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शिवराज की मध्यप्रदेश से चिपकी रहने वाली फेवीकोलमयी कोशिशें और मोदी का खामोश दांव

वीथिका            Jun 17, 2019


प्रकाश भटनागर।
माननीय शिवराज सिंह चौहान जी, कसम-से, आप पर कुर्बान होने का जी कर रहा है। क्या सुझाव दिया है आप ने! मध्यप्रदेश में रेप रोकने के लिए मोहल्ला समितियां बनाई जाएं।

सच कह रहा हूं कि कम्प्यूटर बाबा आपके खेमे में होते तो पांच सौ क्विंटल लाल मिर्चियों का हवन करवा कर समितियां बनाने की मन्नत मांग लेते। बहुत बुरा लगता है इन दिनों आपको देखकर।

कहां पहले आप उड़न खटोले में सवार होकर प्रदेश के कोने-कोने में आशीर्वाद-आशीर्वाद खेलने जाते थे। और कहां अब आप मोमबत्ती लेकर भोपाल की उमस-भरी फिजा में पैदल टल्ले खा रहे हैं।

एक तेरह साल का दौर वह था, जब आप प्रदेश भर में वोट की खेती करने में मशगूल रहे और एक यह दुष्ट समय है कि आप अपनी तेजी से बंजर होती जमीन को फिर उर्वरा बनाने के तमाम नाकाम जतन से जूझते अकेले नजर आ रहे हैं।

माननीय, हमने तो भोपाल के जम्बूरी मैदान पर वह दृश्य भी देखा है, जब आपने नरेन्द्र मोदी की तुलना में लालकृष्ण आडवाणी को अधिक तवज्जो दी थी। हाय! आंखें फूट जाएं , जो आज यह देखना पड़ रहा है कि इन्हीं मोदी ने आपको जम्बूरी मैदान वाले भोपाल से दूर करने का पूरा बंदोबस्त कर दिया है।

ईमान से कहता हूं, ये सदस्यता-फदस्यता अभियान जैसे खालिश शाकाहारी काम आपको शोभा नहीं देते। न लच्छेदार बातें करने का मौका। न ही सरकारी खजाने का गला घोंटकर योजनाओं के जरिये वोट पकाने की जुगाड़। ले-देकर वही पार्टी की रीति-नीति वाली बातें।

आप इस सबके लिए नहीं बने हैं। आग लगे ऐसे मतदाता को, जो आपको चार या छह सीट और देने की उदारता नहीं दिखा सका। ठठरी बंधे उस वोटर की भी, जिसने मोदी को स्पष्ट बहुमत देकर उन्हें आपकी दुर्गति करने के लिए एक बार फिर पूरी तरह सक्षम बना दिया।

बताइये जरा, आप चीखते रहे 'माफ करो महाराज' और एक ये मोदी हैं, बगैर चीखे कर दिया, 'माफ करो शिवराज।'

अब तो आपके हाल पर बहाने लायक आंसू का भी स्टॉक डेड लेवल तक पहुंच गया है। इसलिए कुछ और बात की जाए।

तो मुद्दा यह है कि इस सबके बावजूद प्रदेश से चिपके रहने की आपकी फेविकॉलमयी कोशिशों को देखकर यह नाचीज बेहद खुश है। लेकिन एक शिकायत भी है। तेरह साल के कार्यकाल में कुछ समय निकालकर खुद आपने ही मोहल्ला समितियों का गठन क्यों नहीं कर दिया?

इस प्रदेश को बलात्कार में मामले में नंबर वन बनाने का श्रेय तो आपकी सरकार को ही जाता है। उस समय न आपके जेहन में मोहल्ला समिति की अवधारणा दिखी और न ही हाथ में मोमबत्ती।

बच्चियां चीत्कार करती रहीं और आपका सारा ध्यान कभी नरोत्तम तो कभी लाल सिंह को कानून के शिकंजे से बचाने में लगा रहा। माफ कीजिए, यहां बच्चियों के बलात्कारियों को फांसी की सजा वाले प्रावधान का जिक्र मत कर दीजिएगा।

क्योंकि कभी-कभी गुस्सा हमें भी आता है। यह देखकर कि इस कानून के तहत आज तक एक भी रेपिस्ट को फांसी पर नहीं लटकाया गया है।

कानून बनाते समय आप भी जानते थे कि भले ही इस कानून से दो-चार महीने में निचली अदालतों से बलात्कारियों को फांसी की सजा हो जाएगी, लेकिन आप जानते हैं कि भारतीय न्याय व्यवस्था में ये इतना आसान भी नहीं। खाली वाहवाही से फर्क नहीं पड़ता।

माननीय, बता दूं कि सरकार का काम कानून बनाना ही नहीं, उसका पालन सुनिश्चित कराना भी होता है। और यदि नीयत सच्ची हो तो यह काम 'माई का लाल' या 'टाइगर के जिंदा' रहने का दावा किए बिना भी आसानी से किया जा सकता था।

जिस कुव्यवस्था की भदभदा के सारे के सारे शटर आपकी सरकार ने ही खोले थे, उस की बाढ़ के लिए इस तरह के खोखले प्रलाप आपको शोभा नहीं देते। क्योंकि बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी। उसका विस्तार सहकारिता और ई-टेंडरिंग घोटाले तक होगा। व्यापमं का जिन्न तो खैर आपकी नींद उड़ा ही रहा होगा।

माननीय, कहां लगे हो आप भी। नर्मदा मैया को प्रणाम करके दिल्ली की ओर कूच कर लो। आपके कार्यकाल में करोड़ों रुपए की लागत से लगाये गये पौधों के बावजूद इस नदी के धूप से पिघलते किनारे आपको माफ कर देंगे।

अपने संरक्षण की घोषणाओं की सच्चाई से कोसों परे उजाड़ी जा रही मां रेवा आज भी आपको आशीर्वाद दे देगी। हां, इतना मुझे जरूर लगता है कि यह माफी और आशीर्वाद आपकी राज्य में वापसी के लिए नहीं होगा।

प्रदेश में आपके राजनीतिक अस्तित्व को वैसे ही गुम करने के इंतजाम हो भी गए हैं। जिस तरह पद्मावती अवार्ड की आपकी घोषणा का हश्र हुआ था। इस प्रदेश को जब तक देखना होगा कमलनाथ देख ही लेंगे।

बाकी आपकी पार्टी के दूसरे लोगों की निगाहें भी अब प्रदेश की सत्ता में लगी है। अब आप तेरह साल सब कुछ तो कर चुके। कुछ मौका दूसरों के लिए भी छोड़ दों।

संगठन में आपकी क्षमता से मैं वाकिफ हूं। आप मन लगाएंगे तो निश्चित तौर पर अमित शाह की इच्छा पर खरे उतरेंगे। पर आप हकीकत जानते हैं, अब दिल्ली में भी शायद ज्यादा अवसर आपके लिए नहीं हैं। तो क्या हुआ, कुछ दिन शांति से गुजारिए।

क्या है ना कि वो जो सब कुछ आपकी सरकार में भी घटा है, उसी के कमलनाथ सरकार में भी घटने पर आपकी प्रतिक्रिया अब भाती नहीं है।

कारण, अब इस प्रदेश में जमे रहने की आपकी लाचारी और चुटकुले भरी कोशिशों को और सहन करने की क्षमता भी तो कोई चीज होती है या नहीं?

 



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