मल्हार मीडिया ब्यूरो।
आनंद आमतौर पर अपने शांत व्यवहार और सज्जनतापूर्ण शैली के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, इस मामले पर वह प्रतिक्रिया देने से नहीं कतराए। आनंद ने कहा कि 34 वर्षीय कार्लसन गुकेश के खिलाफ जीतकर दिखाना चाहते थे कि इस खेल में उनका वर्चस्व जो कोई और खिलाड़ी नहीं बना सकता।
नॉर्वे शतरंज में विश्व चैंपियन भारत के डी गुकेश से हारने के बाद विश्व नंबर-एक मैग्नस कार्लसन ने मेज पर रखे चेस बोर्ड पर हाथ पटका था। किसी ने कार्लसन जैसे दिग्गज से इस तरह की प्रतिक्रिया की अपेक्षा नहीं की थी। अब इस पर भारत के महान चेस खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का बयान आया है। उन्होंने कहा कि गुकेश से हारने के बाद कार्लसन की उग्र प्रतिक्रिया शायद इसलिए थी क्योंकि उन्होंने देखा कि खेल में उनके वर्चस्व को किसी युवा खिलाड़ी द्वारा चुनौती दी जा रही है। आनंद ने कहा कि FIDE इस घटना पर बहुत जल्द चर्चा कर सकता है। नॉर्वे शतरंज के छठे राउंड में गुकेश से हार से हताश कार्लसन ने मेज पर हाथ पटका था, जिससे मोहरें तितर बितर हो गईं। कार्लसन फिर 'ओह माय गॉड' चिल्लाते हुए उस हॉल से निकल गए। उनकी यह प्रतिक्रिया देखकर पूरी दुनिया हैरान थी। कार्लसन इसी टूर्नामेंट में गुकेश से एक बार भिड़ चुके थे, जिसमें नॉर्वे के इस दिग्गज खिलाड़ी ने जीत हासिल की थी, लेकिन दूसरे में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
आनंद आमतौर पर अपने शांत व्यवहार और सज्जनतापूर्ण शैली के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, इस मामले पर वह प्रतिक्रिया देने से नहीं कतराए। आनंद ने कहा कि 34 वर्षीय कार्लसन गुकेश के खिलाफ जीतकर 'रेत में कुछ रेखा खींचना' चाहते थे। वह दिखाना चाहते थे कि इस खेल में उनका वर्चस्व जो कोई और खिलाड़ी नहीं बना सकता। आनंद ने कहा, 'गुकेश को हराना कार्लसन के लिए बहुत मायने रखता था। भले ही अन्य सभी खेलों में उनकी हालत उतनी अच्छी नहीं हो, लेकिन क्लासिकल चेस में मुझे लगता है कि वह कुछ साबित करना चाहते थे। वह युवा खिलाड़ियों को दिखाना चाहते थे कि अभी भी वही इस खेल के शहंशाह हैं। उनकी प्रतिक्रिया सबकुछ बताती है। मुझे लगता है कि गुकेश के खिलाफ एक और जीत से वह बहुत खुश होते।'
आनंद अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) के उपाध्यक्ष हैं और प्रसारण प्रतिबद्धताओं के लिए नॉर्वे में ही हैं। उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि वह जीतने की स्थिति से हार गए, शायद इस वजह से उनकी निराशा और हताशा और बढ़ गई। आनंद ने कहा, 'दुनिया के किसी भी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ, वह इतनी अच्छी स्थिति में आकर हारना पसंद नहीं करते। मुझे भी ठीक ऐसा ही महसूस हुआ था जब मैंने तीन साल पहले 2022 में नॉर्वे में मैग्नस के खिलाफ अपने खेल में कुछ गलतियां की थीं और हार गया था।' आनंद ने कहा कि कार्लसन के खेल में गिरावट के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'निश्चित