ममता मल्हार।
अगर केंद्रीय सत्ता में कांग्रेस या कोई दूसरी पार्टी होती और विपक्ष में आज की देश की सबसे बड़ी पार्टी तो अभी माहौल क्या होता इसी सोशल मीडिया पर।?आज भारत विश्वमंच पर अकेला खड़ा है। हमारी सेना जिसपर हमें गर्व है, जिससे हमें देश के बराबर प्रेम है उसके सम्मान के साथ यह क्या हुआ?
पहली बार पूरा देश सब भूलकर साथ आ गया था औऱ तभी...!
अब इसका जिम्मेदार भी इंदिरा गांधी और कांग्रेस को ठहराओ तो आपसे बड़ा कोई मूर्ख नहीं।
कम संसाधन गरीबी में जी रहे देश ने तब लोहा ले लिया था। आज तो कोई कमी ही नहीं थी।
एक सही मुद्दा खत्म नहीं होता इससे पहले कि उस पर वाजिब सवाल उठ सकें दूसरा नैरेटिव तैयार रहता है। देशहित की बात भी अगर उनके मन की न हो तो आप देशद्रोही, आप ये आप वो और खुद....! ऐसा नहीं होता कि पूरी जनता से खेल हो जाये और वो कुछ भी न कहे।
सीजफायर की घोषणा का अधिकार बाहर वालों को किसने दिया?
फिर निक्सन को इंदिरा गांधी ने जो औकात दिखाई थी उस ऐतिहासिक घटनाक्रम का उल्लेख तो होगा ही। आप किताबें सही रिफरेंस नहीं पढ़ते तो यह आपकी गलती है, अगर आपको जानकारी नहीं है तो आप सही और सामने वाला गलत नहीं हो जाएगा।
आप फिर डिफेंड करने कुछ भी कह सकते हैं।।किसी सच्चे भारतीय का दिल दिमाग हिलाना हो तो उसे तुरंत देशद्रोही, हिन्दुविरोधी, पाकिस्तान परस्त कह दो वह मूल विषय छोड़कर इसी में अपनी ऊर्जा, दिमाग और समय खर्च करता रहेगा।
इतनी मेहनत इसी सोशल मीडिया पर अपने लोगों को टारगेट करने के बजाए दुश्मनों के खिलाफ नैरेटिव सेट करने में की होती, तो आज तस्वीर कुछ और होती। रक्षामंत्री और हमारी सेना ने 200 परसेंट देने की कोशिश की।
कल सीजफायर की सूचना देते विदेश सचिव की सुबह और शाम की आवाज में कितने लोगों ने फर्क महसूस किया है। क्या सिस्टम गजब का।
सवाल तो यह भी जिंदा रहेगा सर कि इस ढाई-तीन दिन में हमारी सेना के जवानों सहित करीब 56-57 लोग मरे हैं।
पर उन तीन का आज भी पता नहीं चल पाया उनको जमीन खा गई कि आसमान निगल गया।
मुझे अपनी सेना पर गर्व है।
पर राजनीति लज्जित करती है और आपस में लड़वाती है बस।
ओशो ने राजनीति के बारे में गलत नहीं कहा।
विश्वास और सम्मान कमाया जाता है, स्वस्फूर्त जाहिर भी होता है।
पर गढ़े गए प्रतिमान स्थायी नहीं होते।
जय हिंद! जय भारत!
जय हिंद की सेना
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