Breaking News

मौतें और आत्महत्याएं कभी चीख कर नहीं आती

वीथिका            Aug 15, 2023


नवीन रंगियाल।

अगर कल ही आपकी बात हुई और आज वो मर गया तो यह आपका (हमारा) फेल्योर है. आप जान नहीं पाए कि जो अभी आपसे बात कर रहा है वो कल मरने वाला है. उसका दिल नहीं खोल पाए, उसे एक्सप्लोर नहीं कर पाए. अर्थात आप बेहद सतही तौर पर उसके साथ रह रहे थे. मित्र होने का जो दावा जो हमने किया वो झूठ है.

लेकिन अब जब वो आपको बताए बगैर मर चुका है तो आपके हिस्से में दो ही चीज़ें बचती है -- एक उसकी मौत पर हैरान होना और दूसरा मृतक को अपने क़रीब बताना. जबकि हमें उसके मरने से पहले उसके करीब होना था. लेकिन हकीकत में आपको पता ही नहीं था की जिससे आप बात कर रहे हैं वो अगले कुछ घंटों में फंदा लगाने वाला है.

किसी को अपना करीबी बताकर उसकी मौत पर यह हैरानी मनुष्य होने के ऊपर बहुत बड़ा सवाल है. जिस मानव मन और मस्तिष्क को विकसित होने में हजारों साल लगे उसे एक ही क्षण में आपने सतही घोषित कर दिया. यह साबित करता है कि हमारे आसपास रिश्ते नातों और मित्रों का यह जाल किस हद तक सिर्फ एक भ्रम है.

बैंकों को पता चल जाता है की किसे लोन चाहिए, कंपनियों को पता चल जाता है किसे कौनसे जूते चाहिए. बस हम इंसानों को ही नहीं पता चल पाता कौन उदास है और एग्जिट ले सकता है!

आकाशदीप शुक्ला, तुम एक झूठी और सतही दुनिया में रह रहे थे, हालांकि अब तुम्हें यह पता नहीं चलेगा.

माफ़ कीजिए, अगर आप अपने गिने चुने दोस्तों के साथ भी इस गहराई से नहीं जीते हैं, तो आप उन्हें और ख़ुद को भी धोखा ही दे रहे हैं.

मौतें और आत्महत्याएं कभी चीख चीख कर नहीं आती, वो आहटें भेजती हैं. लेकिन हम अपनी आंखें खो चुके हैं उन्हें सुनने की.

आप मृतक के दोस्त होते तो उसकी कॉलर पकड़कर उसे फांसी के फंदे से उतार लेते. या कम से कम आपको पता तो चल ही जाता कि कौन जी रहा है, कौन मर रहा है.

अगर हम आत्महत्याएं नहीं सुन सकते तो प्रेम पर लिखी हमारी सारी कविताएं भी झूठी हैं. आप एक सतही और झूठ जिंदगी जी रहे हैं. अगली बार अगर मैं मरूं तो मुझे अपना दोस्त न बताएं.

इतना ही यथेष्ठ है.

#औघटघाट

 

 



इस खबर को शेयर करें


Comments