रूप से यह खेल और उसकी रणनीति उनके लिए बहुत मायने रखता था और वह करीब आकर फिसल गए, लेकिन इसके पीछे थकान भी एक कारण हो सकता है। यह नया समय नियंत्रण का नियम भी एक कारण हो सकता है। इस क्लासिकल चेस टूर्नामेंट में इस बार सडन-डेथ आर्मगेडन टाई-ब्रेक है।' आनंद ने कहा कि उन्होंने अपने खेल करियर के दौरान टेबल पर कई खिलाड़ियों को गुस्सा जाहिर करते देखा, जिसे असामान्य कहना गलत नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'हां मैंने काफी गुस्सा देखा है। यह सब कुछ काफी समय से चल रहा है, लोग चिल्ला रहे हैं और गालियां दे रहे हैं। मुझे लगता है कि यह दिल्ली में 2000 विश्व चैंपियनशिप में भी हुआ था। उस मैच में एस्टोनिया के जान एहलवेस्ट के
आनंद ने कहा, 'और दूसरी बात जो मैं कहूंगा वह यह है कि गुकेश और कार्लसन के बीच का खेल बहुत तेज गति में हुआ। मेरा मतलब है कि शायद मैग्नस क्लासिकल शतरंज को लेकर उत्साहित नहीं हैं, लेकिन उन्होंने निश्चित रूप से गुकेश से मुकाबला करने का सोचा होगा। या अगर गुकेश व्यक्तिगत रूप से नहीं, वह उसके खिलाफ अपना वर्चस्व साबित करना चाहते थे जो अब विश्व चैंपियन है। मेरा मतलब है, शायद उनके दिमाग में बहुत सारी चीजें चल रही थीं और वह बाहर आ गईं। इसलिए गुकेश के खिलाफ उन दो मैचों को कार्लसन ने गंभीरता से लिया। और यही आंशिक रूप से निराशा का कारण बना।'
आनंद ने कहा कि ऐसी घटनाएं इतनी आम नहीं हैं, लेकिन कभी-कभार वे धीरे-धीरे सामने आती हैं और ज्यादातर तब होती हैं जब कोई खिलाड़ी मजबूत स्थिति से हार जाता है। उन्होंने कहा, 'मेरा मतलब है, यह इतना आम नहीं है। आप कभी कभी इस तरह की प्रतिक्रिया देखते हैं। कोई ऐसा व्यक्ति था जो गलत चाल चलना पसंद नहीं करता, क्योंकि उस मैच में उससे गलती हुई, तो यह नाराजगी खुद से थी। उसने सोचा होगा कि उसने अपना खेल खुद बिगाड़ दिया जो पहले अच्छा चल रहा था और आत्मघाती हो गया।
जब आनंद से पूछा गया कि क्या भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों के लिए चेतावनी की जरूरत पड़ सकती है, तो उन्होंने संकेत दिया कि इस मुद्दे पर FIDE द्वारा चर्चा की जाएगी। आनंद ने कहा, 'कानून का मतलब परिभाषाएं हैं। यह मुश्किल हो जाता है। मुझे लगता है कि FIDE इस पर चर्चा करेगा। हमें इन चीजों को संतुलित करना होगा। निश्चित रूप से मुझे लगता है कि इस पर जल्द ही चर्चा होगी।'
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि निकट भविष्य में शतरंज को ओलंपिक कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा, आनंद ने कहा कि FIDE अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और उन्हें उम्मीद है कि यह किसी न किसी रूप में हो सकता है। आनंद ने कहा, 'हां, मुझे पूरी उम्मीद है। मुझे नहीं पता कि, किसी समय, IOC ईस्पोर्ट्स या नियमित खेलों के माध्यम से या किसी अन्य माध्यम से जुड़ाव के विभिन्न रूपों पर निर्णय लेती है या नहीं। लेकिन हम उस दिशा में बहुत मेहनत कर रहे हैं।'
Comments