ममता यादव।
भारतीय समाज का तानाबाना जिस तरह से बुना गया है, उसमें महिला सशक्तिकरण की बातें तो बहुत होती हैं पर स्थिति इसके उलट होती है। खासकर पिछड़े क्षेत्रों में सबसे पहले लड़कियों की पढ़ाई छुड़वा दी जाती है। या फिर उन्हें स्कूज भेजा ही नहीं जाता।
पढ़ी—लिखी शिक्षित लड़की विकसित और मजबूत समाज के निर्माण का आधार होती है। शिक्षा से उसका उसका सर्वांगीण विकास होगा तो समाज भी विकसित होगा।
ऐसे में सरकारों के प्रयास होने चाहिए कि योजनाएं इस तरह की लाई जाएं कि नवाचारों के साथ समाज की सोच और परंपरागत रूढ़िवादी ढांचे में भी बदलाव आ सके।
बेटियों के विकास में बाधक बनी इस सोच और रूढ़िवादी सामाजिक परिवेश की इस सच्चाई को इस सच्चाई को शिद्दत से महसूस किया मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने।
महिलाओं के मुद्दे, उनकी समस्याओं, मूलभूत सामजिक जरूरतों और संस्कारों की तरफ श्री शिवराज सिंह का ध्यान विशेष तौर पर रहता है।
उनकी सदइच्छा और दृढ़ संकल्प का ही परिणाम हे कि आज मध्यप्रदेश में मनुष्य के जनम से लेकर आजीवन तक के विकास पालन—पोषण की महत्वाकांक्षी योजनाओं को न सिर्फ बनाया जाता है बल्कि अमल भी किया जाता है।
ऐसी ही एक योजना है लाड़ली लक्ष्मी योजना, यह योजना बेटियों के प्रति समाज की नकारात्मक सोच, लड़कों के मुकाबले उनकी कम होती संख्या, बालिका शिक्षा की कमजोर स्थिति, बेटियों को जल्दी ब्याहना जैसी समस्याओं से निपटने के लिए और बालिकाओं के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर 01 अप्रैल 2007 से शुरू की गई।
यह योजना बाद में झारखंड, राजस्थान, बिहार सहित अन्य राज्यों में भी लागू की गई ।
8 मई रविवार को लाड़ली लक्ष्मी 2.0 की शुरूआत होने जा रही है।
पहली योजना में लाड़लियों को पंख मिले थे तो अब योजना के दूसरे चरण में पंख के साथ परवाज भी मिलेगी। क्योंकि उन्हें शिक्षा के साथ—साथ रोजगार से भी जोड़ा जाएगा।
कभी अति पिछड़े माने जाने वाला मध्यप्रदेश आज विकसित प्रदेशों की श्रेणी में शामिल होने के लिए अग्रसर तो है ही। इसके अलावा बेटियों के लिए भी समाज में सकारात्मक बदलाव आया है। बेटियों की शिक्षा और उनकी जल्द शादी को लेकर भी सोच में बदलाव आया है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना से बेटियों को पंख मिले हैं। वरना समय से पहले विवाह और अन्य सामाजिक—पारिवारिक समस्यायें समय और उम्र से पहले ही उनके हिस्से आ जाती थीं।
मुख्यमंत्री के तीसरे कार्यकाल तक यह योजना बकायदा चली और कई प्रतिभाओं को निखरने का मौका मिला। ऐसी ही कुछ प्रतिभाओं में से हैं गौरी आदिवासी,भव्या गर्ग और दीप्ति।
ये तीनों लड़कियां सिर्फ उदाहरण हैं कि इन्हें सही समय पर लाड़ली लक्ष्मी योजना में अवसर मिला और इनकी प्रतिभा निखरकर सामने आई।
मध्यप्रदेश में ऐसी लाखों लाड़लियां हैं जो इस योजना में शामिल होकर वाकई लक्ष्मी बन चुकी हैं अपनी प्रतिभा को निखारकर।
मध्यप्रदेश श्योपुर जिले के चेनपुरा बगवाज 8वीं कक्षा में पढ़ने वाली गौरी आदिवासी के माता—पिता ने उसकी की आगे की पढ़ाई बंद कराने का निर्णय ले लिया गया था।
गौरी को कक्षा 9 की पढ़ाई करने के लिए अपने गांव से बाहर जाना था। गाँव की काफी लड़कियों की पढ़ाई इसी कारण छूट गई थी।
परन्तु गौरी आगे पढ़ना चाहती थी, इसलिये उसने अपने साथ गाँव के बाहर जाकर पढ़ाई करने के लिये अपनी दो सहेलियो को तैेयार किया और उनके घर वालों से बात करके आँगनवाड़ी दीदी को बताया कि हम आगे पढ़ना चाहते हैं।
