मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश में किसानों के विरोध आंदोलन शुरू होने से ठीक एक दिन पहले मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए उज्जैन की लैंड पूलिंग नीति को निरस्त कर दिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि किसान सम्मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और सिंहस्थ-2028 का आयोजन दिव्य, भव्य और विश्वस्तरीय रूप में किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह फैसला सोमवार को किसानों, किसान संघ के प्रतिनिधियों, भाजपा पदाधिकारियों और उज्जैन जिला प्रशासन की संयुक्त बैठक के बाद लिया। बैठक में किसान संघ की मांगों पर चर्चा की गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने लैंड पूलिंग निरस्त करने के निर्देश दिए।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हम सिंहस्थ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
बैठक में लैंड पूलिंग को निरस्त करने का निर्णय लिया गया है। सीएम ने कहा कि पूरा विश्व सिंहस्थ 2028 का वैभव देखेगा। मुख्यमंत्री ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग और जिला प्रशासन को लैंड पूलिंग निरस्तीकरण के आदेश तत्काल जारी करने के निर्देश भी दिए।
भारतीय किसान संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए साधुवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट को निरस्त करने का फैसला उज्जैन के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2028 में सिंहस्थ महापर्व को सभी मिलकर उत्साह और सहयोग के साथ भव्य रूप में आयोजित करेंगे।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में प्रमुख रूप से भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, किसान संघ की ओर से महेश चौधरी, कमल सिंह आंजना, अतुल माहेश्वरी, लक्ष्मी नारायण पटेल, भरत बैस, रमेश दांगी, वहीं भाजपा संगठन की ओर से नगर अध्यक्ष संजय अग्रवाल, जिला महामंत्री कमलेश बैरवा, महामंत्री जगदीश पांचाल और आनंद खींची शामिल रहे।
मुख्यमंत्री के निर्णय के बाद किसान संघ के प्रतिनिधियों ने सरकार का धन्यवाद किया और कहा कि यह फैसला किसानों के हितों को सुरक्षित रखने वाला है।
गौरतलब है कि भारतीय किसान संघ ने सिंहस्थ लैंड पूलिंग का लंबे समय से विरोध कर रहा था। इसको लेकर मंगलवार को उज्जैन में घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन की शुरुआत करने जा रहा था। इसके लिए किसान पहुंच भी गए थे।
किसानों का आरोप था कि सरकार उद्योगो और शहरी विकास के नाम पर उनकी हजारों एकड़ जमीन लैंड पूलिंग के माध्यम से उनकी इच्छा के बगैर लेने जा रही हैं। सिंहस्थ क्षेत्र समेत आसपास के किसानों को उनकी जमीन समर्पण का दबाव बनाया जा रहा है। इसको लेकर किसानों में आक्रोश था।
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