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हास्य व्यंग्य के ग़ालिब मुश्ताक़ अहमद युसूफ़ी नहीं रहे

वीथिका            Aug 06, 2022


वीरेंद्र भाटिया


हिंदुस्तान में जन्मे जाने माने पाकिस्तानी उर्दू लेखक और व्यंग्यकार मुश्ताक़ अहमद युसूफ़ी अब नहीं रहे, पिछले 20 जून को ही उनका इंतकाल हुआ;
वे हास्य और व्यंग्य के ग़ालिब माने जाते थे उनकी कुछ व्यंग्यभरी वन लाइनर्स का मजा लीजिए
1. "इस्लाम के लिए सबसे ज़्यादा कुर्बानी बकरों ने दी है"
2. "मर्द की आँख और औरत की ज़ुबाँ का दम सब से आख़िर में निकलता है...
3. "इस्लामिक वर्ल्ड में आज तक कोई बकरा नेचुरल डेथ नहीं मरा...
4. "दुश्मनी के लिहाज़ से दुश्मनों के तीन दर्ज़े होते है - दुश्मन, जानी दुश्मन और रिश्तेदार
5. "आदमी एक बार प्रोफ़ेसर हो जाए तो ज़िन्दगी भर प्रोफेसर ही रहता है, चाहें बाद में वह समझदारी की बातें ही क्यों न करने लगे...
6 जो मुल्क़ जितना ग़रीब होगा, आलू और मज़हब का चलन उतना ही ज्यादा होगा...
7. "दुनिया में ग़ालिब वो अकेला शायर है जो समझ में ना आये तो दुगना मज़ा देता है
8. "मेरा ताल्लुक उस भोली भाली नस्ल से है जो ये समझती है कि बच्चे बुज़ुर्गों की दुआओं से पैदा होते हैं....
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9. "हमारे मुल्क की अफ़वाहों की सब से बड़ी ख़राबी ये है कि वो सच निकलती हैं....
10 . बुढ़ापे की शादी और बैंक की चौकीदारी में ज़रा भी फ़र्क नहीं, सोते में भी एक आंख खुली रखनी पड़ती है...
11. मुहब्बत अंधी होती है, लिहाज़ा औरत के लिए खूबसूरत होना जरूरी नहीं, बस मर्द का नाबीना (अंधा) होना काफ़ी होता है...
12. लफ़्ज़ों की जंग में फ़तह किसी भी फ़रीक़ की हो, शहीद हमेशा सच्चाई होती है...

 



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