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बादल कहते थे कि हिन्दू-सिख रिश्ते वैसे ही हैं जैसे अंग-संग हैं नाखून

वीथिका            Apr 28, 2023


लाजपत आहूजा।

पंजाब के वरिष्ठ राजनेता प्रकाश सिंह बादल हाल ही में अपनी अंतिम यात्रा पर प्रस्थान कर गए.  उन्होंने अपनी आखिरी साँस उसी अस्पताल में ली जिसका उद्घाटन स्वयं उन्होंने किया था .

वे लंबे समय तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं . उनके सचिवालय में विभिन्न पदों पर और पंजाब के मुख्य सचिव रहे रमेश इंदरसिंह ने एक लेख में उनको याद करते हुये लिखा है कि वे अक्सर पंजाबी में कहा करते थे कि हिन्दुओं और सिखों का रिश्ता “नयू -मांस” का है .

इसे मैं ठीक से नहीं समझ पाया तो आज सुबह मैंने रमेश इंदरसिंह जी से चंडीगढ़ में बात की तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह रिश्ता वैसा ही था जैसे नाखूनों का शरीर के मांस के साथ होता है .

प्रकाश सिंह बादल ज़मीन से जुड़े लोकप्रिय नेता थे .उनका यक़ीन आम जन से सीधा संपर्क रखने में था . उनके रिश्ते सभी से यहाँ तक कि अपने राजनैतिक विरोधियों से भी अच्छे रहते थे . उन्होंने सत्ता के सूत्र 1980 में तब सँभाले थे जब हिन्दू -सिखों के बीच संबंध ख़राब कर दिये गए थे .

पंजाब का विशेषकर ग्रामीण पंजाब उनके एजेंडे में सबसे ऊपर रहता था .

आम सहमति के पक्षधर बादल नौकरशाही में भी ख़ासे लोकप्रिय थे .उनके वन लाइनर का हास्य हमेशा माहौल को हल्का बनाये रखता था .

वरिष्ठ अफ़सर उनके लिये सरदार साहब थे तो कनिष्ठ काका जी या बीबी जी और बीबा जी होते थे.

मीडिया में खबरों को लेकर वह बड़े संवेदनशील थे .समाचार सही होने पर वह तुरंत सही कदम उठाने का निर्देश देते थे . उनका प्रशासन अलसुबह शुरू हो जाता था .

बड़े अधिकारियों को उनके फ़ोन सुबह पाँच बजे जाने शुरू हो जाते थे .इज़राइल के प्रलय संग्रहालय ने उनको भावुक कर दिया था .

इसी प्रकार का संग्रहालय उन्होंने सिखों के बलिदानों पर आनंदपुर साहब में बनवाया . वे घड़ी नहीं पहनते थे फिर भी हर जगह समय पर पहुँचते थे .वे खुद पैन लेकर नहीं चलते थे पर उनकी फ़ाइलें कभी लंबित नहीं होती थी .

अच्छे खाने के शौक़ीन बादल और बरनाला आपातकाल में पंचमढ़ी में रखे गए थे .प्रशासन के अधिकारी जब बरनाला जी से मिलते तो वे हमेशा कहते कि मेरा छोड़िये,बादल का ध्यान रखिये . सुना है उनके लिये मसाले पंजाब से आने लगे थे .

वे अपना खाना खुद ही कई बार बनाते थे .प्रकाश सिंह बादल तो अकाल पुरूख से मिलने रवाना हो गए पर पंजाब को उनकी ऊँचाई का राजनेता मिलना मुश्किल है .

लेखक पूर्व जनसंपर्क संचालक हैं

 



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