राकेश दुबे।
नई शब्दावली गढ़ने और नये प्रयोग करने में भाजपा सिद्धहस्त होती जा रही है। पिछले तीन साल के कामकाज और नई दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में सपन्न विस्तारित कार्यसमिति को एक साथ देखने पर यह साफ दिखाई देता है। भाजपा अपनी “पुरानी देगची” को अब “सौभाग्य” की कलई से चमकाना चाहती है। चुनाव को मद्देनजर रखते हुए “सौभाग्य योजना” से अपना भाग्य चमकाने की कोशिश के अलावा इस कार्यसमिति से कुछ और निकल कर नहीं आ सका।
बानगी के लिए राजनीतिक प्रस्ताव ‘न्यू इंडिया’ के विचार पर पूरी तरह केंद्रित है। इसमें गरीबी, गंदगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद,सांप्रदायिकता और तुष्टीकरण की राजनीति से देश को मुक्ति दिलाने का संकल्प है। ध्यान से देखें तो यह पिछले चुनाव में जारी भाजपा घोषणा पत्र की प्रतिलिपि है। वैसे भी ‘न्यू इंडिया’ प्रधानमंत्री मोदी की सोच है। उनके सलाहकारों अच्छा होता यदि ‘न्यू इंडिया’ की जगह ‘नया भारत’ नाम दिया होता। कम से कम राष्ट्रवाद का भरम बना रहता।
निष्पक्ष नजरिये से देंखे तो मोदी सरकार के पिछले साढ़े तीन साल भ्रष्टाचार और आतंकवाद के मसले पर मुस्तैद दिखी है, लेकिन गरीबी दूर करने के सवाल पर हाथ मलती ही नजर आई है। विमुद्रीकरण और जीएसटी लागू करने से मंदी की आहट पूरे देश सुनाई दे रही है। अच्छा होता भाजपा की कार्य समिति इस पर भी कुछ सोचती।
गरीब, किसान-मजदूर और मंझोले व्यापारी वर्ग सरकार की आर्थिक नीतियों से परेशान हैं। यदि ‘न्यू इंडिया’ की सोच को जमीन पर उतारना है तो सरकार को अपनी आर्थिक नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए। कार्यसमिति इसे मुद्दा बनाती तो लगता देश के बारे में कोई बात हुई है।
कार्य समिति में जिस तरह से गरीबों, महिलाओं और ओबीसी पर ध्यान केंद्रित किया गया उससे लगता है कि आगामी चुनाव में पार्टी को इन तीनों तबकों से बहुत ज्यादा उम्मीद है। इस वर्ग को लुभाने के लिए सरकार ने‘सौभाग्य योजना’ के तहत मार्च 2019 तक मुफ्त बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है। निश्चित रूप से यह महती योजना है। अगर सरकार इसे जमीन पर उतारने में सफल हो जाती है तो यह एक चमत्कार होगा। इसके विपरीत अभी गांव और कस्बों के जिन घरों में बिजली का कनेक्शन है,वहां बिजली की आपूर्ति देखकर लगता है कि यह योजना कागज का शेर बनकर न रह जाए।
यह सच है कि केंद्र और भाजपा शासित राज्यों में सरकार और मंत्री स्तर पर भ्रष्टाचार का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन सुगबुगाहट तो पूरे देश में है। कार्यसमिति में इस मुद्दे और काला धन के बारे में सरकार के तौर तरीको पर भी कुछ नहीं कहा सुना गया। इन दोनों मुद्दों पर कुछ कहा सुना जाता तो ठीक रहता।
कुल मिलाकर कार्य समिति सरकार की सिर्फ उपलब्धियों के बखान के साथ सिमट गई अच्छा होता यदि सरकार और पार्टी की कमजोरियों को भी सामने लाया जाता। तो राष्ट्रहित की बात करने वाली बात समझ आती, अभी तो यह “पुरानी देगची” पर “सौभाग्य” की कलई से ज्यादा कुछ नहीं दिख रही है।
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