सोशल मीडिया पर नफरत की ये शेयरिंग कहां ले जायेगी हमें

वामा            Apr 17, 2016


व्हाया आशुतोष कुमार और नीरेंद्र नागर सत्यखोजी। पश्चिम बंगाल में 2014 में हुए एक हत्याकांड की तस्वीर को सोशल मीडिया पर अलग-अलग व्याख्याओं के साथ शेयर किया जा रहा है। एक व्याख्या सांप्रदायिक तनाव को बुलावा दे रही है तो दूसरी जातीय विवाद को। इन व्याख्याओं से लोग भ्रमित हो रहे हैं। उनकी प्रतिक्रियाएँ भी सांप्रदायिकता या जातिवाद से प्रेरित हैं जो समाज के लिए ख़तरनाक है। आज हम उस तस्वीर का सच आपके सामने लाएंगे। नीचे की तस्वीरों में देखें कि कैसे एक ही तस्वीर को अलग-अलग व्याख्याएँ दी गई हैं, vipin-mishra बिपिन मिश्रा भगवा योद्धाप्रोफ़ाइल पर WE SUPPORT NARENDRA MODIइस फ़ोटो के बारे में कहा है, ‘#Breaking_News…पश्चिम बंगाल मे ममता बेनर्जी के T.M.C. के मुस्लिम नेताओ ने हिन्दू बहु बेटियो की इज्जत के साथ खेला उन्हें मारा नंगा करके लाश को सडक पर फेंक दिया…बंगाल में ये हाल है हिन्दुओं का रोज धर्म के नाम पर शांतिदूत हिन्दुओं की हत्या लड़कियों का बलात्कार और बलात्कार के बाद निर्मम हत्या कर रहे हैं अब तो बंगाल में ये आम बात हो गई है और हिन्दुओं के साथ इस बेरहमी और अत्याचार पर…मीडिया चुप, सेक्युलर चुप, विश्लेषक चुप, एनजीओ चुप, पत्रकार चुप, समाजसेवी चुप, समाचार पत्र चुप, महिला आयोग चुप, मानवाधिकार आयोग चुप, और सबसे बड़ी बात…हिन्दुओं के सतज इस अत्याचार पर’ इस पोस्ट को 2800 से भी ज़्यादा बार शेयर किया गया है। कुछ ऐसा ही पोस्ट करण गंगवानी साहब ने किया है। वो भी देखें, pashim-bangal-2 आप इस पोस्ट को यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं। इस पोस्ट में जो तस्वीर करण ने शेयर की है, उसे नज़दीक से देख लेते हैं, करण और बिपिन को लगता है कि तृणमूल कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने ही हिंदू समाज की इन ‘लड़कियों’ से ये अमानवीय कृत्य किया है। लेकिन अख़्तर रज़ा साहब का तो कुछ और ही कहना है। वो इस तस्वीर की क्या जानकारी रखते हैं, एक नज़र उस पर भी, रज़ा साहब कहते हैं कि, ‘Bharat mein RSS aur uchejat ke log Dalit Hindu, Muslim par julm kar rahe hai’ यानी ‘भारत में आरएसएस और ऊँची जाति के लोग दलित हिंदू, मुस्लिम पर ज़ुल्म कर रहे हैं।’ आप यहाँ उनकी ये पोस्ट देख सकते हैं। कुछ ऐसा ही दावा फ़ेसबुक पर Assam123.com नाम की प्रोफ़ाइल से किया गया है। वहाँ जो कहानी बताई गई है, वो कुछ यूँ हैं, तस्वीर देखें, लिखा है, ‘यह shushma swaraj के राज्य की तस्वीर है जहाँ हम दलितों की बेटियों को नग्न कर के खूप मारा गया पर किसिने उन्हे बचाया नही और तो और किसी भी मीडिया ने इसे दिखाया नही दोस्तो इसे इतना शेअर करो की इस मनु वादी सरकार की हकिकत सामने आणि चाहिये’ इस पोस्ट (यहाँ क्लिक करें) को 2400 से ज़्यादा बार शेयर किया गया है। घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन इसका सच क्या है? कोई दावा करता है कि ये काम मुस्लिमों का है, तो कोई कहता है कि ये घृणित कांड ऊँची जाति के हिंदुओं ने ‘दलित महिलाओं’ के साथ किया। आइए, सच की ओर चलते हैं। pashchim-bangal-3 सच ये है, कि ये मामला न तो बिपिन मिश्रा और करण गंगवानी के दावे से संबंधित है और न ही रज़ा अख़्तर है। वहाँ जो कहानी बताई गई है, वो कुछ यूँ हैं, तस्वीर देखें, आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि ये हत्याकांड महिलाओं से हुए दुराचार का ही नहीं है। देखें, देखिए, है न हूबहू वही तस्वीर जो ऊपर दिखाई गई पोस्ट में शेयर की गई थी। लेकिन अरे, यह तो औरत नहीं, पुरुष है। चेहरे पर दाढ़ी है जिसे फ़र्ज़ीवाड़ा करनेवालों ने अपनी पोस्ट में फ़ेड कर दिया था ताकि वे इसे औरतों की तस्वीरें बता सकें। दरअसल साल 2014 में पश्चिम बंगाल के कालियागाँव में सात साल की एक नाबालिग़ बच्ची से रेप करने और उसके शव को पेड़ से टांगने के आरोप में एक स्थानीय तांत्रिक रतन दास और उसके दो सहयोगियों को ग़ुस्साए लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला था। भीड़ ने उनके कपड़े भी फाड़ डाले थे। लेकिन लोगों में नफ़रत फैलाने वाले ख़ुराफ़ाती लोगों ने पूरे मामले को अपने-अपने अजेंडे के हिसाब से समुदाय विशेष की महिलाओं से जोड़ दिया। original-photo-pashchim-bangal जबकि जो तस्वीरें दिख रही हैं, वे आरोपी तांत्रिक और उसके दोनों सहयोगियों की हैं। तीनों ही पुरुष हैं जिन्हें भीड़ ने मार डाला। भीड़ में कौन हिंदू था और कौन मुस्लिम ये सोचना भी ग्रस्त और घृणित मानसिकता की निशानी है। आप यहाँ क्लिक करके इस ख़बर की पूरी जानकारी ले सकते हैं। जिन लोगों ने इन तस्वीरों की कुछ और ही कहानी पेश की थी, उनके प्रोफ़ाइल लिंक हमने उनके नाम के साथ लगा दिए हैं। आप वहाँ क्लिक करके उनके प्रोफ़ाइल देख सकते हैं। हमारा मानना है कि वैचारिक रूप से कमज़ोर और समाज को भटकाने वाले ही ऐसे घातक झूठ का सहारा लेते हैं। ऊपर जो तस्वीर आपने देखी, उसकी जानकारी हमें हमारे पाठक गोपाल अग्रवाल से मिली जिसके बाद हमने सच की पड़ताल की। गोपाल जी, आपका शुक्रिया। ब्लॉग


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