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भोपाल के भारत भवन का बाप

वीथिका            May 09, 2023


डॉ.प्रकाश हिन्दुस्तानी।

 कल मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 'नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर' जाने का अवसर मिला।  वहां जाकर पता चला कि यह तो भोपाल के भारत भवन का बाप है!  इत्ता बड़ा! 

अमेरिकी काउंसलेट के ठीक सामने, उससे भी विशाल और भव्य! लगता है किसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट आ गए हों। पांच मंजिला कार पार्क, जिसमें कुल 5000 कारें पार्क हो सकती हैं। (सहार और सांताक्रुज़ दोनों एयरपोर्ट की पार्किंग से भी बड़ी जगह)।

यहाँ जाएँ तो आधा घंटा वॉक के लिए तैयार रहें, क्योंकि यह इतना बड़ा है कि आने- जाने के लिए कुल 23 दरवाजे हैं।

इस केंद्र के नक़्शे का उपयोग करना लाजिमी है। इसे  वर्ल्ड फेमस आर्किटेक्ट  रिचर्ड ग्लूकमैन ने डिजाइन किया है।

रिचर्ड को दुनियाभर के पॉपुलर म्यूजियम डिजाइन करने के लिए जाना जाता है। इसकी लागत कुछ अरब रुपये है, कितने अरब?

यह तो शायद अंबानियों को भी पता नहीं होगा, क्योंकि यहाँ बेशकीमती कलाकृतियां सजाई गई हैं। 

 इसमें एक 'ग्रैंड थियेटर' है, जिसमें  बड़े-बड़े शो हो सकते हैं। यहां 2000 लोगों के बैठने की व्यवस्था बड़े ही क्रिएटिव तरीके से है। इसकी कुर्सियां बुगाती कार की सीटें बनाने वाली कंपनी ने उसी स्तर की बनाई हैं।

 इसे  8500 से ज्यादा स्वारोस्की क्रिस्टल और 18 डायमंड बॉक्स के साथ अलग लुक दिया गया है। इसमें वर्ल्ड क्लास डॉल्बी एटमॉस सराउंड साउंड सिस्टम और वर्चुअल एकॉस्टिक सिस्टम है।  

 31 मार्च 23 को इस कल्चरल सेंटर का शुभारंभ हुआ, जिसमें दुनिया भर की सेलेब्रिटीज़ आई थी।  यहां भारत में पहले इंटरनेशनल ब्रॉडवे म्यूजिकल ‘द साउंड ऑफ म्यूजिक’ को पेश किया जा रहा है। इंटरनेशनल ब्रॉडवे म्यूजिकल शो ने पहली बार भारत में कदम रखा है। 

यह शो 5 बार प्रतिष्ठित टोनी पुरस्कार जीत चुका है। (इसी नाम से इस पर फिल्म भी बन चुकी है, हिंदी में 'परिचय' फिल्म इसी पर आधारित थी।) यहाँ  भारतीय कलाकार अपनी पूरी कलात्मकता के साथ ओरिजनल शो को प्रोड्यूस कर सकते हैं।

यहां का चार मंजिला वाला 'आर्ट हाउस' किसी महल से कम नहीं है। ये जगह इंटरनेशनल और भारतीय दर्शकों के लिए बनाई गई है।  यहां भारतीय और विदेशी ऑडियंस के लिए कलाएं और कार्यक्रम पेश किए जाएंगे। 

कल्चरल सेंटर के आगे के भाग में एक बड़े ब्रेसलेट जैसी आकृति रखी गई है। 'आर्ट हाउस', एक चार मंजिला कला परिसर है। 16,000 वर्ग फुट में फैली इस जगह का निर्माण इंटरनेशनल ऑडियंस को देखकर भी किया गया है। इसके अलावा टेक प्रोग्राम, वर्कशॉप और एजुकेशनल एक्टिविटीज के लिए अलग से जगह है।  

 सांस्कृतिक केंद्र का ‘द क्यूब’ स्पेस आर्टिस्ट को सपोर्ट और प्रमोट करेगा, मतलब यहां आर्टिस्ट हजारों दर्शकों के सामने अपनी कला दिखा सकते हैं। द क्यूब को भाषण देने के लिए, स्टैंड अप कॉमेडी, म्यूजिकल शोज़ के लिए बनाया गया है।

यहां 125 लोगों के बैठने की क्षमता है, यहां पोर्टेबल स्टेज है, जिसमें आप कहीं भी और कैसे भी बैठ सकते हैं।

 'स्टूडियो थियेटर'  250 सीटों वाली जगह है, जिसमें टेलीस्कोपिक बैठने की सुविधा है और इसमें विभिन्न आयोजनों के लिए स्टेज की लोकेशन  बदलने की क्षमता है।

इसमें रिगिंग और लाइटिंग के लिए एक टेंशन वायर ग्रिड का उपयोग किया गया है जो भारत में पहला कहा जाता है।

 इसके उद्घाटन में नेता, मंत्री या प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि नहीं थे। जिन्होंने रोकड़ा लगाया, उन्हीं के नाम पर केंद्र बना, उन्हीं ने शुभारंभ किया! मेरा निजी मत है कि इस भव्यतम, विशालतम और नवीनतम केंद्र का नाम अगर नीता-मुकेश अम्बानी कल्चरल सेंटर न होता तो शायद अच्छा होता। 

 जो भी हो,  कई मायनों में यह केंद्र विलक्षण है। यह विश्व के सांस्कृतिक क्षेत्र में भारत को नई पहचान देगा। इसका संयोजन और सञ्चालन विश्व के जानेमाने लोग कर रहे हैं।

 इसके  उद्घाटन में रजनीकांत,सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, शाहरुख खान, सलमान खान, दीपिका पादुकोण, रश्मिका मंदाना, प्रियंका चोपड़ा,  स्पाइडर मैन फेम एक्टर टॉम हॉलैंड, जैंड्या, गीगी हदीद, निक जोनस, देवेंद्र फडणवीस, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, स्मृति ईरानी आदि के  साथ  ही, जग्गी वासुदेव, स्वामी नारायण, राधानाथ स्वामी, रमेश भाई ओझा, स्वामी गौर गोपाल दास आदि भी शामिल थे।  

 

मुंबई में एनसीपीए (नेशनल सेंटर फॉर परफार्मिग आर्ट्स), जहांगीर कला दीर्घा, पृथ्वी थियेटर बड़े कल्चरल सेंटर हैं। उसमें अब यह नया नाम जुड़ गया है। इतना महंगा कल्चरल सेंटर है तो फ़ोकट थोड़े ही है!

यहाँ आर्ट एक्जीबिशन देखने के भी 200 से 500 रूपये लगते हैं। 

साउंड ऑफ़ म्यूजिक शो के 'सस्ते' टिकट 23 मई तक के बुक हो चुके हैं।  यहाँ अपर बालकनी का टिकट 1100, लोअर बालकनी का 1650, ड्रेस सर्कल और गोल्ड के 4500, प्लेटिनम के 6800, डी बॉक्स के टिकट 35000 प्रति व्यक्ति, प्रति शो है।  शो पौने तीन घंटे का है।  पार्किंग, खाने-पीने का अलग! 

 

 

 



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