ब्रेनडेड दानदाता, शोकग्रस्त परिजनों की भावनात्मक मनोवैज्ञानिक चुनौतियों को समझने शोक परामर्श सत्र

खास खबर            Dec 09, 2024


मल्हार मीडिया भोपाल।

जब भी कोई परिजन अपने परिवार के ब्रेनडेड सदस्य का ऑर्गन डोनेट करने का मन बनाता है तो वह बहुत ही शोकग्रस्त् और अवसाद भरी स्थिति में होते हैं। परिजनों की इसी मानसिक स्थिति के मैनेजमेंट और ब्रेनडेड दानदाता के प्रबंधन के लिए एम्स भोपाल ने एक पहल की है। इसके तहत संस्थान ने अपने फैकल्टी और स्टाफ के लिए एक संरचित शोक परामर्श पहल की शुरुवात की है।

इस पहल को ब्रेन-डेड ऑर्गन ट्रांसप्लांट कार्यक्रम स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में इसकी शुरूआत की गई है।

जिसके लिए आज सोमवार 9 दिसंबर को शोक परामर्श सत्र एक विशेषज्ञ टीम के द्वारा आयोजित किया गया। इस टीम में प्रत्यारोपण सर्जन, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट, प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक और शोक प्रबंधन के विशेषज्ञ परामर्शदाता शामिल थे।

यह पहल ब्रेन-डेड दाताओं का प्रबंधन करने, शोकग्रस्त परिवारों का सहयोग करने में आने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों को समझने और उन्हें संभालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। शोक परामर्श सत्र एक विशेषज्ञ टीम के द्वारा आयोजित किया गया। इस टीम में प्रत्यारोपण सर्जन, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट, प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक और शोक प्रबंधन के विशेषज्ञ परामर्शदाता शामिल थे।

प्रो. सिंह ने इस पहल के महत्व को समझाते हुए कहा, "ब्रेन-डेड ऑर्गन ट्रांसप्लांट कार्यक्रम एम्स भोपाल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह कई जीवन बचा सकता है, लेकिन इसमें भावनात्मक चुनौतियों को समझना जरूरी है। ये सत्र हमारी टीम को संवेदनशीलता और पेशेवर तरीके से इन स्थितियों को संभालने के लिए तैयार करते हैं।"

इस कार्यक्रम में डॉ. विजेंद्र सिंह, डॉ. सुनैना, डॉ. सुरेंद्र, डॉ. केतन और मनोवैज्ञानिक मोहित कुमार ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस सत्र का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को शोकग्रस्त परिवारों से सहानुभूतिपूर्ण तरीके से बात करने और तनावपूर्ण परिस्थितियों में शांति बनाए रखने के लिए तैयार करना था। इन सत्रों में रोल-प्ले, केस चर्चा और आत्म-देखभाल की तकनीकों पर आधारित कार्यशालाएं आयोजित की गई। इनका उद्देश्य प्रतिभागियों को ब्रेन-डेड डोनर पहल से जुड़ी जटिलताओं को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए आवश्यक व्यावहारिक कौशल प्रदान करना था।

 

 

 

 


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