 डॉ.वेद प्रताप वैदिक
मुंबई न्यायालय की नागपुर शाखा ने गज़ब की बात कह दी है। उसके जज अरुण चौधरी ने भ्रष्टाचार के एक मामले में फैसला देते हुए कहा है कि यदि देश में भ्रष्टाचार इसी तरह जारी रहता है तो जनता को संगठित होना चाहिए और सरकार को टैक्स देना बंद कर देना चाहिए। पूरे देश में असहयोग आंदोलन छेड़ देना चाहिए। यह बात चौधरी ने तब कही, जब उन्होंने महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र बैंक को 385 करोड़ रुपये के एक घपले में बगलें झांकते हुए पाया।
नागपुर के उच्च न्यायाधीश ने इतनी बड़ी बात कह दी। ऐसी बात कहने की हिम्मत आज देश के एक नेता में भी नहीं है। यह बात सबसे पहले महात्मा गांधी ने कही थी और आज से लगभग सौ साल पहले उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया था। उनके बाद ऐसी क्रांतिकारी बात कहने वाला सिर्फ एक ही नेता इस देश में हुआ है। उसका नाम था- डॉ. राममनोहर लोहिया! उन्होंने ‘सिविल नाफरमानी’ का नारा दिया था। सरकार को टैक्स नहीं देने की बात आज कोई भी नेता क्यों नहीं करता?
क्योंकि सारे नेताओं के ठाठ-बाट और अय्याशी जनता के पैसे पर चलती है। इसी टैक्स पर चलती है। माले-मुफत, दिले-बेरहम! हमारी राजनीति की प्राणवायु है, भ्रष्टाचार! यदि भ्रष्टाचार बंद हो जाए तो हमारी राजनीति के दिल की धड़कन बंद हो जाएगी।
लेकिन सिर्फ सरकार और नेताओं को कोसते रहने से क्या भ्रष्टाचार बंद हो जाएगा? सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार प्रेमी कौन है? भारत की जनता है। हम और आप हैं। यदि हम रिश्वत लेना और देना बंद कर दें तो भ्रष्टाचार अपने आप खत्म हो जाएगा। जो जनता खुद भ्रष्टाचार करती है, वह भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन कैसे चलाएगी? जिस देश की जनता ईमानदार होती है, उस देश के नेता, जज और सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार करने से डरते हैं। लेकिन अपने यहां तो सारे तलाब में ही भांग पड़ी हुई है।
डॉ.वेद प्रताप वैदिक
मुंबई न्यायालय की नागपुर शाखा ने गज़ब की बात कह दी है। उसके जज अरुण चौधरी ने भ्रष्टाचार के एक मामले में फैसला देते हुए कहा है कि यदि देश में भ्रष्टाचार इसी तरह जारी रहता है तो जनता को संगठित होना चाहिए और सरकार को टैक्स देना बंद कर देना चाहिए। पूरे देश में असहयोग आंदोलन छेड़ देना चाहिए। यह बात चौधरी ने तब कही, जब उन्होंने महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र बैंक को 385 करोड़ रुपये के एक घपले में बगलें झांकते हुए पाया।
नागपुर के उच्च न्यायाधीश ने इतनी बड़ी बात कह दी। ऐसी बात कहने की हिम्मत आज देश के एक नेता में भी नहीं है। यह बात सबसे पहले महात्मा गांधी ने कही थी और आज से लगभग सौ साल पहले उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया था। उनके बाद ऐसी क्रांतिकारी बात कहने वाला सिर्फ एक ही नेता इस देश में हुआ है। उसका नाम था- डॉ. राममनोहर लोहिया! उन्होंने ‘सिविल नाफरमानी’ का नारा दिया था। सरकार को टैक्स नहीं देने की बात आज कोई भी नेता क्यों नहीं करता?
क्योंकि सारे नेताओं के ठाठ-बाट और अय्याशी जनता के पैसे पर चलती है। इसी टैक्स पर चलती है। माले-मुफत, दिले-बेरहम! हमारी राजनीति की प्राणवायु है, भ्रष्टाचार! यदि भ्रष्टाचार बंद हो जाए तो हमारी राजनीति के दिल की धड़कन बंद हो जाएगी।
लेकिन सिर्फ सरकार और नेताओं को कोसते रहने से क्या भ्रष्टाचार बंद हो जाएगा? सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार प्रेमी कौन है? भारत की जनता है। हम और आप हैं। यदि हम रिश्वत लेना और देना बंद कर दें तो भ्रष्टाचार अपने आप खत्म हो जाएगा। जो जनता खुद भ्रष्टाचार करती है, वह भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन कैसे चलाएगी? जिस देश की जनता ईमानदार होती है, उस देश के नेता, जज और सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार करने से डरते हैं। लेकिन अपने यहां तो सारे तलाब में ही भांग पड़ी हुई है। 
                   
                   
	               
	               
	               
	               
	              
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