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हादसा या साजिश:दो महीने में तीन बाघों की मौत सभी रेलवे ट्रेक के पास,एक तेंदुआ भी मरा

खास खबर            Apr 01, 2017


सीहोर से शैलेष तिवारी।
मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने के प्रयासों में जुटी सरकार के प्रयासों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। एक के बाद एक तीन बाघों की मौत वह भी रेल से टक्कर और और ट्रेक के पास ही होना महज हादसा नजर नहीं आता। सीहोर बुदनी और मिडघाट के बीच शुक्रवार शनिवार की रात एक बार फिर एक बाघ की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। घटना की जानकारी रेलवे विभाग के कर्मचारियों ने वन विभाग को दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बुदनी और मिडघाट पर डाउन ट्रेक पर पोल क्रमांक 175/8 के पास रात में बाघ ट्रेन की चपेट में आया और उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई है। मिडघाट रेल सेक्शन में पिछले दो महीनों में तीन बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें आज मरे बाघ सहित दो बाघ ट्रेन की टक्कर से मर गए। वहीं एक बाघ ट्रेक के पास पानी के गड्डे के पास मृत मिला था। यहीं एक तेंदुआ की मौत भी ट्रेन से टकराने से हो चुकी है।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि हर बार बाघ ट्रेन से टकराता है और उसकी मौत हो जाती है लेकिन बावजूद इसके बाघ की लाश क्षत-विक्षत नहीं होती। यह सिर्फ हादसा नहीं हो सकता। आप खबर के साथ के फोटो देख कर इस बात का अंदाज आसानी से लगा सकते हैं। वन विभाग के आला अफसर से फोन पर बात करने की कोशिश सफल नहीं हो पाई, ताकि ये जाना जा सके कि पहले ट्रेन से टकरा कर मरे बाघों की मौत की जांच का निष्कर्ष क्या निकला।

उल्लेखनीय बात यह है कि पहले बाघों के शिकार के मामलों में कुछ ग्रामीणों की धर पकड़ भर हुई थी। उन कड़ियों तक या तो जांच पहुंच नहीं सकी या जान बूझकर उनके नाम सार्वजनिक नहीं किये गये। जो इस तरह की शिकारी कार्रवाई को एसी बंगलों से अंजाम दे रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि बाघ का शिकार करते कुछ असरदार पकडाए हों तो बाघों की लाश ट्रेन की पटरी पर लाकर रख दिया जाता हो। और अपराध को घटना का रूप दे दिया जाता हो। सच क्या है? ये तो वन विभाग के जिम्मेदार ही बता सकते हैं। मामला संगीन इसलिए और हो जाता है क्योंकि बाघों की संख्या बढ़ाने में जुटी प्रदेश सरकार के मुखिया के निर्वाचन क्षेत्र में बाघों की लगातार मौतें हो रही हैं।



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