सरकार से साईकिल लेने से छात्रा ने किया इन्कार, बोली लड़कियां सुरक्षित नहीं तो साईकिल लेकर क्या करूं

वामा            Dec 01, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तर्ज पर अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी साइकिल की सवारी के जरिए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्ता में वापसी का सपना देख रही हैं। इसीलिये उन्होंने भी राज्य सरकार की सबूज साथी योजना के तहत स्कूली छात्राओं को साईकिल वितरित करने के लिये कार्यक्रम का आयोजन किया। लेकिन एक छात्रा के सवाल का जवाब संभवत:न तो सरकार के पास और न ही मुख्यमंत्री के पास है। छात्रा का कहना था कि अखबारों और टीवी चैनलों पर रोजाना कहीं न कहीं लड़कियों पर हमले और अत्याचार की ख़बरें पढ़ती-देखती रहती हूं। राज्य में जब लड़कियां सुरक्षित ही नहीं हैं तो साइकिल लेकर मैं क्या करूंगी?" कूचबिहार ज़िले के मरीचबाड़ी गांव की 12वीं की छात्रा नवनीता कारजी ने इस दलील के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से साइकिल लेने से इंकार कर दिया है। तारीफ के काबिल बात यह है कि गरीब परिवार की नवनीता के पिता उसे साइकिल खरीद कर नहीं दे सकते। बावजूद इसके उसने साइकिल लेने से मना कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार अलीपुरदुआर में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री से साइकिल पाने वालों की सूची में नवनीता का भी नाम था। लेकिन उसने स्कूल में साफ कह दिया कि वह साइकिल नहीं लेगी। मुफ्त की साइकिल छोड़ रोजाना स्कूल जाने के लिए पैदल ढाई किलोमीटर का सफर करने वाली नवनीता को अपने इस फैसले पर कोई अफसोस नहीं है। नवनीता का मानना है कि इससे हालात में कोई खास बदलाव नहीं आएगा। फिर भी मुझे लगा कि विरोध की एक आवाज़ तो उठनी ही चाहिए। दरअसल पिछले साल नवनीता की सहेली की दीदी पर कुछ असामाजिक तत्वों ने एसिड फेंक दिया था। लेकिन उसके अपराधी अब तक खुले घूम रहे हैं। नवनीता की तमाम सहेलियों ने साइकिलें लीं, लेकिन नवनीता उस दिन स्कूल ही नहीं गई। राज्य के बहुचर्चित कामदुनी बलात्कार कांड के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाली टुम्पा कयाल भी नवनीता के समर्थन में सामने आई हैं। इनका कहना ​है कि मुख्यमंत्री को पहले युवतियों और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उनका सवाल है कि साइकिल लेकर बाहर निकलने पर लड़कियां अगर किसी मुसीबत में फंसती हैं तो उनकी सहायता कौन करेगा? बीबीसी


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