गौरी के पिता हरिराम आदिवासी एवं माता दुलारी आदिवासी दोनो मजदूरी करते हैं। आँगनवाड़ी कार्यकर्ता दीदी ने गौरी के माता पिता से बात की उन्हें बताया कि गौरी का लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीकरण हैं। उसे कक्षा 9वीं में रूपये 4000/- की छात्रवृत्ति मिलेगी।
फिर कक्षा 11वीं और 12वीं में रूपये 6000/- की छात्रवृत्ति मिलेगी। यदि पढ़ाई बीच में छोड़ दी तो लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ 1 लाख की राषि नहीं मिलेगी।
आँगनवाड़ी कार्यकर्ता ने सुझाव दिया जिस स्कुल में गाँव की लड़कियां पढ़ रहीं हैं उसी में गौरी भी पढ़ सकती है। गौरी के माता पिता इस बात पर सहमत हो गये, और उसका कक्षा 9वीं में एडमिशन शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हजारेश्वर में करा दिया। इस तरह लाड़ली लक्ष्मी योजना पढ़ाई में मददगार बनी।
इसी तरह सतना जिले की एक लाड़ली लक्ष्मी भाव्या गर्ग का जन्म 16.08.2010 को हुआ था। माता-पिता ने जन्म के तुरंत बाद ही भाव्या का लाडली लक्ष्मी योजना में पंजीयन करा दिया।
सरकार की इस योजना के लाभ से भाव्या के परिवार को संबल मिला और उन्होंने नन्ही भाव्या को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी आगे बढाया।
नन्ही भाव्या की रुचि कराटे में देखते हुए 04 वर्ष की उम्र से ही उसे मार्शल आर्ट कराटे का प्रशिक्षण आरंभ किया गया।
वर्ष 2018 में सतना जिला कराते एसोसिएशन द्वारा आयोजित जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाव्या ने दस से अधिक गोल्ड मैडल जीते। उसी वर्ष मध्यप्रदेश कराते एसोसिएशन द्वारा उज्जैन में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में भाव्या ने सिल्वर मैडल जीता।
इस सफलता पर मध्यप्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा उसे रूपए 6000/- का नगद पुरूस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 2018 में ही भाव्या ने कराते में ब्लेक बेल्ट हासिल किया।
भव्या को अब लाडली लक्ष्मी योजना की छात्रवृत्ति भी मिल रही है। भाव्या और उसके परिवार जन शासन की लाडली लक्ष्मी योजना का आभार व्यक्त करते हैं, जिसके सहयोग से भाव्या की प्रतिभा को ऊँचाईयों तक पहुंचाने के लिए एक आधार प्राप्त हुआ है।
मध्यप्रदेश सरकार लाडली लक्ष्मी योजना के माध्यम से बेटियों को सशक्त और सक्षम बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
ग्राम रलायता आँगनवाड़ी केंद्र क्रमांक 2 की लाडली लक्ष्मी योजना में पंजीकृत बालिका दीप्ति इन दिनों अपने घर की दीप्ति बनी हुई है। स्वयं पढ़ने के साथ वे अपने भाई को भी उच्च शिक्षा देकर योग्य बनाना चाहती हैं।
दीप्ति उत्कृष्ट विद्यालय मंदसौर के आर्ट्स विषय की कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा हैं। पिछले वर्ष कोविड के दौरान पिता की मृत्यु हो गई तो महिला बाल विकास विभाग एवं एक ट्रस्ट ने भी मदद का हाथ बढ़ाया। लेकिन यह तो दीप्ति के संघर्ष की शुरुआत थी, माँ गांव के रीति-रिवाजों के चलते 1 वर्ष तक घर से बाहर नही गई तो घर की आर्थिक परिस्थितियां डगमगाने लगी। पर लाडली लक्ष्मी योजना की छात्रवृत्ति के चलते दीप्ति की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आई। इससे दीप्ति का हौसला बना रहा।
अपनी पढ़ाई के साथ घर की आर्थिक परिस्थिति को बेहतर करने के लिए दीप्ति ने मैक्रोन की डोरी से झूमर बनाना सीखा। सोशल मीडिया पर झूमर शेयर किया, तो झूमर बनाने का ऑर्डर दीप्ति को मिलने लगे। धीरे-धीरे दीप्ति के झूमर की बढ़ रही है। पिता की मौत के बाद दीप्ति ने अपने बिखरते परिवार को न सिर्फ सहारा दिया बल्कि अपनी पढ़ाई भी जारी रखे हैं।
