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राज्य स्तरीय पुरस्कार समारोह बोले जनसंपर्क मंत्री, महासंग्रहालय का रूप ले चुका है सप्रे संग्रहालय

मीडिया            Jan 14, 2019


मल्हार मीडिया भोपाल।
आठवें दशक में सप्रे संग्रहालय कमला पार्क स्थित आचार्य नरेन्द्रदेव पुस्तकालय में छोटे से स्वरूप में शुरु हुआ था, लेकिन आज यह संग्रहालय महासंग्रहालय का रूप ले चुका है। इस संस्था ने विश्वभर में अपनी अनूठी पहचान बनाई है।

यह कहना है प्रदेश के विधि एवं जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का। वे आज माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय पुरस्कार समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

संग्रहालय के सभागार में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता मप्र-छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने की। हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक पं. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी विशेष रूप से उपस्थित थे। समारोह में पत्रकारिता एवं लेखन से जुड़ी करीब 15 विभूतियों को प्रशस्ति पत्र, चरखा, शाल और लेखनी भेंट कर सम्मानित किया गया।

उद्बोधन में जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि सप्रे संग्रहालय की स्थापना से ही जुड़ा रहा हूं। यह संग्रहालय अपने भीतर पत्रकारिता तथा साहित्य का दुर्लभ खजाना सहेजे हुए हैं। उन्होंने कहा कि संग्रहालय ने पूरी पत्रकारिता बिरादरी को एक परिवार के रूप में जोड़ दिया है। पत्रकारिता जगत के लिए यह भी किसी अवदान से कम नहीं।

श्री शर्मा ने अमेरिका यात्रा के दौरान जॉन एफ कैनेडी की हत्या को प्रकाशित करने वाले समाचार पत्र की प्रति संग्रहालय को सौंपने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जहां भी जाता हूं संग्रहालय मेरे मन-मस्तिष्क में रहता है। जनसंपर्क मंत्री ने सरकार तथा अपनी ओर से संग्रहालय को हर संभव मदद का भरोसा भी दिया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि सप्रे संग्रहालय ने भोपाल ही नहीं मध्यप्रदेश को एक पहचान दी है। दुनिया भर से यहां आने वाले शोधार्थी इसका प्रमाण हैं। उन्होंने बताया कि उनके पितामह द्वारा वर्ष 1923 में लिखे गए संपादकीय के संकलन को इसी संग्रहालय ने प्रकाशित किया था। इसी वजह से इस संस्था से व्यक्तिगत जुड़ाव है।

आरंभ में संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने प्रस्तावना वक्तव्य में कहा कि पुरस्कारों का यह सिलसिला करीब 15 साल पहले शुरु हुआ था। इसके पीछे मंशा यह थी कि पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट लेखन करने वालों के कृतित्व को सामाजिक स्वीकृति मिले। इसके साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट अवदान देने वाली विभूतियों के नाम पर पुरस्कार स्थापित कर उनके प्रति सम्मान व्यक्त करना भी उद्देश्य है।

इस अवसर पर डा. मंगला अनुजा द्वारा लिखी किताब 'भारतीय पत्रकारिता नींव के पत्थर' का विमोचन भी किया गया। इसका प्रकाशन हिन्दी ग्रंथ अकादमी ने किया है। किताब के बारे में बताते हुए अकादमी के संचालक सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने बताया कि यह पुस्तक पत्रकार, पत्रकारिता और लेखन के महत्व को प्रतिपादित करती है।

कार्यक्रम में नवनियुक्त जनसंपर्क मंत्री का सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार राकेश पाठक ने किया। आभार प्रदर्शन संग्रहालय के अध्यक्ष राजेन्द्र हरदेनिया ने किया तथा अतिथियों का स्वागत विवेक श्रीधर ने किया।

इनका हुआ सम्मान
हुक्मचंद नारद पुरस्कार - सर्वश्री ध्रुव शुक्ल एवं श्री कमलेश पारे, संतोष कुमार शुक्ल लोक संप्रेषण पुरस्कार - मनोज पाठक, माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार -आलोक पण्ड्या, लाल बलदेव सिंह पुरस्कार - हरि अग्रहरि, जगदीशप्रसाद चतुर्वेदी पुरस्कार - भोजराज उच्चसरे, झाबरमल्ल शर्मा पुरस्कार - नीरज श्रीवास्तव तथा रामेश्वर गुरु पुरस्कार - पुष्पेन्द्र पाल सिंह, केपी नारायणन पुरस्कार - लेमुअल लाल, राजेन्द्र नूतन पुरस्कार - अर्पण खरे, जगतपाठक पुरस्कार - प्रवीण पाण्डेय, सुरेश खरे पुरस्कार - सीताराम ठाकुर, आरोग्य सुधा पुरस्कार - शरद बाघेला और होमई व्यारावाला पुरस्कार - रिजवान खान को प्रदान किया गया।

सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता के लिए वर्ष 2019 से कीर्तिशेष पत्रकार श्री गंगाप्रसाद ठाकुर के नाम से स्थापित पहला पुरस्कार 'दंड का अरण्य' पुस्तक के लेखक-पत्रकार ब्रह्मवीर सिंह, रायपुर को दिया गया।

 



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