Breaking News

कैसे ठीक रहेगा गंगा का स्वास्थ्य? मोदी सरकार दोहरा रही कांग्रेस की गलतियां!

खास खबर            Sep 21, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो वाराणसी।

एसटीपी निर्माण में पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा करीबियों को टेंडर

विश्व के कई देश इन दिनों भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। देश-विदेश के भ्रमण पर गए पीएम मोदी भारत और यहाँ की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। जिससे विदेश में बैठे भारतीयों की दिलचस्पी बढ़ी है। बुलेट ट्रेन से लेकर अंतरिक्ष और सैन्य शक्ति के क्षेत्र में इन दिनों हो रही घोषणाओं से देश का मनोबल बढ़ा है। ऐसे ही पीएम मोदी ने चुनावी रैलियों के दौरान माँ गंगा का नाम लेकर करोड़ो लोगों का दिल जीत लिया जिनका रोजगार सीधे गंगा से जुड़ा था।

जब पीएम नरेंद्र मोदी 22 सितम्बर को दो दिवसीय दौरे पर पुनः काशी आ रहे हैं तो कई परियोजनाओं का शिलान्यास और कई योजनाओं का उद्घाटन करेंगे। कहीं इस भीड़ में गंगा का मुद्दा खो न जाए इसे लेकर काशीवासियों में टीस है। देखा जाये तो मोदी सरकार भी तीन वर्षों में वहीं गलतियां की है जो पिछली सरकारों ने दुहराया है।

गंगा का स्वास्थ्य काशी में ठीक रहे इसे लेकर कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2012 में विशेषज्ञों की टीम बनाकर एक योजना बनाई, जिसमें 3 बिंदुओं पर विशेष जोर दिया गया। एक,रमना में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी)। दूसरा,अस्सी से वरुणा तक ग्रेविटी इंटरसेप्टर और तीसरा JICA द्वारा नाले का कार्य करने की स्वीकृति हुई। 

इन कार्यों के लिए भारत सरकार और राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय ने रमना एसटीपी और अस्सी-वरुणा ग्रेविटी इंटरसेप्टर के लिए संकटमोचन फाउंडेशन और JICA  के कार्यों के लिए यूपी जल निगम को जिम्मेदारी सौंपी थी। मगर सत्ता नेतृत्व बदलते ही गंगा के कार्यों  को लेकर राजनीति शुरु हो गई और हम जहां से चले थे वहीं आ खड़े हुए। 

मंत्रालय ने पुनः रमना के लिए टेंडर निकाला और रमना एसटीपी के निर्माण का जिम्मा एस्सेल ग्रुप को सौंप दिया। वादा किया जा रहा है कि नवंबर से रमना का कार्य शुरु कर दिया जाएगा मगर तकनीकी पहलू यह कि वर्ष 2010 में रमना में मलजल निकलने की क्षमता करीब 78 एमएलडी था, जो इन दिनों करीब 100 एमएलडी तक पहुंच गया होगा। 

गौर करने वाली बात यह है कि जब सरकार के पास आंकड़े है तों फिर रमना में 50 एमएलडी की एसटीपी बनवाने से गंगा को क्या फायदा? 

दूसरा गम्भीर मुद्दा यह है कि 50 एमएलडी क्षमता वाले रमना एसटीपी के निर्माण के लिए संकटमोचन फाउंडेशन ने 52 करोड़ रुपये लागत का डीपीआर केंद्र को सौंपा था उसी काम के लिए एस्सेल ग्रुप 153 करोड़ लागत खर्च से उसी एसटीपी को तैयार कराएगी। 

अब सवाल यह कि आखिर कब तक गंगा पर राजनीति होगी और जनता के पैसों को पानी की तरह बहाया जाएगा? वास्तव में यदि गंगा को लेकर मोदी सरकार में दृढ़ इच्छा है तो आखिर अब विशेषज्ञों की राय से गंगा को प्रदूषणमुक्त करने के लिए स्थाई उपचार कर देना चाहिए।

 


Tags:

atal-bihari-bajpai-lalkrishn-adwani

इस खबर को शेयर करें


Comments