मंडला की कुमारी एंजल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का धन्यवाद करते हुए कहती हैं कि लाड़ली लक्ष्मी योजना और ’’माँ तुझे प्रणाम’’ योजना हमें प्रभावित करती है आगे बढ़ने के लिए अवसर प्रदान करती है।
लाड़ली लक्ष्मी 1 से निखरी प्रतिभाएं
लाड़ली लक्ष्मी के सकारात्मक सामाजिक प्रभाव और बदलाव
पिछले 15 वर्षों में लाड़ली लक्ष्मी योजना न सिर्फ मध्यप्रदेश में बल्कि अन्य राज्यों में भी अपनाई गई और प्रभावी रही है।
वर्ष 2007 से अब तक 42.00 लाख से अधिक बालिकाओं का पंजीयन किया जा चुका है।
यानि लगभग 84.16 लाख माता पिता तक बेटियों की भलाई के लिए माता—पिता तक यह संदेश पहुंचाया।
कक्षा 06, कक्षा 09 कक्षा 11 एवं कक्षा 12 में प्रवेशित कुल 9.05 लाख बालिकाओं को राशि 231.07 करोड़ की छात्रवृत्ति का वितरण किया गया। चूंकि लाडली लक्ष्मी योजना का लाभ 12वीं कक्षा के बाद ही मिलेगा, इसीलिये बालिका शिक्षा की निरन्तरता सुनिश्चित हुई है।
लाडली लक्ष्मी योजना से समाज की सोच में किस तरह परिवर्तन आया है यह समझने के लिए थोड़ा पीछे देखें तो हम पाते हैं कि वर्ष 2011 की जनगणना के समय प्रदेश का शिशु लिंगानुपात केवल 919 था। NFHS 5 के अनुसार जन्म के समय लिंगानुपात 927 से बढ़कर 956 हो चुका है।
विशेषकर ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड जैसे कम लिंगानुपात वाले क्षे़त्रों में लिंगानुपात में सकारात्मक परिवर्तन आया है।
इन इलाकों में केवल बेटे के जन्म के समय शहनाई बजती थी, पर अब बेटियों के जन्म का उत्सव मनाया जा रहा है।
लाडली लक्ष्मी योजना के कारण जो सबसे सकारात्मक बदलाव हुआ वह यह कि बालिकाओं के शिक्षा के स्तर में अभूतपूर्व सुधार आया है।
लगभग 93 प्रतिशत लोग अब बेटियों को 12 वीं से आगे पढ़ाना चाहते हैं। लड़कियों की स्कूल में फिर से दाखिला लेने की संख्या और उच्च शिक्षा प्राप्त करने की संख्या में काफी सुधार आया है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना से प्रदेश में बाल विवाह के मामलों में भी कमी आई है। क्योंकि योजना का लाभ 18 वर्ष के बाद विवाह होने पर ही मिलता है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना की सफलता के बाद बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवं आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 तैयार की है। इसमें बालिकाओं को उच्च शिक्षा एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण का प्रावधान किया गया है।
पहली योजना से दूसरी योजना बेटियों को एक कदम आगे यानि शिक्षित होने के साथ सशक्त, सक्षम, समर्थ और आत्मनिर्भर बनाने की है। लाड़ली लक्ष्मी 2.0 योजना को अब शिक्षा के साथ रोजगार से भी जोड़ा जा रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार आज 8 मई रविवार को लाड़ली उत्सव के शुभारंभ के साथ लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 की शुरूआत करने जा रही है। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा है,
आज सच में मन आनंद से भरा हुआ है। 2007 में हमने प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रारंभ की थी, ताकि समाज का नजरिया बदले, मध्यप्रदेश की धरती पर बेटी जन्म ले तो वह लखपति हो। उन्होंने कहा आज प्रदेश की धरती पर 42 लाख लाड़ली लक्ष्मियां हो गई हैं। बेटियों को सशक्त, सक्षम, समर्थ और आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना को शिक्षा और रोजगार से भी जोड़ा जा रहा है।
बेटियों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से छोटा-सा योगदान करने का मुझे सौभाग्य मिला, यह मेरे लिए बड़े संतोष की बात है।
Comments