श्रीप्रकाश दीक्षित।
पिछले 50 साल से भी अधिक समय से भोपाल मे एक परिवार की तीन पीढ़ियाँ अदालतों मे एक मुकदमे का दंश झेलती चली आ रही हैं। दैनिक भास्कर ने 4 अप्रैल को इस मुकदमे को सामने रख कर राजधानी की जिला अदालत मे लंबित मुकदमों की दास्ताँ बयान की है। यह मुकदमा पुश्तैनी मकान के कब्जे को खाली कराने के लिए बशीरन बी ने 1963 मे लगाया था। फैसला उनके हक मे हुआ पर कब्जाधारी बड़ी अदालत चले गए और हाईकोर्ट तथा सुप्रीमकोर्ट होकर 48 साल बाद मामला फिर मजिस्ट्रेट कोर्ट मे है..?
इस बीच 1991 मे बशीरन बी अल्लाह को प्यारी हो गईं और बेटों हामिद और ताहिर ने अदालत का मोर्चा संभाला। हामिद का धैर्य जब जवाब दे गया तो 61 साल के ताहिर अपने बेटे नासिर के साथ कोर्ट जाते हैं।अखबार के मुताबिक भोपाल की 56 अदालतों मे 54,321 मुकदमे लंबित हैं। भास्कर की ही एक खबर बताती है कि हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्य पीठ और इंदौर तथा ग्वालियर पीठों मे ढाई लाख से भी अधिक मुकदमे लंबित हैं। यह खबर जानकारी देती है कि इन तीनों पीठों मे जजों के 24 पद खाली पड़े हैं।
इस बीच यह खबर जरूर आई है कि आज 11 नए जज जबलपुर मे शपथ ले रहे हैं लेकिन फिर भी जजों के 13 पद खाली रहेंगे। उधर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पिछले शनिवार को मुख्य सचिव एन्टनी ड़ीसा के साथ जबलपुर मे मुख्य न्यायाधीश अजित मानिकराव खानविलकर से भेंट की। अखबारों के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री की बैठक से पीठों और अन्य अदालतों का बुनियादी ढांचा सुधरेगा, मूलभूत समस्याएँ दूर होंगी जिससे न्यायपालिका की तस्वीर और संवरेगी..!कहीं भी यह पढ़ने-सुनने को नहीं मिला कि मुख्यमंत्री ने अदालतों मे लंबित ढाई लाख से अधिक मुकदमों मे कमी के बारे कोई योजना जस्टिस खानविलकर के समक्ष पेश की या दोनों मे इस मुद्दे पर कोई गहन विचार विमर्श हुआ।
अलबत्ता नईदुनिया की एक खबर यह जरूर बताती है कि अदालतों की अवमानना के सबसे ज्यादा मामले मध्यप्रदेश मे दर्ज होते हैं और हाईकोर्ट में इस समय इनकी संख्या 5328 है। इसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट में हाल ही दैनिक वेतनभोगियों के मामले मे अवमानना याचिका पर सुनवाई से हुई। सुप्रीम कोर्ट ने एक साल पहले इस पर फैसला सुनाया था जिस पर इस याचिका के बाद ही सरकार जागी..?
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