व्यापमं का यम

वीथिका            Aug 19, 2015


संजय जोशी 'सजग' परलोक में उथल -पुथल मची हुई थी क्योंकि कुछ ऐसी आत्मायें विचरण कर रही थी जिन्हें परलोक कौन और कब लाया इसका कोई अता पता ही नहीं था। वे सभी यमराज की एक्सल शीट में दर्ज लिस्ट के अतिरिक्त थी। अत: यह प्रश्न बार-बार यमराज से पूछा जा रहा था और वे थे कि इन सबसे पूर्णतया अनभिज्ञ थे। जब यह सूचना चित्रगुप्त जी के पास पहुंची तो उनका माथा ठनका की ये सब तो सूची के अतिरिक्त है । अब उन बेचारी आत्माओं का क्या कसूर इन्हें यहां कौन ले आया? ये सब अपने कर्मो का हिसाब देने के लिए तत्पर थी इन पर ईमानदारी का जूनून था। पर उनका आधार कार्ड वहां के आधार कार्ड से लिंक नहीं था। अत: उनका रिकार्ड कैसे बनाया जाये ऐसी कई समस्याओं से जूझ रहे थे परलोक में । ऐसे में उन पवित्र आत्माओं से पूछताछ किये जाने का निर्णय लिया गया और पूछताछ शुरू की। उनसे पूछा आप सबको यहां कौन लाया? तो उनका उत्तर था व्यापमं में छुपा यम । चित्रगुप्त ने यमराज को बताया कि इन्हें व्यापम का यम लाया यह सुनकर यमराज हतप्रभ थे कहने लगे कि यह काम तो सिर्फ और सिर्फ मेरा ही है फिर ये व्यापमं का यम कौन है ? चित्रगुप्त से मंत्रणा के बाद यमराज ने अपने गुप्तचरों को इस यम का का पता लगाने को कहा । गुप्तचरों की सूचना के मुताबिक जम्बूद्वीपे भारतखंडे के बीचों बीच का स्थान है यहां व्यापम नामक यम ने आपके समान्तर यह काम चालू कर रखा है जो इन आत्माओं के परलोक का वाहक है । अपने कार्य में दूसरे के हस्तक्षेप से यमराज आगबबूला हो गये और स्वयं वेश बदल कर औचक निरीक्षण हेतु निकले तो गुप्तचर की सभी बातें सही निकली और उन्होंने पाया कि परिवार वाले ही दुखी हैं बाकि तो सब अपनी -अपनी बचाने में लगे हैं। जन सामान्य इस कौतुहल को समझने का प्रयास कर रहा है । यमराज कहने लगे इस व्यापमं की पोल—खोल बहुत देरी से हुई ,पर अच्छा हुआ हो तो गयी नहीं तो व्यापम से बनने वाले और न जाने कितनों को परलोक पहुंचा देते । धन की शक्ति ने धन की भूख रखने वालों का अपहरण कर रखा है ऐसा प्रतीत होता है धन के आगे ,धर्म ,नैतिकता ,मानवता और पद सब बौने है धन की भूख और धन की दोस्ती दोनों मिलकर कब तक प्रतिभाओं का दमन करते रहेंगे और हास्यस्पद बयान देते रहेंगे । धृष्टराष्ट्र और दुर्योधन की तरह ही स्वार्थ के मोहपाश में बंधे रहेंगे और सच को गर्त में धकेलते रहेंगे । कलियुग में यह सब कब तक चलता रहेगा कौन जाने ? यमराज आगे बताते हैं कि जहां शिक्षा और पद बिकने लगे तो उस लोक का भगवान भी कुछ नहीं कर सकता ,शिक्षा का गिरता स्तर ,पग -पग धन की चमक से शिक्षा पर कालिख पोत रहे हैं। जो सच बोले उसे भी भय बना रहता है कि व्यापमं का यम कहीं अपना शिकार न बना ले। शिक्षा और नौकरी में दलालों की लंम्बी फौज इस काम में लगी है अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा हाल है । परलोक जाकर यमराज ने पाया कि ये व्यापम की व्यथा ही थी जो डिप्रेशन ,सामजिक दबाव और सच कहने के साहस की परिणति थी। ये आत्मायें अपने जीवन में बहुत कुछ करने का हौसला रखती थीं, पर इस व्यापमं से उनके सब अरमान अधूरे रह गए और परिवार भी आंसू के सैलाब में डूब गया । इनकी बदौलत कुछ अच्छा हो जाये निष्पक्ष जांच हो और यदि यह व्यापमं के यम का काम हो तो अपराधियों को सजा मिल जाये। तभी इन आत्माओं को सुकून मिलेगा। यमराज ने चित्र गुप्त को पूरा विवरण दिया और कहा कि ये व्यापमं के यम के द्वारा लायी गयी ही आत्मा है। परलोक का यह सपना बांकेलाल ने क्या देखा उनकी तो नींद ही हराम हो गयी है जब भी सोते हैं व्यापम का यम उन्हें सोने नहीं देता है वे डर के मारे जाग कर रात काटने को मजबूर है।


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