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कैग का बड़ा खुलासा, वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान खर्च से राज्यों पर बढ़ा कर्ज

खास खबर            Sep 21, 2025


मल्हार मीडिया डेस्क।

नियंत्रक महालेखा परीक्षक यानि कैग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 सालों में राज्यों का वेतन पेंशन और ब्याज भुगतान पर खर्च 2.5 गुना बढ़ गया है। 2013-14 में यह 626849 करोड़ रुपये था जो 2022-23 में बढ़कर 1563649 करोड़ रुपये हो गया।

राजस्व व्यय का एक बड़ा हिस्सा प्रतिबद्ध है जिसमें वेतन सबसे बड़ा घटक है उसके बाद पेंशन और ब्याज भुगतान आते हैं। 2022-23 में 19 राज्यों में यही स्थिति रही।

कैग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर राज्यों का खर्च पिछले 10 सालों के दौरान 2.5 गुना बढ़ा है। कैग ने कहा कि 2013-14 में यह 6,26,849 करोड़ रुपये था जो 2022-23 में बढ़कर 2.49 गुना बढ़कर 15,63,649 करोड़ रुपये हो गया।

रिपोर्ट के अनुसार, राजस्व व्यय का एक बड़ा हिस्सा या तो प्रतिबद्ध है या बंधा हुआ है। वेतन, पेंशन और सार्वजनिक ऋण और देनदारियों पर ब्याज भुगतान को 'प्रतिबद्ध व्यय' माना जाता है।

2013-14 से 2022-23 तक की 10 साल की अवधि के दौरान राज्यों द्वारा राजस्व व्यय कुल व्यय का 80-87 प्रतिशति था और संयुक्त जीएसडीपी के प्रतिशत के तौर पर यह लगभग 13-15 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2022-23 में, राजस्व व्यय कुल व्यय का 84.73 प्रतिशत और संयुक्त जीएसडीपी का 13.85 प्रतिशत था।

राज्यों के वित्तीय खर्च से जुड़ी भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में 35,95,736 करोड़ रुपये के कुल राजस्व व्यय में से प्रतिबद्ध व्यय 15,63,649 करोड़ रुपये था।

सब्सिडी पर खर्च 3,09,625 करोड़ रुपये और अनुदान सहायता पर 11,26,486 करोड़ रुपये खर्च किए गए। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 29,99,760 करोड़ रुपये के ये तीन घटक कुल राजस्व व्यय का 83 प्रतिशत से अधिक थे।

रिपोर्ट के अनुसार, सभी राज्यों के लिए वित्त वर्ष 2013-14 में वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर प्रतिबद्ध व्यय 6,26,849 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 15,63,649 करोड़ रुपये हो गया। सब्सिडी पर व्यय जो 2013-14 में सभी राज्यों का मिलाकर 96,479 करोड़ रुपये था, 2022-23 में बढ़कर 3,09,625 करोड़ रुपये हो गया।

2013-14 से 2022-23 की अवधि में, राजस्व व्यय में 2.66 गुना वृद्धि हुई, प्रतिबद्ध व्यय में 2.49 गुना वृद्धि हुई और सब्सिडी में 3.21 गुना वृद्धि हुई। प्रतिबद्ध व्यय में वेतन सबसे बड़ा घटक था, उसके बाद पेंशन व्यय और ब्याज भुगतान का स्थान था। 2022-23 में 19 राज्यों के लिए यही स्थिति थी, लेकिन नौ राज्यों (आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल) में ब्याज भुगतान पेंशन व्यय से अधिक था।

 


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