मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जस्टिस दिपांकर दत्ता और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने 1 सितंबर को शिक्षक पात्रता परीक्षा के संबंध में बड़ा निर्णय दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि जिनके पास 5 साल से अधिक की सेवा बची है, उन्हें अनिवार्य रूप से TET पास करना होगा।
टीईटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि जिन शिक्षकों की सेवा सेवानिवृत्ति में सिर्फ 5 साल से कम शेष है, वे बिना TET पास किए भी कार्यरत रह सकते हैं। लेकिन
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो शिक्षक परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे, वे या तो सेवा छोड़ सकते हैं या फिर अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेकर टर्मिनल बेनिफिट्स (सेवा लाभ) प्राप्त कर सकते हैं। यह फैसला तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों से आई याचिकाओं को लेकर दिया गया है।
बता दें कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने 2010 में यह न्यूनतम योग्यता तय की थी कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को नियुक्ति के लिए TET पास करना जरूरी होगा। इसके बाद से ही यह परीक्षा किसी भी अध्यापक की शिक्षण गुणवत्ता सुनिश्चित करने का माध्यम मानी जाती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि क्या राज्य सरकारों की ओर से अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने वालों पर भी TET अनिवार्य कर सकती है और यह उनके अधिकारों को किस हद तक प्रभावित करेगा, इस बारे में फैसला अब बड़ी बेंच करेगी। यानी सुप्रीम कोर्ट की ही बड़ी बेंच के पास यह केस रेफर कर दिया गया है।
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