चुनावी कवरेज करने गये पत्रकार हुये मॉब लिचिंग का शिकार, रिपोर्टर की आपबीती

मीडिया            Nov 10, 2017


मल्हार मीडिया।

पत्रकारों के साथ मारपीट अब आम बात होती जा रही है। लेकिन चुनावी कवरेज में शराब बंटने की रिपोर्टिंग करते पत्रकारों के साथ स्थानीय पार्टी  कार्यकर्ताओं ने मारपीट कर दी। इतना ही नहीं उनकी सुनवाई भी नहीं हुई और रिपोर्ट वापस लेने दबाव बनाया जाता रहा। रिपोर्टर गौरव सागवाल की आपबीती पढ़िये और तय करिये कि क्या गुंडा पार्टियां ही अब देश चलाने वाली हैं।

शायद अब मैं हिमाचल कभी जाऊँ....
जी हां, हम और हमारी टीम लगातार पिछलें एक महीनें से डीपीआर से आज्ञा लेकर चुनावी कवरेज पर थे। सब कुछ अच्छा जा रहा था हिमाचल को बेहद करीब से देखा, जैसा सुना वैसा लगा भी। पर शायद मैं किसी भ्रम में ही था, या शायद कोई बुरा सपना जो परसों रात टूट गया।

हम पावंटा साहिब में राहूल की रैली कवर कर के नाहन के लिए निकलें, क्यूँकि वहां भी सीएम राजा वीरभद्र की रैली थी। बहुत अच्छा जा रहा था और हम निकलनें वाले थे कि स्थानिय लोगों से पता चला यहां रात को शराब बंटती हैं। एक गज़ब की स्टोरी हमारे सामने थी, और हम सुबह से उस स्टोरी पर काम करना शुरू भी कर चुकें थे ।

चुंकि हम बाहरी थे तो हमारे चैनल के वहां के रिपोर्टर का साथ हमें चाहिए था, जो कि मिला भी। दिन में मैंने मेरे हरियाणा के कुछ मंत्री और एमएलए वहा मिलें जिनकी मैंने बाईट भी ली। चुनावी माहौल पर चर्चा भी की। पर हमें वहा कुछ ऐसा नहीं लगा जो सुत्रों से पता लगता।

पर लगता है ये मेरे जीवन की सबसे काली रात में से एक थी 7 नवंम्बर को 5 बजे तक प्रचार थमने वाला था, जैसे शाम हुई वाकई शरेआम चुनाव आयोग की धज्जियां उड़ी मिली। भाजपा कार्यलय में शराब का वितरण हो रहा था और ग्रामीण लोगों को पर्जी दी जा रहीं थी जो किसी निजी होटल में दिखा शराब लें सकतें थे।

मैं और मेरे सर चंद्र मौली शर्मा ने जैसे पुरा माहौल देखा और कुछ हिला देने वाले विजूवल हाथ लगें तो हम भी हिल गयें की शराब की इतनी खेप।

हमारे हाथ इतना मैटिरियल लग चुका था की हम चैनल पर चला सकें। उसके साथ हमें भाजपा प्रत्याशी नाहन का पक्ष भी जानना था तो हम स्थानिय पत्रकार को काॅल की, पर उस समय वो बाहर थे तो हमने भाजपा के मीडिया सलाहकार से समय मांगा की एक बाईट चाहिए तो भाजपा प्रत्यासी ने हमारी टीम को ऑफिस में बाईट लेने का समय दिया।

जैसै ही हमने बिंदल जी को बाहर ही पार्टी के ऑफिस के बाईट लेनी चाही और बताया की आपके यहां के कुछ दृश्य भी हाथ लगें हैं तो भाजपा प्रत्याशी वहां से निकल पड़े और उनके जाने के करीब 2-3 मिनट बाद सभी पार्टी कार्यकर्ता हम पर टूट पड़े।

#Mob_lynching को आज तक सिर्फ टीवी पर देखा था, शिकार पहली बार हुए थे। जैसे ही हमारे साथ छिना-झपटी हुई तो उन्होनें सबसे पहलें कैमरा छिना और मुझे अंदर खिंचनें लगें. जैसे ही मेरे सर चंद्र मौली जी बीच बचाव को आये तो उनको वे भाजपा कार्यलय में ले जा रहे थे। तभी सर ने कहा भाग और S.P को फोन करो। मैंने जैसे ही फोन किया पुलिस 1 घंटे बाद आकर उल्टा हमें ही थाने ले जाती है।

युद्धवीर सिंग थाना प्रभारी गुन्नूघाट (नाहन) थाने ले जाकर कहते है “तुम साले पत्रकार हो जुत्ती खाने लायक” और भी न जानें क्या-क्या। मैडिकल में जान बुझ कर रात से अगले दिन की शाम करना, ताकि बिना मैडिकल के बात रुक जाये।

सहन बहुत किया पर कुछ लोकल पत्रकारों की वज़ह से बहुत सहायता हुई। सर का फोन नहीं था सिर्फ मेरा फोन था। किस-किस प्रकार का दबाव झेला, फोन पे फोन एफआईआर वापिस लेने का। मैं टूट चुका था, पर सर की हिम्मत से संघी और भाजपा के गुंड़ो से लड़ाई जारी हैं। जो सहा सब लिखना चाहता हूँ पर हिम्मत नही अब।

गौरव सागवाल। की फेसबुक प्रोफाईल पर जाने के लिए नाम पर क्लिक करें


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