हैं ?
चलते चलते : महिमा की बनाई शर्त फिल्म 'खटारा' की एक झलक जो किसी क़स्बे के एक ऐसे इंसान की कहानी है, जिसे अपनी पुरानी गाड़ी से बेपनाह लगाव है और बेचना नहीं चाहता मजबूरी में भी।
https://youtu.be/2GWgRD_-S8M
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