 अच्छे दिन का झुनझुना खूब बजाया  जा रहा है जनता भी इस पर खूब लट्टू हो गई थी और आज भी  सोते, जागते अच्छे दिन का इंतजार कर रही है अच्छे दिन जिनके  आना चाहिए उनके तो नहीं  आये पर कुछ के तो अच्छे -अच्छे  से अच्छे आ गये और जनता को यह कहकर चौका दिया कि  यह अच्छे दिन आने का जुमला तो  चुनाव जीतने  के लिए था l हद तो तब हो गई कि  जुमला अब और आगे बड़ गया और कह  दिया कि अच्छे दिन आने में पच्चीस साल लग जायेंगे ।  इसमे ऋषभ जी का पारा चढ़ना स्वभाविक था उनको पता है कि जो कब्र में पैर लटकाये बैठे हैं वह कैसे  उम्मीद करें  अच्छे दिन देखने की ?अच्छे दिन का झुनझुना बजाने वालों को  नही मालूम कि  अच्छे दिन की परिभाषा क्या है ?हर स्तर पर अच्छे दिन की अलग -अलग परिभाषा गड़ी जाने लगी सब अपने लाभ का अर्थ अच्छे दिन के जुमले में ढूंढने  लगे और अच्छे दिन का सपना मृगमरीचिका साबित हुआ उनका कहना था कि  अच्छे दिन क्या और कैसे होते है यही समझने के फ़ाइल कब निपट जाये कोई भरोसा नहीं।  अच्छे -अच्छे दिन का झुनझुना सुनकर लगने लगा है कि  अब तो बड़े हो जाओ और अच्छे दिन के झुनझुने में छिपे राज को पहचान जाओ ।  
बांकेलाल जी आगे कहने लगे जब ऋषभ जी बोल रहे थे तो सब उनकी बात को एक मत से स्वीकार कर रहे थे क्योंकि उनकी बात में दम  था कोई तर्क वितर्क का सवाल ही नहीं  था। 
सब एक स्वर में बोले कि  इस अच्छे दिन वाले झुनझुने ने सब को ठगा है जो समझ गये वे इससे आहत है जो  न समझे वे अभी राहत  में है और एक टाँग पर खड़े होकर अच्छे दिन का पलक पावड़े बिछाकर इंतजार कर रहे है और करते रहेंगे ।  मैं  तो सब समझ गया और अब झुंझुनों से मुझे कोई बहला  फुसला नहीं  सकेगा
अच्छे दिन का झुनझुना खूब बजाया  जा रहा है जनता भी इस पर खूब लट्टू हो गई थी और आज भी  सोते, जागते अच्छे दिन का इंतजार कर रही है अच्छे दिन जिनके  आना चाहिए उनके तो नहीं  आये पर कुछ के तो अच्छे -अच्छे  से अच्छे आ गये और जनता को यह कहकर चौका दिया कि  यह अच्छे दिन आने का जुमला तो  चुनाव जीतने  के लिए था l हद तो तब हो गई कि  जुमला अब और आगे बड़ गया और कह  दिया कि अच्छे दिन आने में पच्चीस साल लग जायेंगे ।  इसमे ऋषभ जी का पारा चढ़ना स्वभाविक था उनको पता है कि जो कब्र में पैर लटकाये बैठे हैं वह कैसे  उम्मीद करें  अच्छे दिन देखने की ?अच्छे दिन का झुनझुना बजाने वालों को  नही मालूम कि  अच्छे दिन की परिभाषा क्या है ?हर स्तर पर अच्छे दिन की अलग -अलग परिभाषा गड़ी जाने लगी सब अपने लाभ का अर्थ अच्छे दिन के जुमले में ढूंढने  लगे और अच्छे दिन का सपना मृगमरीचिका साबित हुआ उनका कहना था कि  अच्छे दिन क्या और कैसे होते है यही समझने के फ़ाइल कब निपट जाये कोई भरोसा नहीं।  अच्छे -अच्छे दिन का झुनझुना सुनकर लगने लगा है कि  अब तो बड़े हो जाओ और अच्छे दिन के झुनझुने में छिपे राज को पहचान जाओ ।  
बांकेलाल जी आगे कहने लगे जब ऋषभ जी बोल रहे थे तो सब उनकी बात को एक मत से स्वीकार कर रहे थे क्योंकि उनकी बात में दम  था कोई तर्क वितर्क का सवाल ही नहीं  था। 
सब एक स्वर में बोले कि  इस अच्छे दिन वाले झुनझुने ने सब को ठगा है जो समझ गये वे इससे आहत है जो  न समझे वे अभी राहत  में है और एक टाँग पर खड़े होकर अच्छे दिन का पलक पावड़े बिछाकर इंतजार कर रहे है और करते रहेंगे ।  मैं  तो सब समझ गया और अब झुंझुनों से मुझे कोई बहला  फुसला नहीं  सकेगा   
                   
                   
	               
	               
	               
	               
	              
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