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फिल्म समीक्षा: टाइम पास मूंगफली के तरह जबरिया जोड़ी

पेज-थ्री            Aug 10, 2019


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
बालाजी फिल्म फैक्ट्री की नई फिल्म जबरिया जोड़ी मनोरंजक है। मसालों से भरपूर यह फिल्म बिहार के पकड़वा विवाह की घटनाओं पर आधारित है, जहां विवाह योग्य दूल्हों का अपहरण करने के बाद न केवल विवाह करवा दिया जाता है, बल्कि संतान होने तक वे अपहरणकर्ताओं की निगरानी में भी रहते हैं।

बिहार की पृष्ठभूमि पर फिल्माई गई इस फिल्म में परिणीति चोपड़ा, सिद्धार्थ मल्होत्रा, जावेद जाफरी, संजय मिश्रा और शक्तिमान खुराना के भाई अपार शक्ति की प्रमुख भूमिकाएं हैं। फिल्म का पहला आधा हिस्सा अच्छा खासा मनोरंजक है और बाद में फिल्म में गंभीर सामाजिक संदेश जोड़ दिया गया है।

इस फिल्म के संवाद बेहद चुटीले है। सिद्धार्थ मल्होत्रा और परिणीति चोपड़ा की एक्टिंग अच्छी है। संजय मिश्रा अपने आप में बेजोड़ कलाकार है और जावेद जाफरी ने भी खलनायक की भूमिका दमदारी से की है। फिल्म में कुछ दोहरे अर्थ वाले संवाद भी है।

फिल्म की थीम ही है कि अगर दहेज मांगना गैरकानूनी है, तो पकड़वा विवाह भी गैरकानूनी ही है, लेकिन वह है जरूरी। दुनिया सिद्धांतों पर टिकी है, लेकिन चलती तो सेटेलमेंट पर ही है। पकड़वा विवाह कराने वाले उसे न तो धंधा मानते है और न गुंडागर्दी। वे कहते है कि ये तो समाजसेवा है।

फिल्म की शुरुआत ही रुकावट के लिए खेद है, तुम्हारा किडनैप प्रीपेड है जैसे संवादों से होती है। एक और डायलॉग है कि सुंदर, सुशील, शिक्षित और सभ्य लड़की की केवल अफवाह होती है, होती कोई नहीं। शादी आजकल चायनीज माल की तरह हो गई है, चली तो चली, वरना नहीं चली।

शादी मर्दों का बधियाकरण है और मिठाई खाने के लिए हलवाई होना जरूरी नहीं, जैसे डायलॉग भी है। जिस तरह नसबंदी के बाद भी बच्चे पैदा होते है, वैसे ही नशाबंदी के बाद भी बिहार में शराब मिलती है। फिल्म में एक दर्जन से अधिक शराबखोरी के दृश्य है। बिहार आबकारी विभाग को इस पर कुछ कार्रवाई करनी चाहिए।

फिल्म बनाने का चटपटा अंदाज युवा दर्शकों को लुभाता है। इस तरह के विवाह को बिहार के कुछ इलाकों में सामाजिक मान्यता भी प्राप्त है। इस विषय पर अंर्तद्वंद और सब कुशल है जैसी फिल्में आ चुकी है, लेकिन जिस मनोरंजक तरीके से यह फिल्म बनाई गई है, वह दिलचस्प है।
निर्देशक प्रशांत सिंह ने कपोल कल्पित घटनाओं को असली की तरह प्रस्तुत कर दिया है और अंत में जाकर बॉलीवुड का मसाला भी डाल दिया है। दहेज की समस्या को भी फिल्म में हल्के-फुल्के तरीके से जोड़ दिया गया है।

फिल्म में कॉमेडी वाला हिस्सा लोगों को पसंद आएगा। एक्शन, ड्रामा, रोमांस, कॉमेडी सभी कुछ इस फिल्म में डाल दिया गया है। एकता कपूर की बालाजी फिल्म्स के अतीत को देखते हुए यह फिल्म बेहतर है। ढाई घंटे का टाइम पास मनोरंजन। बोर हो रहे है, तो फिल्म देख सकते हैं।

 



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