केमेस्ट्री नेता की

वीथिका            Aug 30, 2015


sanjay-joshi संजय जोशी 'सजग' केमेस्ट्री के एक प्रोफेसर साहब ने अचानक एक प्रश्न दागते हुए मुझ से पूछा कि अगर राजनीति न होती तो क्या होता ? अपुन का तो राजनीति ज्ञान शून्य होने कारण मैं तो सकपका गया और इस अति सवेंदनशील विषय पर अपनी असमर्थता जाहिर की । वे कहने लगे वेरी सिंपल है -राजनीति न होती तो नेता ही नहीं होते और नेता नहीं होते तो राजनीति भी नहीं होती । रजनीति को भी विज्ञान कहा जाता है पर विज्ञान की तरह इसमें भी थ्योरी और प्रेक्टिकल का अंतर है। प्रोफेसर साहब हँसते हुए कहने लगे कि राजनीति का मुख्य तत्व तो नेता ही होता है इस के बिना राजनीति की कल्पना अधूरी है । cartoon-neta रसायन के वैज्ञानिक केकुले को बेंज़ीन रिंग की रचना का ज्ञान सपने में प्राप्त हुआ था , उसी तर्ज पर मुझे भी नेता तत्व की केमेस्ट्री का परम ज्ञान सपने में ही प्राप्त हुआ और मैंने बारीकी से गुण धर्म के आधार पर अध्ययन किया । वे कहने लगे कि इस विषय को हाथ में लेने से टेंशन से ब्लड प्रेशर के साथ ही सर भी चकराने लगा था फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी और इस और दिशा में आगे बढ़ता चला गया और उन्होंने अपनी डायरी को मेरे सम्मुख रख दिया। मैंने उन्हें चने की झाड़ पर चढ़ाते हुए कहा कि आपको तो नोबल पुरस्कार और भारत रत्न मिलना चाहिए। वे बोले मजाक अच्छा कर लेते हो। मुझ जैसे अज्ञानी को प्रोफेसर साहब से नेता की केमेस्ट्री पर जो ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ संक्षिप्त में इसका बखान करता हूँ— नेता नामक तत्व पृथ्वी पर पाये जाने वाले द्विपादिय वर्ग मनुष्य के रूप मे पाया जाता है इसमें विशेष चुंबकीय गुण की प्रधानता होती है केमिकल बॉन्डिंग की तरह यह बड़े नेताओं, कार्यकर्ताओं और जनता से अच्छी बॉन्डिंग रखता है और जुड़कर अपना कार्य येन केन प्रकारेण निकलने में निपुण रहता है । यह वोट का अवशोषक व जनता का शोषक होता है। फिर भी अपने आप को जनता का पोषक ही मानता है । सोडा पीकर ऐश करता है पर सोडा ऐश के रासायनिक रूप से इसका कोई वास्ता नहीं है । वायु से जल्दी प्रभावित होता है व चुनाव हारने की हवा के प्रभाव से बुझे चुने की तरह निष्क्रिय हो जाता है । इस तत्व के कई उप तत्व होते हैं इस तत्व का भी कार्बन की भांति ही लम्बी -लम्बी श्रृंखला बनाने का मिजाज होता है इसमें खंडन-विखंडन करने की विशेष योग्यता होती है। केमिकल के प्रभाव से ओजोन परत का जो क्षरण हो रहा है उसी प्रकार कुछ तथाकथित नेता भी संस्कार और संस्कृति का क्षरण करते हैं । तथा अपने प्रभाव से समाज को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते रहते है। लाभ का अनुपात कम और हानि का अनुपात अधिक होता है। यह तत्व समाज में धुँध,कोहरे और लहर का वातावरण भी निर्मित करता है नेता एक विशेष प्रकार का सक्रिय तत्व है जो सभी ग्रुपों मे समान रूप से पाया जाता है। केमेस्ट्री में उत्प्रेरक की तरह यह राजनीति में उत्प्रेरक का काम करता है जैसे हड़ताल ,धरना प्रदर्शन ,काले झंडे ,पुतला दहन और रैली की क्रिया की गति को अपने लाभ के अनुसार कम ज्यादा करता है। यह हमेशा असंतृप्त ,अत्यंत ज्वलनशील ,कसैला पर कभी -कभी मतलब होने पर सेक्रीन की तरह मीठा हो जाता है। यह ऐसा चमत्कारिक तत्व है जिसके अगले कदम के बारे में उसे ही कुछ पता नहीं होता। नेता नमक की भाँति राजनीति को कभी स्वादहीन तो कभी स्वादिष्ट बनाता है तो जले पर नमक छिड़क देने में भी गुरेज नहीं करता ,तो कभी ग्लुकोस की तरह मीठा होकर इमोशनल ब्लेकमेल भी करता है । कुछ इसे हाइड्रोजन की तरह आवारा तत्व भी कहते हैं यह कभी हँसाने वाली गैस तो कभी रुलाने वाली गैस की तरह व्यवहार भी करता है। विपरीत स्वभाव वाले तत्वों के साथ क्रियाशील नहीं होता है बल्कि उनकी क्रिया की दर को कम करता है। इसके निर्माण की प्रक्रिया कॉलेज चुनाव से ही प्रारम्भ हो जाती है और धीरे -धीरे तत्व अपने सम्पूर्ण गुण -धर्म अपना लेता है । इस तत्व ने हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है यह सरकारी ,असरकारी और जनता में समान रूप से पाया जाता है और कहीं भी कभी भी कार्यशील हो उठता है । इस तत्व को सत्ता और पद प्राप्त होते ही मूल गुण का धर्म बदल जाता है यह संतृप्त होकर अतिनिष्क्रिय हो जाता है। रंगहीन से रंगीन हो जाता है ,फोटो रिएक्टिव होकर प्रेस कांफ्रेंस का आदी हो जाता है। यह भीड़ पसंद होता है भीड़ द्वारा तरह -तरह के स्वागत से गद्गद् होकर फूला नहीं समाता है। उच्च महत्वाकांक्षा और स्वार्थ में अपनी इज्जत और अपने सिंद्धातों को ताक पर रखने में इनका कोई सानी नहीं होता है ,अकेले और पैदल चलना इसे नहीं सुहाता है ,और चमचों के बिना अपने को असहाय समझता है। हर मौसम में कुछ न कुछ करते रहता है और अपनी क्रियाशीलता का परिचय देना आदत में शुमार होता है । इस तत्व की कोई निश्चित उम्र नहीं होती है यह तत्व अंतिम समय तक या कब्र में पाँव लटकने तक सक्रिय और पद पाने के मोह्पाश में बंधा रहता है इस पर और अध्ययन निरंतर जारी है और रहेगा। उनका कहना है कि हालांकि अपवाद हर जगह है तो नेता और राजनीति में भी हो सकता है कुछ के गुण धर्म इससे अलग भी हो सकते हैं। अच्छे और बुरे दोनों ही इस धरा पर सुशोभित है जब तक राजनीति रहेगी ,नेता तेरा नाम अमर रहेगा।


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