मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय टेलिकॉम बाजार में आज एक बड़ी हलचल तब दिखी जब वोडाफ़ोन इंडिया का आदित्य विक्रम बिड़ला समूह की कंपनी आयडिया सेलुलर के साथ विलय पर चर्चा की पुष्टि की। रिलायंस जियो के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए इसे एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है। वोडाफोन ने कई महीनों के अंदेशे के बाद सोमवार को आदित्य विक्रम बिड़ला समूह की कंपनी आयडिया सेलुलर के साथ विलय की खबर को सही बताया। इस विलय के बाद इन दोनों के विलय से बनी कंपनी दूरसंचार क्षेत्र में इस देश की सबसे बड़ी कंपनी होगी।
जानकारों का मानना है कि आइडिया-वोडाफोन विलय से सभी मार्केट में वोडाफोन इंडिया की स्थिति मजबूत होगी जबकि महानगरों में आइडिया की पकड़ मजबूत होगी। विलय के बाद ग्राहक और आय के लिहाज से सबसे बड़ी कंपनी सामने आएगी। इस डील के बाद वोडाफोन की भारत में लिस्टिंग आसान होगी। सीएलएसए का मानना है कि डील के बाद वित्त वर्ष 2019 तक वोडाफोन का आय में 43 फीसदी मार्केट शेयर हो जाएगा। इस खबर के बाद आयडिया के शेयरों में 29 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई। खबर लिखते समय आयडिया के शेयर NSE पर 26.47% की तेजी के साथ 98.40 रुपए पर कारोबार कर रहे थे।
वोडाफोन इस बात की पुष्टि करता है कि आयडिया सेलुलर के साथ उसकी भारतीय इकाई वोडाफोन इंडिया के विलय को लेकर आदित्य बिड़ला समूह से चर्चा जारी है। हालांकि, इसमें इंडस टावर्स और आइडिया में वोडाफोन की 42 फीसदी हिस्सेदारी शामिल नहीं है।
आयडिया से वोडाफोन तक नए शेयरों के जारी होने से विलय प्रभावी होगा और इससे वोडाफोन से वोडाफोन इंडिया अलग हो जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार, वोडाफोन के आयडिया में विलय के बाद वोडाफोन के ग्राहक आयडिया के उपभोक्ता बन जाएंगे।
अगर विलय होता है तो नई कंपनी के पास सबसे ज्यादा करीब 39 करोड़ सब्सक्राइबर्स होंगे। वर्तमान नंबर एक कंपनी एयरटेल के पास 27 करोड़ और रिलायंस जियो के पास 7.2 करोड़ ग्राहक हैं। इसके अलावा नई कंपनी का कुल राजस्व में बाजार हिस्सेदारी 40 फीसदी होगी, जबकि एयरटेल की करीब 32 फीसदी है।
वोडाफोन ने हाल ही रिलायंस जियो को टक्कर देने के लिए कुछ नई स्कीम्स लॉन्च की थी। सितंबर 2016 में कंपनी ने 47,700 करोड़ रुपए खर्च किए थे। वहीं सितंबर 2016 तक कंपनी के पास 20 करोड़ ग्राहक थे। गौरतलब है कि रिलायंस जियो ने अपनी फ्री वॉयसस कॉलिंग और डाटा सर्विसेज को 31 दिसंबर 2016 से बढ़ा कर 31 मार्च 2017 तक बढ़ा दिया था।
आइडिया-वोडाफोन विलय की वजह ये है कि पिछली 14-15 तिमाही से वोडाफोन का सिर्फ 3 फीसदी आय मार्केट शेयर रहा है। वहीं लिस्टिंग के बाद आइडिया को पहली बार घाटे की आशंका है।
जानकारों का मानना है कि आइडिया-वोडाफोन विलय से सभी मार्केट में वोडाफोन इंडिया की स्थिति मजबूत होगी जबकि महानगरों में आइडिया की पकड़ मजबूत होगी। विलय के बाद ग्राहक और आय के लिहाज से सबसे बड़ी कंपनी कंपनी सामने आएगी। इस डील के बाद वोडाफोन की भारत में लिस्टिंग आसान होगी। सीएलएसए का मानना है कि डील के बाद वित्त वर्ष 2019 तक वोडाफोन का आय में 43 फीसदी मार्केट शेयर हो जाएगा।
आइडिया-वोडाफोन विलय में अभी कई अड़चनें हैं, जैसे नई कंपनी में मैनेजमेंट कंट्रोल किसका होगा ग्राहक और आय मार्केट शेयर, स्पेक्ट्रम तय सीमा से ज्यादा होगी और तय सीमा से ज्यादा स्पेक्ट्रम होने पर कानूनी दिक्कतें हो सकती हैं। वहीं इंडस में नई कंपनी का हिस्सा 58 फीसदी हो जाएगा जिससे भारती एयरटेल, इंडस में माइनॉरिटी शेयरधारक हो जाएगी।
 
                   
                   
             
	               
	               
	               
	               
	              
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