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पूर्व सीजेआई ने बुल्डोजर प्रेक्टिस से बेगुनाह परिवारों को भी सजा दे रही है

खास खबर            Nov 26, 2025


मल्हार मीडिया डेस्क।

देश के पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई ने राज्य के अधिकारियों की तरफ से सिर्फ अपराध के आरोप में लोगों के घरों को गिराने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल की कड़ी आलोचना की है।

उन्होंने इसे एग्जीक्यूटिव के कोर्ट की तरह काम करने और बिना सही प्रोसेस के सामूहिक सजा देने का एक खतरनाक उदाहरण बताया है।

जस्टिस गवई ने कहा कि इस प्रैक्टिस का मतलब है कि सरकार खुद ही दोषी का फैसला कर रही है और उन पूरे परिवारों को सजा दे रही है जिन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि जब कोई नागरिक किसी क्रिमिनल काम में शामिल पाया जाता है, तो उसके परिवार का क्या गुनाह है? उनकी छत पर बुलडोजर क्यों चलाया जाना चाहिए? एग्जीक्यूटिव जज की तरह काम नहीं कर सकता।

तोड़फोड़ के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के दखल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि कोर्ट ने तभी दखल दिया जब पाया कि अधिकारी 'अधिक' काम कर रहे थे, बिना किसी नोटिस या कानूनी प्रक्रिया के घरों को गिरा रहे थे।

उन्होंने कहा कि ऐसी हरकतें न सिर्फ आरोपियों के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि माता-पिता, भाई-बहनों, बच्चों और बाकी सभी बेगुनाह रहने वालों के बुनियादी अधिकारों का भी उल्लंघन करती हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून को अपने हाथ में लेने के अलावा और कुछ नहीं है।

तय सीमाओं के अंदर हो ज्यूडिशयल एक्टिविज्म

जस्टिस गवई ने इस बात पर जोर दिया कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए ज्यूडिशियल एक्टिविज्ज जरूरी है, लेकिन इसे तय सीमाओं के अंदर ही काम करना चाहिए।

फिर भी, बुलडोजर से तोड़फोड़ के मामलों में, उन्होंने कहा कि सरकार की मनमानी ताकत को रोकने के लिए ज्यूडिशियरी को मजबूती से कदम उठाना होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों को गैर-कानूनी तोड़फोड़ के मामलों में तुरंत हाई कोर्ट जाने की आजादी दी है।

जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट ने कड़े सुरक्षा उपाय भी तय किए हैं, जिसमें कहा गया है कि सही प्रक्रिया का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों को कंटेम्प्ट में रखा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद थी कि हाई कोर्ट ऐसी शिकायतों पर तुरंत सुनवाई करेंगे और कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ़ कड़े कदम उठाएंगे।

 


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