शैलेश तिवारी।
ब्रह्मा के जिम्मे है सृष्टि का निर्माण और उन्होंने मानव संतति के सृजन का उत्तरदायित्व दिया नारी को। यानि हमारी इस धरा पर महिला ब्रह्मा की प्रतिनिधि के रूप में मौजूद होकर संतान सृजन की जिम्मेदारी का निर्वाह करती आ रही है। शेषशायी भगवान विष्णु भी तो संसार के भरण पोषण और विस्तार का कर्तव्य निभाते हैं तो उन्होंने भी अपने इस कर्तव्य में भागीदार बनाया महिला को। वह भी संतान सहित अन्य सदस्यों के पालन पोषण और उसके व्यक्तित्व विस्तार का कर्तव्य बहुत अच्छे से निभाती है। कहते हैं भला करने वाले का नाम भोले है और यही शिव भी कहलाते हैं जो कल्याण के देवता हैं। नारी स्वभाव से ही कल्याणमयी कहलाती है। इसी वजह से जगत जननी माता का एक नाम कल्याणी भी है।
बात इतने से नहीं बनती क्योंकि यह उदाहरण तो देवताओं के गुणों से लिए गए हैं लेकिन इन त्रिदेवों की जो शक्तियां हैं। उनमें से एक से हम पुरुष बुद्धि, विवेक और ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं । जो वीणावादिनी मां सरस्वती कहलाती हैं। धन ,दौलत, संपत्ति, वैभव , सुख आदि की चाह में ही तो मां लक्ष्मी की साधना की जाती है। आंतरिक या बाह्य अथवा चेतना और शारीरिक शक्ति संपन्न होने के लिए मां दुर्गा की भक्ति में लीन हो जाने का काम भी तो समयानुसार होता ही है। अब गौर कीजिए ये भी महिलाएं ही हैं जिनसे हम जीवन जीने के वह सभी दृश्य या अदृश्य साधनों की मांग करते हैं।
शायद बात अभी भी पुरुष सत्तात्मक समाज को पूरी समझ नहीं आई। आइए शक्ति पुंज महिला की संयम शक्ति का अवलोकन भी करते हैं । प्रेम हो अथवा युद्ध ... दोनों ही स्थिति में महिला अपनी तरफ से पहल नहीं करती है। इसका मतलब अगर उसको कोमलांगी या कमजोर समझ कर निकालना पूरी तरह गलत हो सकता है। यह संयम शक्ति की परीक्षा का काल होता है जिसमें स्त्री खरी उतरती है। कारण इतना कि यही स्त्री जब मां बनती है तो जिस प्रसव वेदना से वह गुजरती है उसकी कल्पना मात्र भी पुरुष नहीं कर सकता। दर्द के उस सागर को महिला हमेशा हमेशा से पार करती आ रही है, पुरुष को भी शिशु रूप में जन्म देती आ रही है , उसका वंश बढ़ाती आ रही है। जन्म दी हुई संतान पर थोड़ी सी भी आंच आने पर दुनियां भर से लड़ जाने की क़ूबत रखने वाली महिला , जब पन्ना धाय बनती है तो अपने राजवंश के दीपक को रोशन रखने के लिए अपनी पैदा की हुई संतान को कुर्बान कर देने की हिम्मत भी रखती है। वही महिला जब अपनी छह महीने की संतान को पीठ पर बांधकर , दोनों हाथों में तलवार थामकर, मुंह में घोड़े की लगाम दबाकर पूरे जोश ख़रोश से हुंकार भरती है और कहती है कि मेरे शरीर में जब तक खून की एक बूंद भी बाकी है मेरी झांसी पर कोई भी कब्जा नहीं करता । यह रानी लक्ष्मीबाई बनती है और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ते लड़ते अपने प्राणों का बलिदान कर देती है।
महिला को ही सबसे पहले जज की भूमिका के लिए चुना जाता है जब आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच मध्य प्रदेश की भूमि पर सलिल सरिता नर्मदा के तट पर शास्त्रार्थ होता है तब मंडन मिश्र की पत्नी भारती देवी जज की भूमिका का निर्वाह अपने बुद्धि चातुर्य से करते हुए शंकाराचार्य अपने पति के खिलाफ विजेता घोषित कर देती हैं लेकिन बाद में स्वयं शास्त्रार्थ कर शंकराचार्य जी को भी पराजित कर देती हैं।
यह केवल उदाहरण मात्र हैं। ऐसे कई किस्से हैं जो हमारे साथ भी घटे हैं। खासकर जब वर्तमान में एआई का दौर दस्तक दे रहा है। यानी आर्टिफिशियल इंटलीजेंसी का शोर सुनाई दे रहा है उसके कुछ करिश्मों को हम भी अपने मोबाइल पर देखकर आश्चर्यचकित हो रहे हैं। उस दौर में याद कीजिए अपनी मां का वह जमाना .. जब वह चूल्हे पर रोटियां सेक रही होती थी और हम तीन चार भाई बहन उनके आसपास बैठकर भोजन कर रहे होते थे। पहला निवाला हमारे मुंह में जाते ही मां धीरे से हमारे सामने नमक का डिब्बा सरका देती थी। कोई बता सकता है उस मां रूपी महिला के पास वह कौन सी इंटलीजेंसी थी जिससे वह समझ जाती थी कि आज दाल या सब्जी में नमक कम है। क्या इसका मुकाबला आज का एआई कर सकता है। इतनी शक्ति से संपन्न महिला को पुरुष ने सदा सर्वदा कमजोर ही साबित किया है केवल अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए।
ये भी पूरा सच नहीं है। आधी आबादी का पूरा सच तो यह है कि आज की महिला जब पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रही हैं फिर भी पुरुष की तुलना में कमतर आंकी जाती हैं या कोमलांगी साबित हो जाती हैं। इसकी वजह है महिला का महिला का ही दुश्मन हो जाना और कई मामलों में पुरुषों के साथ मिलकर महिला का ही शोषण करना। यह शोषण अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग तरह का होता है। अपने ऊपर लगे कमजोर होने के तमगे से महिला को खुद ही छुटकारा पाने की कोशिश करना होगी। इसके लिए पूरी आधी आबादी को अपनी ताकत का पूरा सच जानना और समझना होगा। इसी शक्ति की पहचान के लिए महिला दिवस का आयोजन होता है। महिला शक्ति पुंज है लेकिन अपनी शक्ति से सागर किनारे बैठे हनुमान की तरह अपरिचित है। इनके लिए आज का दिन जामवंत बनकर आता है। उसकी अपनी शक्ति से परिचय कराने। आधी आबादी को आज के दिवस की पूरी पूरी बधाई...।
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