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फिल्म समीक्षा: कमजोर कहानी पर सवार शानदार एक्शन वॉर 2

पेज-थ्री            Aug 16, 2025


डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।

पचास साल पहले जय और वीरू की दोस्ती की फिल्म शोले आई थी।  वॉर 2 में कब्बी (कबीर) और रग्घू की दोस्ती की कहानी है। जय और वीरू एक दूसरे के लिए जान देने को तैयार रहते थे, इसमें कबीर और रघु एक दूसरे की जान लेने को तैयार रहते हैं, खून के प्यासे दोस्त!

जय और वीरू दोनों हिन्दी के स्टार थे, इसमें एक हिन्दी फिल्मों का हीरो है, दूसरा दक्षिण का सुपरस्टार। फिल्म हिन्दी के साथ ही तमिल और तेलुगु में भी लगी है।हिन्दी  भाषी दर्शकों को एनटीआर जूनियर जरा भी प्रभावित नहीं करते ! वे शम्मी कपूर जैसे  मस्त खाते -पीते लगते हैं। मुझे तो जीवन में एक भी व्यक्ति एनटीआर जूनियर का फैन नहीं मिला !

15 अगस्त के ठीक पहले लगी फिल्म वॉर 2 में बारम्बार  इंडिया फर्स्ट का नारा दोहराया गया है।  ये डायलॉग  भी हैं – देश के लिए कुर्बान होना एहसान नहीं,  हक है!  तुम मुझे नाम दो, मैं तुम्हें लाश दूंगा। डेमोक्रेसी एक बुरा प्रॉडक्ट है। उसे टेररिस्ट नहीं, बिजनेसमैन कहिये। देशभक्ति सेहत के लिए हानिकारक है. ही इज़ ओल्ड फैशन देशभक्त !

वॉर 2 फिल्म नहीं, वर्ल्ड टूर एजेंसी की विज्ञापन फिल्म  है। जापान से शुरू हुआ हीरो  कभी वह इटली पहुंच जाता है, कभी स्विट्जरलैंड, कभी अबू धाबी तो कभी सोमालिया!  वेनिस , लेक कोमो, नेपल्स, टस्कनी, सोरेंटो प्रायद्वीप, अमाल्फी तट और कभी स्पेन ! मुंबई-हैदराबाद  तो है ही। फिल्म के एक टिकट में विश्व दर्शन का मज़ा! हीरो है तो वह कहीं भी जा सकता है, वीज़ा का लफड़ा तो हम जैसों के लिए ही है।

कियारा आडवाणी का रोल बित्ते भर का रहा तो उसे इत्ते ही कपड़े पहनने को दिए गये। कियारा के सामने मानो शर्त रखी गई होगी कि तुम्हें दो ही तरह के वस्त्र मिलेंगे – फौजी की ड्रेस और केवल बिकिनी। प्रोड्यूसर ने कहा होगा कि 70 करोड़ जूनियर एनटीआर ने ले लिये, 50 करोड़ ऋतिक रोशन ने। अब और खर्चा नहीं !   ये भी सच है कि कियारा से ज्यादा अंग प्रदर्शन तो ऋतिक  रोशन ने किया।

वॉर 2 फिल्म की सबसे अच्छी बात उसके जबर्दस्त एक्शन सीक्वेंस हैं। फिल्म की कहानी का सबसे कमजोर पक्ष यह है कि  इस फिल्म में दोनों ही मुख्य कलाकार देश विरोधियों से लड़ने के बजाय 80% टाइम आपसी लड़ाई में  ही खोटी कर देते हैं।  अच्छी बात यह है कि फिल्म में फालतू के गाने नहीं हैं। कमजोर पक्ष यह है कि इंटरवल के बाद गति बहुत धीमी है। अच्छी बात यह है कि सिनेमैटोग्राफी शानदार है, और कमजोर पक्ष यह कि कहानी पूरी लल्लू-फटाका है।  कहानी कुछ तो भी है।   एँ वें ! फिल्म के सेठ आदित्य चोपड़ा का खोपड़ा निकला।

फिल्म में ज़बरदस्त एक्शन है, जो दर्शकों को सोचने या हिलने का मौका नहीं देते। एक्शन जमीन पर, एक्शन समंदर में, एक्शन हवाई जहाज में, एक्शन बर्फीली गुफाओं में, एक्शन पानी के भीतर। उड़ाते हवाई जहाज से किडनैप, तेज दौड़ती रेलगाड़ी के ऊपर कार चला लेना, समंदर में स्पीड बोट से सड़क पर, सड़क से वापस समंदर में, समंदर से सीधे पैरासेलिंग! दुश्मन को मरने के पहले लम्बे चौड़े भाषण का काम हमारी फिल्मों में ही होते है।

हीरो दम्बूक होते हुए भी तलवार से लड़ता है, हाथों से जोर दिखाता है।  इस फिल्म में तो बर्फ की तलवार और  स्टैलेक्टाइट (बर्फ की गुफाओं में छत पर जमी बर्फ की बरछियों जैसी तीखी  ठोस आकृतियों) से भी लड़ाई होती है। दो एक्टर एक दूसरे के खून के प्यासे हैं, मारना चाहते हैं, लेकिन मारते नहीं।  अंत ऐसा कि दर्शक माथा कूट ले !

इसमें खलनायक एक आदमी नहीं, कली नाम का पूरा ग्रुप है जो केवल डिजिटल रूप में ही सामने आता है।  बिग बॉस टाइप। फिल्म में आशुतोष राणा, अनिल कपूर, वरुण बडोला, सोनी राजदान भी हैं।  बॉबी देओल का कैमियो रोल बताता है कि वे इसकी अगली कड़ी में होंगे।

फिल्म की कहानी भंकस है। अक्कल का क्या काम? एक्शन और लोकेशन मस्त है, कहानी उध्वस्त है।  टाइम पास मूंगफली जैसी देखनीय !

 

 

 


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